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बूढ़े और जवान शेरों के झगड़े में उलझती कांग्रेस !

DEHRADUN : कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली कि बबाल मच गया है लोग इस पोस्ट पर किशोर उपाध्याय को ही घेरे में लेने लगे हैं। दरअसल किशोर ने फेस बुक वाल पर की गयी पोस्ट कुछ इस तरह कहानी बनाकर डाली …

”दो शेर थे। एक जवान और एक बूढ़ा। दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी।

दोनों में एक दिन कुछ गलत फेहमी हो गयी। दोनों एकदूसरे के दुश्मन हो गए।

एक दिन बूढ़े शेर को २५-३० कुत्तो ने घेर लिया और कांटना शुरू किआ। तब वहां वो जवान शेर आया और ऐसा दहाड़ा की सारे कुत्ते वहां से भाग गए। और जवान शेर वह से चला गया।

ये सब देख रहे दूसरे शेर ने जवान शेर से पूछा की तुम एकदूसरे से बात भी नहीं करते हो तो उसे बचाया क्यों ?

तब जवान शेर ने कहा आपस में नाराजगी भले ही हो लेकिन समाज में ऐसी कमजोरी नहीं होनी चाहिए की कुत्ते भी उसका फायदा उठा ले।”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की इस पोस्ट को जहाँ अभी तक नौ लोगों से शेयर किया है वहीँ 135 लोगों ने इसे लाइक भी किया है। यह पोस्ट कांग्रेस के भीतर मचे घमासान को इंगित करती है कि कांग्रेस में सबकुछ कहीं ठीक नहीं चल रहा है। इस पोस्ट पर Akhilesh Dimri ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बिल्कुल सही लेकिन उसका क्या जब कोई भी खुद के शेर होने का भ्रम पाल ले …? वहीँ

 Bhargava Chandola ने टिप्पणी की कि ”ये बूढ़ा व जवान शेर है कौन बल? किशोर भाई आपका इशारा हरदा-किशोरदा की ओर तो नहीं”?  यदि हाँ तो वो 25-30 कुत्ते कौन? भजपाइये या स्वयं कांग्रेसी? 

विजयपाल रावत का कहना है ”मुझे तो उस जवान शेर के उन साथी चीते, बाघ, गुलदारों के बारे में सोच कर हंसी आ रही है जो बेचारे दोनों शेरों की दुश्मनी के दिनों में पानी पी पी कर उस बूढ़े शेर को गालीयां दिया करते थे। आज बेचारे फिर से बूढ़े शेर के पैर छू कर सलाम ठोकने को मजबूर होंगे और बूढ़ा शेर उन्हें देख कर धीमी मुस्कान में खुश होता होगा। क्योंकि जवान शेर तो खुद ही मदद करने आ गया, बूढा शेर तो आज अकेले में भी सब पर भारी पड़ता है। कहीं ऐसा तो नहीं की जवान शेर खुद ही अकेला पड़ गया था ?  खैर, इसीलिये कहा गया है, “झौटों की लड़ाई में झुंड का ही नाश होता है”
Narander Rana का कहना है ”सबसे बड़ी शेर जनता पूरे उत्तराखंड की महान जनता से दोनों शेर क्षमा याचना करो सोनिया गांधी जी के भरोसे के बावजूद दोनों शेर सरकार गवा बैठे जनता बड़े दिल की होती है अवश्य माफ करेगी 2019 में इसका प्रतिफल देगी और 22 में भाजपा को उखाड़ फेंक देगी”

Hemchander Saklani वाह बहुत सुंदर संदेश दिया आपने काश समझें लोग।
Vijay Tyagi बड़ा अच्छा लगा उदाहरण….पहाड़ के शेरों को पहाड़ के लोगों के सिवा पहचानेगा कौन…बूढ़ा हो या जवान _ शेर तो शेर होता है…
इन शेरों की दहाड़ अपने कुनबे के साथ 2019 में….जंगलो से, गदेरों से, धारों से, खालों से, नदियों से, नालों से ….सुनाई दे
यही मंगलकामना है….
*****
यहां देख रहा हूं जी … कि सभी समझ भी गए हैं…
दोनों शेर एकजुट हो देख_बहुत से चाहने वालों को आपारं खुशी होगी…
सलामत रहे दोस्ताना तुम्हारा!

Anand Suman Singh Lekin Yeh Kahani Jis Uddeshey Se Likhi Gae He … Un Dono Me Koe Bhi Sher Nahin He…. Range Siyaar… Bhediye… Aadi Ko Sher Nahin Kaha Jaata …. Kutte Kitni Bhi Badhiya Nasal Ke Hon… Unki Auqaat Sher Ka Saamna Karne Ki Nahin Hoti… Bal

Ashirvad Goswami वाह सर,आपके विचारों को और आपको मै सदा प्रणाम करता हुँ,क्यों कि आप देव पुरूष है.आप को सदा मैने नेकी, सच्चाई के रास्ते पर चलते देखा है.इस कहानी के अर्थ को समझ कर यही दुवा है,कि फिर से दोस्ती की मिशाल कायम हो. फिर एक बार आपको प्रणाम.

