फिल्मों की शूटिंग के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है उत्तराखंड
सुंदर भव्य पर्वतों, नदियों, खूबसूरत नजारों, वास्तुशिल्प के कारण उत्तराखंड अंग्रेजों के जमाने से लेकर आज तक रचनात्मक स्थलों में रहा है सदैव शामिल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
Uttarakhand growing as preferred film Destination
Dehradun:- People working in the field of art and cinema always explore places to connect with nature and pen down experiences in solitude and solace. They consider it as liberty to drench down in thoughts away from the hustle-bustle of cities in the lapse of nature and then produce something like a meandering river going up and down at its own pace making its route.
Due to its picturesque mountains, rivers, landscapes, and unique vernacular architecture, Uttarakhand has always been on this list of creative places since colonial times till the present era. Rudyard Kipling, Ruskin Bond, Arvind Adiga, Stephen Alter, or others, all have found and elaborated their stories in this beautiful contour of the Himalayas. Not only authors and writers but people of popular culture like cinema have also come here for finding a suitable location to add meaning to their stories.
Many big names of the Hindi film industry have explored different regions of this part of the Himalayas for shooting purposes. Like for instance, the famous film of legendary actor Sunil Dutt and elegant Mala Sinha, Gumrah (1963) was shot in Naini Lake of the Nainital district which established it as an epitome of love and romance.
Afterward, many other actors and actresses have been shown romancing in the background of this lake. However the most iconic is of Rajesh Khana, Kati Patang (1971) that has left an indelible impression of this lake in the minds of many. Later the critically acclaimed movie, Ram Teri Ganga Maili (1985) started the trend to shoot in the raw and picturesque terrains. It was the first film that prominently talked about the Harsil region of the Uttarkashi District. Soon many films of different genres like GharkaChirag (1989), Sirf Tum (1999), Armaan (2003), Lakshya (2004), and many others have followed its footsteps and shot partially or completely here.
Initially, the Forest Research Institute, Nainital, and Mussorie were the most desirable locations but in recent years the lesser-known areas are gaining momentum and attracting the directors and producers of not only the Hindi film industry but Tamil, Telugu as well as Hollywood producers to come and shoot here.
Elaborating more about the plans, Tourism Minister Uttarakhand, Shri Satpal Maharaaz said, “We are continuously working to develop Uttarakhand as a preferred film destination around the globe. For the year 2021, our focus is to promote and share our folklores with famous producers and directors so that series and movies can be made using the stories.”
Adding more in this, Secretary Tourism Mr. Dilip Jawalkar said, “Uttarakhand has always attracted tourists from all over the globe. Our focus now is to develop more film friendly to the potential producers willing to shoot in the state.”
The state also offers the best film policies for the producers and directors. Some such policies are as follows-
Uttarakhand has been developed as a state with skilled manpower in terms of mobility of goods and technical aspects
50% discount for Film units during the time of shooting will be provided on rest houses of GarhwalMandalVikas Nigam Ltd and KumaonMandalVikas Nigam Ltd.
Based on merit, Films having more than 50% or more outdoor shooting in Uttarakhand will be made Tax free
The State may consider financing (up to INR 1.5 Crores) for Hindi films with production cost up to INR 2 Crores on the shoot of minimum 75% in Uttarakhand.
Incentives for expenditure incurred in the processing of Films produced in Uttarakhand regional language: 30% or up to INR 25 Lakh (whichever is minimum) if processing is done in Uttarakhand situated lab, else 25% or INR 20 Lakh (whichever is minimum) if the processing is done outside
Incentives for expenditure incurred in the processing of Regional Films other than Uttarakhand for which 75% or more shooting is done in Uttarakhand language: 30 or INR 15 Lakh (whichever is minimum) if the processing is done in Uttarakhand situated lab, else 25or INR 10 Lakh (whichever is minimum) if the processing is done outside.
Uttarakhand government also has a ‘Single Window Clearance System’ allowing investors to avail the necessary State Government approvals to establish and start their business operations through a single platform without any physical touch point with the approving/licensing authority.
