-यूट्यूब चैनल पर आ रहा है प्रमिला चमोली का गढ़वाली गीत ‘काफल पाको’
-प्रमिला का पहला गढ़वाली गीत ‘तेरी माया ज्यु मा बसी ग्ये’ हुआ काफी हिट
देहरादून । लोकगायक और गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी और मीना राणा को अपना प्रेरणा श्रोत मानने वाली प्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायिका प्रमिला चमोली का कहना है कि उत्तराखंडी संगीत का भविष्य बहुत उज्जवल है। पहाड़ो के संगीत में बहुत ही खूबसूरत बीट्स होती है । मौसम और धूप के संगीत अपना स्वर बदलता है। सुबह की बेला में कुछ और होता है तो धूप खिलते ही कुछ और हो जाता है दिन चढ़ते ही पहाड़ो में लोकसंगीत और भी कर्णप्रिय होता जाता है।
उन्होंने बताया यूट्यूब चैनल पर अगला गढ़वाली गीत ‘काफल पाको’ जल्द आने वाला है। इसका म्यूजिक तैयार है। उनके पति राम चमोली ने यह गीत लिखा है। उनका पहला गढ़वाली गीत ‘तेरी माया ज्यु मा बसी ग्ये’ काफी हिट हुआ। प्रमिला का मानना है कि संगीत उनके लिए भगवान की देन है। उन्होंने संगीत की कहीं से कोई शिक्षा नहीं ली उसके बावजूद उन्होंने गायिकी के क्षेत्र में अपना एक मुकाम बनाया है।
उनका पहला गढ़वाली गीत ‘तेरी माया ज्यु मा बसी ग्ये’ लोगों द्वारा काफी पंसद किया गया। इस गाने ने ही प्रमिला को गीत-संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। ‘तेरी माया ज्यु मा बसी ग्ये’ गीत में म्यूजिक में उनका साथ रामेश्वर गैरोला ने दिया। इस गाने को अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया। जापान और दुबई में उनके इस गाने को खूब सुना और सराहा गया। वर्ष 2016 में प्रमिला का दूसरा गढ़वाली गीत ‘जा घुघूती’ आया। इसमें विनोद पांडे ने संगीत दिया है। यह गीत भी उनका काफी पसंद किया गया। इसके प्रोडयूसर प्रिंस गोदियाल हैं। अब उनका तीसरा गढ़वाली गीत ‘काफल पाको’ जल्द ही आने वाला है।
प्रमिला चमोली पौड़ी की रहने वाली हैं। पौड़ी शहर में उनका घर है। उनकी स्नातक तक की पढ़ाई भी पौड़ी में ही हुई। शादी के बाद वे मुंबई चली गईं और अब मुंबई में ही रहती हैं। मुंबई में वे गढ़वाली गीत-संगीत को समर्पित हैं। उत्तराखंड में जब भी उन्हें प्रोग्राम में प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है वे तुरंत चली आती हैं। प्रमिला अभी देहरादून में जौनसार बावर क्षेत्र विकास समिति द्वारा आयोजित उत्तराखंड सांस्कृतिक माघ महोत्सव में प्रस्तुति देने के लिए यहां पहुंची थी।
इस दौरान एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि गढ़वाली संगीत के प्रति उनकी बचपन से ही रुचि रही है। उन्होंने बताया कि काफल पर उनका गढ़वाली गीत ‘काफल पाको’ बहुत जल्द आने वाला है। इसका म्यूजिक तैयार है। उनके पति राम चमोली ने यह गीत लिखा है। उनका कहना है कि मुंबई में पर्वतीय नाट्य मंच ने एक गायिका के रूप में उन्हें सबसे पहला मौका दिया। प्रमिला ने कहीं से भी संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली उसके बावजूद वे बहुत अच्छा गा लेती हैं।
उनका कहना है कि गढ़वाली गीतों को सुनकर ही उन्होंने गाना शुरू किया और गाती चली गयी। रियाज को उन्होंने अपने संगीत में प्राथमिकता दी है। रियाज और अपनी मेहनत के बल पर ही वे गायकी के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। प्रमिला का कहना है कि संगीत उनके लिए गॉड गिफ्ट है। गढ़वाली गीत-संगीत के क्षेत्र में स्थापित होने में उनके दर्शक उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने गीतों की जो प्रस्तुति दी दर्शकों को बहुत पसंद आई। उनके दर्शक लगातार उन्हें सुनते हैं। सोसल मीडिया पर उनके प्रशंसकों और चाहने वालों की काफी लंबी संख्या है।
उनके फेसबुक पेज पर 1 लाख 50 हजार 216 लाइक हैं जबकि 1 लाख 49 हजार 912 लोग उनके पेज को फाॅलो करते हैं । उन्होंने हमेशा कर्ण प्रिय गीत गाए हैं , जो कि लोगों को काफी पसंद आते हैं। प्रमिला गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। वह बचपन से ही उनके गीत सुनती आई है। नरेंद्र सिंह नेगी के अलावा मीना राणा को भी प्रेरणा के रूप में लेती है।