नाम वापसी के बाद ही साफ होगी तस्वीर
देहरादून । उत्तराखण्ड में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी से टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस-भाजपा के लिए अपने नेता ही बड़ा सिरदर्द बने हुए हैं। विधनसभा चुनाव की एक दर्जन से अध्कि सीटों पर कांग्रेस व भाजपा के नेताओं ने पार्टी से बगावत कर चुनावी रणभूमि में अपनी ताल ठोक रखी है इसके चलते दोनों दलोें के क्षत्रपों की नींद उड़ी हुई है।
बगावत पर उतरे कई उम्मीदवार इतने मजबूत हैं कि वह चुनावी जंग में उतर गये तो अपनों को ही वह चारों खाने चित कर देंगे। इसलिए दोनों दलों के बड़े नेताओं ने बगावत पर उतरे नेताओं को चुनावी रणभूमि में पार्टी के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए अपनी ताल ठोकी हुई है। चर्चा है कि धर्मपुर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकने वाली रजनी रावत को कांग्रेस के चन्द दिग्गज नेताओं ने उनका नामांकन वापस कराने के लिए मना लिया है और अगर रजनी रावत व बसपा के उम्मीदवार ने चुनाव मैदान से अपने हाथ खींचे तो विनोद चमोली की जीत में एक बड़ा ग्रहण लग सकता है। वहीं दोनों दलों के नेता अपने बगावतियों के नाम वापस होने के बाद चुनावी रणभूमि में एक दूसरे को पस्त करने के लिए मैदान में कूद जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि जैसे ही उत्तराखण्ड में चुनाव का बिगुल बजा तो कांग्रेस व भाजपा के दर्जनों नेताओं ने चुनावी रणभूमि में उतरने के लिए खाका बनाया हुआ था लेकिन जैसे ही दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की तो दर्जनों नेताओं ने पार्टी से बगावत कर चुनाव में अपनी ताल ठोक दी। कांग्रेस व भाजपा के लिए अपने एक बड़ा सिरदर्द बन गये और उन्हें मनाने के लिए दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं ने अपनी पूरी ताकत लगा दी।
कांग्रेस व भाजपा चुनाव मैदान में उतरे अपने बागी नेताओं के नामांकन वापस कराने के लिए रात दिन एक कर रखा है। इस आपरेशन में कांग्रेस व भाजपा ने अपने चन्द बगावतियों को तो चुनाव मैदान से उतारने में सपफलता हासिल कर ली। भाजपा व कांग्रेस में अभी भी एक दर्जन से अधिक बागवती नेताओं को चुनाव मैदान से हटाने की बड़ी चुनौती है। इन बगावतियों को चुनाव मैदान से हटाने का काॅउन डाउन शुरू हो रखा है।