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आदेश देने वाला वो अदृश्य हाथ किसका था?



दस दिन हो गए, उत्तराखंड के एक बड़े अधिकारी के अनोखे पत्र के बाद बाहुबली विधायक अमनमणि की अवैध उत्तराखण्ड यात्रा को। जांच हो भी रही है और नहीं भी। थोड़ा फ्लैशबैक जरूरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के पिता की मृत्यु के बाद बहुत ही भावुक हुए विधायक अमनमणि बद्रीनाथ-केदारनाथ की ओर कूच कर रहे थे। पता नही कोरोना के केंद्रीय भारी भरकम डरावने नियम-कानून को कैसे धता बता अमनमणि की टीम की यह लॉंग ड्राइव न तो उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को दिखी और न ही उत्तराखंड के। कई मुस्तैद नाकों से निकलने के बाद कर्णप्रयाग में अमनमणि का तेज रफ्तार रथ रोक लिया गया। चमोली जिले प्रशासन ने बैरंग लौटाया। उत्तराखंड में न तो पुलिस ने गिरफ्तार ही किया और न ही विधायक को मय काफिला क्वारंटीन ही किया। चार मई को उत्तर प्रदेश पुलिस ने नजीबाबाद में विधायक को गिरफ्तार किया।
बहरहाल, इस मुद्दे पर काफी कहा जा चुका है। इस मामले की उत्तराखंड में जांच की बात कही जा रही है। दारोगा स्तर की जांच भी जगहंसाई का मुद्दा बनी हुई है।
तो फिर तीसरा सवाल यह उठता है कि अमनमणि के गैरकानूनी दौरे की कहानी किसने बुनी और क्यों। अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र से मौखिक आदेश लिए या स्वंय पितृ कार्य सबलेट करने की तरकीब निकालते हुए अमनमणि के लिए बद्रीनाथ व केदारनाथ का मार्ग प्रशस्त किया। शराब के ठेके, सड़कों के निर्माण कार्य व अन्य सरकारी कार्य तो सबलेट होते देखे लेकिन पितृ कार्य ही सबलेट कर दिए गए।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.