Adding more about the policies and projects, Uttarakhand Film Tourism Board Nodal Officer K.S Chauhan said, “After the release of the film policies in Uttarakhand 2015, more than 400 films, songs, and serials have been granted permission here for shoots which is one of the huge figures in itself. This also the result of our film-friendly policies, Single window clearance system, best-shooting destinations, Honorable CM himself involved to ensure smooth shooting in Uttarakhand. This influx in the shoot has increased the revenue and has also generated employment for the local people. With our continuous efforts and filmmaker’s feedback report we received Special Mention Award in 2017, Most Film Friendly First Prize in 2018, and Best Film Tourism Destination Award in 2019 awarded by Government of India”
देहरादून कला और सिनेमा जगत में काम करने वाले पेशेवर हमेशा ऐसी जगहों की तलाश करते रहते हैं जहां वे प्रकृति से जुड़ सकें और शांत-सुरम्य एकांत में अपने अनुभवों को कागज पर उतार सकें। शहरों की भीड़, शोर और व्यस्तता से सुदूर कुदरत की पनाह में उन्हें यह सुअवसर मिलता है कि अपने मन-मस्तिष्क में छाये विचारों को बटोर सकें और उन्हें सुसंगठित तरीके से सहेज सकें। इस तरह से वे ऐसा कुछ रच पाते हैं जो नदी सा कुदरती होता है, जिसमें स्वाभाविक उतार-चढ़ाव होता है, जो अपनी सहज गति से अपना रास्ता तैयार करता हुआ चलता है।
सुंदर भव्य पर्वतों, नदियों, खूबसूरत नजारों, वास्तुशिल्प के कारण उत्तराखंड अंग्रेजों के जमाने से लेकर आज तक रचनात्मक स्थलों में सदैव शामिल रहा है। रुडयार्ड किपलिंग, रस्किन बॉन्ड, अरविंद अडिगा, स्टीफन आल्टर आदि लेखकों ने खूबसूरत हिमालय की गोद में बैठ कर अपनी कहानियों को आकार दिया है। केवल लेखक ही नहीं बल्कि सिनेमा जगत के लोग भी अपनी फिल्मों को अर्थपूर्ण स्पर्श देने के लिए यहां आकर उपयुक्त स्थलों पर शूटिंग कर रहे हैं।
हिंदी फिल्म उद्योग के कई जाने माने फिल्मकार अपनी कहानियों को अलग अंदाज में पेश करने के इरादे से उत्तराखंड के विभिन्न स्थलों पर आते रहे हैं।
उदाहरण के लिए साल 1963 की लोकप्रिय फिल्म गुमराह, जिसमें सुनील दत्त और माला सिन्हा मुख्य भूमिकाओं में थे। जिसकी शूटिंग नैनीताल जिले में नैनी झील में हुई थी, प्यार और रोमांस की इस कहानी में नैनीताल की लोकेशन में चार चांद लगा दिए थे।
इसके अलावा बहुत अभिनेता व अभिनेत्रियों ने नैनी झील की पृष्ठभूमि में रोमांटिक फिल्मों में अभिनय किया। इनमें सबसे ज्यादा यादगार फिल्म रही राजेश खन्ना की कटी पतंग (1971), इस फिल्म ने दर्शकों के मन में नैनी झील की अमिट छाप छोड़ी।
बाद में हिट फिल्म राम तेरी गंगा मैली (1985) ने उत्तराखंड के विस्तृत पर्वतीय नजारों को प्रस्तुत किया। यह पहली फिल्म थी जिसने उत्तरकाशी जिले में स्थित हर्षिल की बात की। इसके बाद एक नया ट्रैंड शुरु हुआ और विभिन्न शैलियों की फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में होने लगी जैसे घर का चिराग (1989), सिर्फ तुम (1999), अरमान (2003), लक्ष्य (2004) आदि। इस तरह अनेकों फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में हुई, कुछ आंशिक रूप से तो कुछ पूरी तरह यहीं फिल्माई गईं।\
पहले फिल्मकार उत्तराखण्ड आकर केवल वन अनुसंधान संस्थान, नैनीताल और मसूरी में ही ज्यादातर शूटिंग करना चाहते थे किंतु हाल के वर्षों में कम जानी मानी जगहें भी लोगों के ध्यान में आ रही हैं, जो न केवल हिंदी फिल्मों के बल्कि तमिल व तेलूगु फिल्मों के निर्माता निर्देशकों को भी आकर्षित कर रही हैं।
पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा, ’’उत्तराखंड को दुनिया का पसंदीदा फिल्म डेस्टिनेशन बनाने के लिए हम निरंतर विकासकार्य कर रहे हैं। वर्ष 2021 में हमारा फोकस इस पर है कि प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशकों को अपनी लोककथाओं से परिचित कराएं, उन्हें बढ़ावा दें ताकि उन कहानियों पर सिरीज और फिल्में बन सकें।’’
पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने कहा, ’’उत्तराखंड हमेशा से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता आया है और अब हम सक्षम फिल्म निर्माताओं को यहां शूटिंग करने के लिए और ज्यादा फिल्म पाॅलिसी लाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उत्तराखंड फिल्मकारों के लिए सर्वश्रेष्ठ कुछ फिल्म नीतियां निम्नवत हैं:-
- गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड और कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड के गैस्ट हाउसिस में फिल्म यूनिटों को शूटिंग के दौरान 50 प्रतिशत डिस्काउंट।
- जिन फिल्मों की उत्तराखंड में 50 प्रतिशत या उससे अधिक आउटडोर शूटिंग होगी, उन्हें राज्य में टैक्सफ्री किया जाएगा।
- दो करोड़ की निर्माण लागत वाली हिंदी फिल्मों के लिए राज्य रु. 1.5 करोड़ तक की फाइनेंसिंग पर भी विचार कर सकता है। यदि 75 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखण्ड राज्य में होगी।
- उत्तराखंड में क्षेत्रीय भाषा में निर्मित फिल्मों की प्रोसैसिंग के खर्च हेतु इंसेंटिव 30 प्रतिशत या रु. 25 लाख (जो भी कम हो), यदि उत्तराखंड में स्थित लैब में प्रोसैसिंग की जाएगी, अन्यथा 25 प्रतिशत या रु. 20 लाख (जो भी कम हो) यदि प्रोसैसिंग राज्य से बाहर हुई।
- उत्तराखंड के अलावा क्षेत्रीय फिल्मों की प्रोसैसिंग व्यय पर इंसेंटिव जिनकी 75 प्रतिशत या अधिक शूटिंग उत्तराखंड की बोलियों में होगी। 30 प्रतिशत या रु. 15 लाख (जो भी कम हो) यदि प्रोसैसिंग उत्तराखंड स्थित लैब में होगी अन्यथा 25 प्रतिशत या रु. 10 लाख (जो भी कम हो) यदि प्रोसैसिंग बाहर हुई हो।
- उत्तराखंड सरकार का सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम भी है जो निवेशकों को सुविधा देता है कि अपना कारोबार स्थापित व शुरु करने के लिए राज्य सरकार से जरूरी मंजूरियां एक ही प्लैटफाॅर्म से प्राप्त कर सकें, किसी भी अनुमोदन/लाइसेंसिंग प्राधिकरण के साथ भौतिक सम्पर्क के बगैर।
नीतियों और परियोजनाओं के बारे में और अधिक बताते हुए उत्तराखंड फिल्म टूरिज्म बोर्ड के नोडल ऑफिसर के.एस. चौहान ने कहा, ’’उत्तराखंड 2015 में फिल्म पाॅलिसी जारी करने के उपरांत अभी तक 400 से अधिक फिल्मों, धारावाहिक, सॉन्ग की परमिशन दी गई है। यह आंकड़ा अपने आप मे बहुत बड़ा है।
इसका कारण फिल्म नीति में कई सुविधायें, फिल्म शूटिंग की सिंगल विंडो के तहत एक ही दिन में फिल्म शूटिंग की अनुमति, बेस्ट शूटिंग डेस्टिनेशन, जगह-जगह फिल्म सेमिनार में उत्तराखंड फिल्म डेस्टिनेशन के संदर्भ में फिल्म मेकर को अवगत कराना, मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं फिल्म निर्माताओं से बात करना, फिल्म निर्माताओं से दोस्ताना माहौल, लोकेशन और शूटिंग के संदर्भ में आने वाली किसी भी समस्या का त्वरित निवारण आदि प्रमुख कारण है।
उन्होंने आगे बताया कि फिल्म शूटिंग से प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये का राजस्व सरकार को टैक्स के रूप में और स्थानीय स्तर पर लोगों को करोड़ो का रोजगार होटल, कार, कैटरिंग आर्टिस्ट के रुप में प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं की फीडबैक रिपोर्ट और अन्य कई फिल्म शूटिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा किये गए, प्रयास से ही उत्तराखंड को वर्ष 2017 में स्पेशियल मेंशन पुरस्कार, 2018 में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली का प्रथम पुरस्कार, 2019 में बेस्ट फिल्म पर्यटन डेस्टिनेशन का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया गया।
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