अंग्रेजों ने नैनीताल , मसूरी को संवारा बनाया हमने क्या किया !

क्रांति भट्ट
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अरबी शायर शायद उत्तराखंड नहीं आया इसीलिये उसने कश्मीर की खूबसूरती को देख लिख दिया कि ” जमीन पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है । पर यदि उत्तराखंड आते तो यह लिखते कि ” जमीन का भी यदि कोई स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है ।
मुगल तो यहाँ नही आये पर गोरों ने उत्तराखंड की खूबसूरती को पहचाना और अपने मुल्क की तरह की जलवायु और प्रकृति के अनुसार उत्तराखंड के हिल स्टेशनों को संवारने की कोशिश तो की । हालांकि नैनीताल हो या मसूरी अंग्रेजों के आने से पहले भी थे । पर इन्हें संवारा जा सकता है कुदरत के बेहतरीन उपहार पहाड़ों की गोद में बसे स्थानों को करीने से संवारा जाय तो दुनिया यहाँ आ सकती है इस सकारात्मक धारणा के चलते अंग्रेजों ने इन हिल स्टेशन के साथ साथ साथ अन्य हिल स्टेशनो को भी संवारने की कवायद की थी ।
* भगवान ने उत्तराखंड को बदरी केदार . गंगोत्री यमनोत्री जैसे तीर्थ धाम दिये . प्रकृति ने बहुत कुछ दिया । अंग्रेज दो दूर देश के थे फिर भी उत्तराखंड की प्राकृतिक खूबसूरती के मुरीद थे । उन्होंने संवारा । पर आजादी के 70 सालों मे अपने देश और 17 सालों में अपने प्रदेश की सरकारों ने कोई ऐसा हिल स्टेशन संवारा हो करीने से बसाया हो तो बताये ।
जन्म से ही कहा जा रहा है कि “पर्यटन प्रदेश ” बनायेंगे पर बनाया कहां जी । नौकर शाह और मंत्री तमाम यूरोपियन और अन्य देश की सैर कर आये यह कहते हुये कि वहाँ देख कर अनुभव लेना चाहते हैं कि ” पर्यटन के लिए क्या किया जा सकता है । पर इतने वर्षों में हमारे लोगो ने कोई हिल डस्टिनेशन ” बनाया हो दीखता तो नहीं । छुट पुट प्रयास हुये पर समर्पण नहीं दिखा । पर्यटन ब्यवसाय से जुडे कुछ लोगों ने और नयी सोच के लोगों ने कुछ स्थानो को संवारा है । गढवाल विकास निगम और कुमायू विकास निगम ने कदम तो उठाये पर गति से दौडे नहीं । निगम के बडे बडे नौकरशाहों दिलचस्पी की कमी और अन्य कारणों से वह अपेक्षा अधूरी है जो इन संस्थानों पूरी होने की उम्मीद अभी भी है । उत्तराखंड के हिल स्टेशनो पर लोग 31 दिसंबर मनाने एक दिन या बर्फ पड जाय तो एक दिन के अलावा हमेशा आयें अभी तक हम ऐसा कोई दिखने वाली उपलब्धि हासिल नहीं कर पाये
** अब बात उस स्थान की जिसके बहाने ” यह लिखने का मन हुआ कि भगवान ने उत्तराखंड को बदरी केदार गंगोत्री यमनोत्री जैसे धाम व तीर्थ दिये , अंग्रेजों ने नैनीताल मसूरी संवारे हमने क्या किया । ” एशिया में स्कीइंग की बेहतरीन ढलानों मे से एक है ” औली ” । कश्मीर दुर्भाग्य वश समय समय पर अशांत रहता है । नार्थ ईस्ट में भी स्थित बहुत बार अच्छी नही रहती । भारत और दुनिया का पर्यटक और साहसिक खेलों के मुरीद उत्तराखंड आना चाहते हैं । ऐसे में हम ” औली . दयारा . आली बुग्याल समेत अन्य बर्फ के बुग्यालों को संवार सकते हैं। जहां तक ” औली की बात है विगत 20,22 वर्षों मे कोशिश तो हुई पर अभी तक ” पर्यटन या स्कीइंग आयोजन के लिए जो इंटर नेशनल प्रोफेशनलिज्म होना चाहिए वह चाहते हुये भी नही बन रहा है । हालांकि ऐसा भी नही कि कुछ नही हुआ ।सब बर्बाद हो गया जैसी निराशा हो । पर ” चमक ” नही दीखती । अब 31 दिसम्बर को ही देखिये ना । हमारी चेयर लिफ्ट ही तैयार नही हुई । जब कि हजारों मे लोग यहाँ पहुंचे । चेयर लिफ्ट की मेंटेन करने का काम तब हो रहा था जब पर्यटक आ गये ।
खैर अब 15 जनवरी से 21 जनवरी तक यहां ” फिस रेस ” फैडरेशन आफ इंटरनेशनल स्कीइंग रेस का आयोजन होना है । पूरी तैयारियां हो गयी ं। अब आसमान वाले से प्रार्थना है कि जम कर ” ह्यूं ” ( बर्फ ) गिरे । और स्कीयर्स ह्यूं में रडाघुस्सी करें ( स्कीइंग मतलब बर्फ में फिसल कर खेलने का खेल ) ।
हांलाकि कृतिम बर्फ बनाने की मशीने भी अब काम करने लगी है । पर जब तापमान ही अनुकूल न हो तो कैसे बर्फ बनेगी । और मशीनों की बर्फ स्कीइंग रेस के लिए वह भी इंटरनेशनल स्तर के लिए पर्याप्त नही ।
पर यदि बर्फ आती है तो बल्ले बल्ले ।
इस आयोजन पर सबकी निगाहें लगीं हैं। शुक्रवार को सी एस त्रिवेन्द्र रावत जी पर्यटन मंत्री सतपाल महा व अन्य अधिकारी औली आये । तैयारियों को देखा परखा । सी एम ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही कि हम ” औली ” को सदैव पर्यटन के स्थल के रुप में विकसित करें इस पर कार्य कर रहे हैं अन्य स्थलों की भी चर्चा की । सच्च । यदि , औली .दयारा , आली , मिलम , या अन्य चिन्हित अचिन्हित स्थलों को हम संवारे तो कई खूबसूरत स्थल बन सकते हैं । पर जरूरत है दिल से कुछ करने की । औली में सी एम त्रिवेन्द्र रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की आंखों में बेहतरीन योजना तो दिखी पर होता क्या है । हमारी आंखों में भी यही सपने हैं कि उत्तराखंड में औली की तरह अन्य स्थलों को भी संवारा जाय ।