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उत्तराखंड विधानसभा सत्र में दिवंगत प्रकाश पंत को दी गई श्रद्धांजलि

विधान सभा सत्र का पहला दिन

पूर्व मंत्री प्रकाश पंत की यादें हमेशा स्मरणीय रहेगी : मुख्यमंत्री

स्व. पंत के नाम पर होगा विधानसभा का नवीन भवन

श्रद्धांजलि देते हुए तीन बार फफक पड़े मुख्यमंत्री 

संस्मरण सुनाते-सुनाते नेता प्रतिपक्ष भी हुई भावुक 

 देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा का सत्र सोमवार को शुरु हुआ। सत्र के पहले दिन सदन ने दिवंगत पूर्व संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की। सदन में प्रवेश करने से पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों के साथ ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों ने मुख्य द्वार पर पंत के चित्र पर पुष्पांजलि की। इसके बाद ही सदन में प्रवेश किया। पहले दिन दिवंगत कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत को समूचे सदन ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। सदस्यों ने कहा कि पूर्व मंत्री प्रकाश पंत की यादें हमेशा स्मरणीय रहेगी, उनकी कार्यशैली हमेशा हमें प्रेरणा देती रहेगी। सदस्यों ने कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन से उत्तराखंड को अपूर्णीय क्षति हुई है। 

सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही वंदेमातरम के साथ शुरु हुई। उसके पश्चात कार्यवाहक संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने प्रस्ताव रखा कि नियम-315 में शिथिलिकरण करते हुए आज के प्रश्नकाल को निलंबित करते हुए दिवंगत कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की जाए। उनके इस प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित करते हुए प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके साथ के अपने अनुभवों को साझा किया। पूरे सदन ने दिवंगत पूर्व मंत्री प्रकाश पंत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा परिसर में स्थित नवीन भवन का नाम स्वर्गीय पंत के के नाम पर ‘प्रकाश पंत विधानसभा अतिथि गृह’ रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्व.पंत ने राज्य में स्वस्थ संसदीय परंपरा की नींव डाली।

अपने सहयोगी मंत्री के कार्यों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री रावत तीन बार फफक पड़े और उनका गला भर आया। पानी पीने के बाद उन्होंने कहा कि राज्य से जुड़े तमाम सवालों के समाधान में पंत ने अहम भूमिका निभाई। हमने एक समाधानकर्ता खो दिया, उनकी कमी हमेशा खलेगी। यह कहते-कहते उनका गला भर आया। कुछ देर चुप रहने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारी ने जब दस्तक दी, तब समझ नहीं सके। जब समझे तो देर हो चुकी थी। सभी ने पंत के स्वस्थ होने की कामना की, मगर नियति को यह मंजूर नहीं थी। इसके बाद फिर वे एक बार फिर फफक पड़े।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए नेता सदन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रकाश पंत की राजनीति के साथ-साथ समाज सेवा व साहित्य के क्षेत्र में भी विशेष रूचि थी। छात्र जीवन से ही वे राजनीति से जुड़े रहे। 1998 में प्रकाश पंत जी उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए। नवगठित राज्य उत्तराखण्ड राज्य के वे अंतरिम विधानसभा के अध्यक्ष रहे। काॅमनवेल्थ देशों में से किसी राज्य का सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्रकाश पंत को हांसिल हुआ।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि श्री पंत जी ने ‘एक आवाज प्रारब्ध’ कविता संग्रह, ‘मेरी आदि कैलाश यात्रा’ यात्रावृत्त, ‘एक थी कुसुम’ कहानी संग्रह व ‘लक्ष्य’ निबन्ध लिखा। राज्य स्तरीय निशानेबाजी में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हांसिल किया। प्रकाश पंत जी केवल राजनेता के तौर पर ही नहीं बल्कि आकर्षक व्यक्तित्व के धनी भी थे। सदन में सबको साथ लेकर चलने की उनकी कुशलता, वित्तीय मामलों का ज्ञान व विपक्ष के हर तीखे वारों का जबाब सरलता से देना उनकी खूबी थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जनसमयाओं व अन्य मामलों को प्रकाश पंत जी बड़ी गम्भीरता से सुनते थे व समस्याओं का समाधान करने का हर सम्भव प्रयास करते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकाश पंत की यादें हमेशा स्मरणीय रहेंगी। उनकी कार्यशैली हमेशा हमें कार्य करने की प्रेरणा देती रहेगी।

नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि प्रकाश पंत अपने ज्ञान को विनम्रता पूर्वक प्रस्तुत करते थे। उन्होंने प्रकाश पंत से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। सदन में नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत का असामयिक निधन हम सबकी अपूरणीय क्षति है। ज्ञान को विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत करने की कला पंत में थी। यह खूबी कहीं नजर नही आती। उन्होंने पंत से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि हम प्रकाश पंत को कई बार कहते थे कि आबकारी विभाग तुमने गलत लिया, यह तुम्हारे चरित्र के अनुरूप नहीं है। संस्मरण सुनाते-सुनाते वह भावुक हो गईं और गला भर आया।

सदन के उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि स्वर्गीय पंत ऐसे नेता थे, जिन्हें सभी फॉलो करते थे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री के रूप में पंत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। उनकी धरोहर को चिरस्थायी बनाए रखने का प्रयास होना चाहिए ।

सरकार के मंत्रियों ने भी सदन में अपने साथी दिवंगत प्रकाश पंत को याद किया। कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्व.पंत का राज्य के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत ने नर सेवा से नारायण सेवा के कथन को फलीभूत किया। जीएसटी काउंसिल में भी पंत ने छाप छोड़ी। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि प्रकाश पंत वह पुंज थे, जिन्होंने राजनीति में उच्च मानदंड स्थापित किए। कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की भांति स्व.पंत ने राज्य के विकास में भूमिका निभाई।

कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि व्यक्ति पद या पैसे से बड़ा नहीं होता, इंसानियत से बड़ा होता है। प्रकाश पंत ऐसे ही व्यक्ति थे। राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सभी को प्रकाश पंत के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए। राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य से जुड़े विषयों में जहां भी कठिनाई आई, उसके निराकरण में प्रकाश पंत ने अहम भूमिका निभाई।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रभारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक, सतपाल महाराज, प्रीतम सिंह पंवार, वंशीधर भगत, विनोद कंडारी, विशन सिंह चुफाल, राजकुमार, हरबंश कपूर,हरबंस कपूर, कैलाश गहतौड़ी, राजेश शुक्ला, विनोद चमोली, काजी निजामुद्दीन, प्रीतम पंवार, बंशीधर भगत, विनोद कंडारी, बिशन सिंह चुफाल, राजकुमार, गणेश जोशी, महेंद्र भट्ट, पुष्कर सिंह धामी, मुन्ना सिंह चौहान, मनोज रावत, प्रदीप बत्रा, राजकुमार ठुकराल, दिलीप रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, आदेश चौहान, ममता राकेश, देशराज कर्णवाल, हरभजन सिंह चीमा, महेश नेगी, ऋतु खंडूड़ी, सुरेश राठौर, सुरेंद्र सिंह नेगी, मुकेश कोली, सौरभ बहुगुणा, मीना गंगोला, सुरेंद्र सिंह जीना, संजय गुप्ता, सहदेव सिंह पुंडीर, स्वामी यतीश्वरानंद, राम सिंह कैड़ा, चंदनरामदास, बलवंत भौंर्याल, पूरन फर्त्याल, प्रेम सिंह राणा, विस उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान आदि सदस्यों ने अपने विचार रखे और प्रकाश पंत से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।   

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