खबर पिथौरागढ़ से है। जंहा जिला मुख्यालय की सड़कों पर वाहनों का दबाव रोज बढ़ने से पार्किंग करना चुनौती बन गया है।तो नगर में कुछ पार्किंग स्थलों का निर्माण होने के बावजूद यातायात व्यवस्था हमेशा बदहाल ही रहती है। तो इस कारण राहगीरों का भी पैदल चलना मुश्किल होता है। स्थिति यह है कि नगर की अधिकतर सड़कें ही पार्किंग स्थल बनी रहती हैं जिसको जहां जगह मिली वहीं सड़क किनारे वाहनों की लंबी कतार लगाकर पार्किंग स्थल बना दिया जाता है।
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खबर पिथौरागढ़ से है। जंहा जिला मुख्यालय की सड़कों पर वाहनों का दबाव रोज बढ़ने से पार्किंग करना चुनौती बन गया है।तो नगर में कुछ पार्किंग स्थलों का निर्माण होने के बावजूद यातायात व्यवस्था हमेशा बदहाल ही रहती है। तो इस कारण राहगीरों का भी पैदल चलना मुश्किल होता है। स्थिति यह है कि नगर की अधिकतर सड़कें ही पार्किंग स्थल बनी रहती हैं जिसको जहां जगह मिली वहीं सड़क किनारे वाहनों की लंबी कतार लगाकर पार्किंग स्थल बना दिया जाता है।बता दे की आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत वाहनों की संख्या 54 हजार पार कर चुकी है। इनमें 36 हजार से अधिक दोपहिया वाहन हैं जिस तरह से सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ रहा है उसके अनुसार पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है।सिल्थाम, रई, बैंक रोड, घंटाकरण, टकाना, संपर्क मार्ग, जीआईसी रोड, विण आदि क्षेत्रों पर सड़क को ही पार्किंग स्थल बना दिया गया है। सुबह तो सड़क के दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी रहती है। ऐसे में कई बार तड़के ही जाम लगना शुरू हो जाता है।तो प्रशासन ने यातायात व्यवस्था में सुधार करने के लिए वन-वे ट्रैफिक और वन साइड पार्किंग व्यवस्था लागू की है लेकिन वन साइड पार्किंग में अधिकतर लोग अपने वाहनों को आड़े-तिरछे पार्क कर देते हैं। ऐसे में बड़े वाहन के आते ही जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे लोग एवं स्कूली बच्चे भी परेशान होते हैं। सिल्थाम से अस्पताल रोड पर वन-वे सिस्टम लागू है. वाहन इन एंबुलेंसों की रफ्तार रोक देते हैं। ऐसे में कई बार मरीजों को अस्पताल पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।केवल 300 वाहनों की क्षमता
बता दे की देवसिंह मैदान के पास बहुमंजिली पार्किंग का निर्माण किया गया है। करीब 20 करोड़ की लागत से बनी बहुमंजिली पार्किंग में करीब 300 वाहनों को पार्क करने की क्षमता है। इसके अलावा रामलीला मैदान के पास एक पार्किंग स्थल बनाया है जिसमें 50-60 वाहन ही पार्क हो पाते हैं। जिला अस्पताल के ठीक सामने पार्किंग स्थल है। बावजूद इसके नगर की पार्किंग व्यवस्था आए दिन बदहाल ही रहती है।
बता दे की आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत वाहनों की संख्या 54 हजार पार कर चुकी है। इनमें 36 हजार से अधिक दोपहिया वाहन हैं जिस तरह से सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ रहा है उसके अनुसार पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है।सिल्थाम, रई, बैंक रोड, घंटाकरण, टकाना, संपर्क मार्ग, जीआईसी रोड, विण आदि क्षेत्रों पर सड़क को ही पार्किंग स्थल बना दिया गया है। सुबह तो सड़क के दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी रहती है। ऐसे में कई बार तड़के ही जाम लगना शुरू हो जाता है।
तो प्रशासन ने यातायात व्यवस्था में सुधार करने के लिए वन-वे ट्रैफिक और वन साइड पार्किंग व्यवस्था लागू की है लेकिन वन साइड पार्किंग में अधिकतर लोग अपने वाहनों को आड़े-तिरछे पार्क कर देते हैं। ऐसे में बड़े वाहन के आते ही जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे लोग एवं स्कूली बच्चे भी परेशान होते हैं। सिल्थाम से अस्पताल रोड पर वन-वे सिस्टम लागू है. वाहन इन एंबुलेंसों की रफ्तार रोक देते हैं। ऐसे में कई बार मरीजों को अस्पताल पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
केवल 300 वाहनों की क्षमता
बता दे की देवसिंह मैदान के पास बहुमंजिली पार्किंग का निर्माण किया गया है। करीब 20 करोड़ की लागत से बनी बहुमंजिली पार्किंग में करीब 300 वाहनों को पार्क करने की क्षमता है। इसके अलावा रामलीला मैदान के पास एक पार्किंग स्थल बनाया है जिसमें 50-60 वाहन ही पार्क हो पाते हैं। जिला अस्पताल के ठीक सामने पार्किंग स्थल है। बावजूद इसके नगर की पार्किंग व्यवस्था आए दिन बदहाल ही रहती है।
बता दे की देवसिंह मैदान के पास बहुमंजिली पार्किंग का निर्माण किया गया है। करीब 20 करोड़ की लागत से बनी बहुमंजिली पार्किंग में करीब 300 वाहनों को पार्क करने की क्षमता है। इसके अलावा रामलीला मैदान के पास एक पार्किंग स्थल बनाया है जिसमें 50-60 वाहन ही पार्क हो पाते हैं। जिला अस्पताल के ठीक सामने पार्किंग स्थल है। बावजूद इसके नगर की पार्किंग व्यवस्था आए दिन बदहाल ही रहती है।