ठाकुर साहब वाह क्या बात है अध्यक्ष जी???,

अध्यक्ष जी शेर आखिर शेर होता हैं। चंद कुत्ते आखिर ये ना समझे कि बूढ़ा शेर हमला नही करता।

Rajiv Chodhary Abhi koi kutta nhi baga h adhiyax ji thodi mehnat or krne pdegi

Kundansinghbisht Kundansinghbisht लेकिन इन बूढ़े शेर व जवान शेर के झमेले में कुत्ता बेचारे को क्यों निवाला वनाया कुत्ता तो हमेशा स्वामी भक्त ही ठैरा श्री

Rakesh Singh Negi समय चक्र घूमता रहता है ताक़त हमेशा किसी एक के पास नहि रहती इसलिये जब किसी के पास ताक़त हो तो उसका सही इस्तेमाल होना चाहिये जैसे जवान शेर ने किया

Subhash Taraan शेरो क़ो आजादी है, आजादी के पाबंद रहे, जिसको चाहे चीरे फाड़े, खा पी कर सानंद रहे।

Kishore Upadhyaya जी, लेकिन उतना ही जितनी उसकी आवश्यकता हो।नहीं तो एक ही दिन में जानवर सब ख़त्म।

Mahendra Pratap Singh Bisht जानवर खत्म ना भी हों पर शेरो का हाजमा सही रहना चाहिए।

Daisy Singh “बिना समान की एक दुकान”
किशोर जी आपकी कहावत के प्रत्युतर में एक कहावत-
एक स्वघोषित महारथी ने एक दुकान खोली, खूब प्रचार-प्रसार किया, खूब साजो-सजावट भी की, लेकिन
जब ग्राहक आये तो जो भी वो मांगे वो दुकान में नही मिला..
ऐसी दुकानदारी करने में जिसमें कोई फायदा ही न हो, यह बेहतर है कि दुकान बंद करके घर में ही बैठा जाये।

ये आपको बिन मांगे मुफ्त की सलाह है।

Daisy Singh किशोर जी आपके द्वारा लिखी गई कहावत बेहतरीन, बस एक ही कमी रह गई …
कि अगर एक बौखलाया हुआ कुत्ता ही अपने को शेर समझने लगे तो कैसे चलेगा ??

( शेर हमेशा शेर ही रहता है जवान या बूढ़ा नही )

Kulbeer Negi अपनी जाति अपने धर्म अपने कर्म की रक्षा करनी चाहिए जो कि शेर ने एक शेर की रक्षा कि उसने अपनी जाति की रक्षा की शेर से सीख लेनी चाहिए !

Ashish Gusain अब खेल शेर, कुत्तों का हो गया। पर हैं तो सभी जानवर..

Mahendra Pratap Singh Bisht सर्कस के शेरो और जंगल के शेर में बहुत फर्क होता है। जब तक जंगल का शेर साथ नहीं आयेगा तब तक सर्कस के शेरो से कोई नहीं डरेगा। चाहे बूढ़ा शेर और जवान शेर कितने ही करतब दिखा लें। जंगल के शेर की तो गुर्राहट ही काफी है।
जंगल का शेर जिन्दाबाद
सर्कस के शेरो की भी जिन्दाबाद क्योंकि हैं तो शेर बिरादरी के ही।

कुल मिलाकर अब यदि देखा जाय तो प्रदेश की राजनीती करने वाले किशोर उपाध्याय की यह कहानी तो सबके समझ में आ ही गयी होगी कि किसको उन्होंने शेर कहा और किसको कुत्ते कहा , अब उनकी यह कहानी सोशल मीडिया में भी चर्चित हो रही है और लोग इस कहानी के कई अर्थ भी निकाल रहे होंगे और निहितार्थ भी।  लेकिन किशोर की इस कहानी ने सूबे में कांग्रेस को मजबूत करने के बजाय कमजोर करने से साथ ही कांग्रेस को गुटों में बांटने का भी काम किया है जो कांग्रेस की सेहत के लिए कदापि ठीक नहीं कहा जा सकता। इसके परिणाम भले ही आज देखने को न मिलें लेकिन  आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इसके घातक परिणाम कांग्रेस के सामने होंगे  और तब तक यह स्थिति भी आ चुकी होगी कि दोनों गुटों में दरार काफी बढ़ भी चुकी होगी जिसका खामियाज़ा कुल मिलाकर कांग्रेस को ही भुगतना होगा।   

devbhoomimedia

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