दक्षिणी ध्रुव के बाद अब उत्तरी ध्रुव में लहराएगा तिरंगा

- देश की पहली वर्दीधारी महिला अपर्णा कुमार
- 13 जनवरी को साउथ पोल पर फहराया था तिरंगा
- साहसिक अभियान पूरा कर वापस लौटी दून, साझा किये अपने अनुभव
- मिशन सेवन समिट के तहत जून में माउंट डेनाले को फतह करने का सफर होगा शुरू
- महिला सशक्तिकरण के लिए बनी नई मिशाल, आईटीबीपी को दिया नये साल का तोहफा
प्रदीप
देहरादून । दक्षिणी ध्रुव (साउथ पोल) पर तिरंगा फहरा कर भारत का नाम रोशन करने वाली देश की पहली वर्दीधारी महिला गणतंत्र दिवस के अवसर पर सूबे की राजधानी देहरादून में तिरंगा फहरायेगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय पुलिस सेवा वर्ष 2002 बैच की आईपीएस अधिकारी अपर्णा कुमार की। वह वर्तमान में सीमाद्वार स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के फ्रंटियर हेडक्वाटर में बतौर उप महानिरीक्षक (डीआईजी) तैनात है। बीती 13 जनवरी की दोपहर को दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहराने का सफर पूरा कर डीआईजी अपर्णा आज दून पहुंची है। पर्वतारोहण व साहसिक अभियान की दुनिया में एक के बार एक नया मुकाम हासिल करने वाली देश की यह पहली वर्दीधारी महिला जल्द ही उत्तरी ध्रुव (नार्थ पोल) पर भी तिरंगा फहराने की तैयारी में भी है।
नार्थ पोल लिए वह आगामी अप्रैल में शुरू करने जा रही है। इसके बाद मिशन सेवन समिट के अंतिम चरण में आगामी जून में माउंट डेनाले पर आरोहण करेगी। माउंट डेलाने उत्तरी अमेरिका के अलास्का में सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। कहा जा सकता है कि महिला सशक्तिकरण के लिए मिशाल बन चुकी वर्दीधारी आईपीएस अधिकारी अपर्णा कुमार का साहसिक अभियान का सफर आगे भी यूं ही जारी रहने वाला है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में मुकाम हासिल करना डीआईजी अपर्णा कुमार का बचपन से ही शौक नहीं रहा है। लेकिन अक्टूबर 2013 को मनाली में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स करने के बाद मानो जिंदगी का ट्रैक ही बदल गया। दक्षिणी ध्रुव के अभियान को सफलता पूर्वक पूरा कर वापस पहुंची डीआईजी अपर्णा कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मनाली से बेसिक कोर्स करने और एडवांस कोर्स पूरा करने के बाद पर्वतारोहण का क्षेत्र उनके सफर का अहम हिस्सा ही बन गया। पहली बार अगस्त 2014 में माउंट किलिमंजारो पर सफल आरोहण किया। जनवरी 2016 में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भी सफल आरोहण किया। एवरेस्ट फतह करने वाली भी वह देश की पहली आईपीएस अधिकारी रही हैं। यही नहीं नेपाल की सबसे ऊंची चोटी माउंट मनासलू पर बतौर भारतीय सफल आरोहण करने वाली भी वह पहली महिला रही हैं।
दक्षिणी धुव्र के अपने अभियान के अनुभव साझा करते हुए डीआईजी अपर्णा कुमार ने बताया कि वह माउंट डेनाले को फतह करने निकली थी। लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया, लिहाजा मायूस होकर वापस लौटने की तैयारी में थी। इस दौरान उनके सहयोगियों ने उन्हें साउथ पोल के लिए अभियान शुरू करने को प्रेरित किया। बताया कि बीती तीन जनवरी को उन्होंने साउथ पोल के लिए अभियान शुरू किया। उनके साथ टीम में अमेरिका, आयरलैंड, वेमन आइसलैंड व चेक रिपब्लिक के सात और लोग तथा दो गाइड शामिल थे।
इस टीम में वह अकेली महिला थी। पांच जनवरी को 89 डिग्री साउथ लेटिट्यूड पहुंचने के बाद अगले आठ दिन माइनस 35 से लेकर माइनस 47 डिग्री तापमान और विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बर्फीले ढलान पर नई-नई चुनौतियों को पार करते हुए स्कींइग कर 13 जनवरी की दोपहर को साउथ पोल पहुंचकर राहत महसूस की। बताया कि इस दौरान उनके साथ टीम में शामिल अन्य सदस्य बीमार पड़ गये थे, फिर भी उन्होंने (अपर्णा कुमार) हौसला नहीं हारा। खास बात यह कि इस अभियान में वह अपने साथ चालीस किलो वजन भी साथ लेकर चली। कहती हैं कि पर्वतारोहण व अन्य साहसिक अभियानों में किसी भी बड़ी चुनौती से पार पाया जा सकता है, बशर्ते की इसके लिए पूर्वाभ्यास व कुशल प्रशिक्षण प्राप्त किया हो। साहसिक अभियानों के क्षेत्र मे अपनी सफलता के लिए वह आईटीबीपी के वरिष्ठ अधिकारियों व अपने परिवार का सपोर्ट भी अहम मानती हैं।
- कौन हैं डीआईजी अपर्णा कुमारदेहरादून। आईटीबीपी में बतौर डीआईजी तैनात अपर्णा कुमार मूलरूप से बैगलूरू की रहने वाली और वर्ष 2002 बैच के उप्र काडर की आईपीएस है। उनके पति संजय कुमार भी 2002 बैच के आईएएस हैं और वर्तमान में यूपी सरकार में नगर विकास सचिव पद पर तैनात हैं। डीआईजी अपर्णा ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी करने के बाद यूपीएससी द्वारा आयोजित आईपीएस की परीक्षा पास की। बताती हैं कि उनके पिता का निधन तब हो गया था जब वह बहुत कम उम्र की थी। मां अशविनी ने ही परवरिश की। डीआईजी अपर्णा का एक बेटा व एक बेटी है जो कि सेंट जोजेफ स्कूल में पढ़ते हैं। सालभर पहले आईटीबीपी में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने से पहले वह उप्र पुलिस में कई अहम पदों पर तैनात रही। वर्ष 2012 में मुरादाबाद स्थित पीएसी बटालियन में बतौर कमांडेंट की तैनाती उनके लिए अहम रही है। क्योंकि यहीं पर उन्होंने पर्वतारोहण से संबंधित उपकरण व अन्य साहसिक गतिविधियों के बारे में में देख—सीख कर अपने साहसिक अभियान के करियर की शुरुआत की है।