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नवरात्रि कल से…. कैसे करें कलश की स्थापना जानें शुभ मुहूर्त और विधि

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

इस बार कब से शुरू होगी नवरात्रि, जानें तिथियां

17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार)- द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- तृतीय माँ चंद्रघंटा 
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)- चतुर्थी माँ कुष्मांडा 
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)- पंचमी माँ स्कंदमाता 
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)- षष्ठी माँ कात्यायनी 
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- सप्तमी माँ कालरात्रि 
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- अष्टमी माँ महागौरी, दुर्गा महा नवमी, पूजा दुर्गा, महा अष्टमी पूजा
25 अक्टूबर 2020 (रविवार)- नवमी मां सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारणा, विजयादशमी
26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- दुर्गा विसर्जन

 

शनिवार से इस बार नवरात्रि (Navratri 2020) शुरू हो रही है। हिन्दू धर्म मान्यताओं के अनुसार इस नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं।
ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में आता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक है। 26 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा। नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। 

कलश स्थापना शुभ समय

घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं,  तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। यह 40 मिनट का होता है। हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं बताया गया है।

कलश स्था‍पना की तिथि और शुभ   मुहूर्त

नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से है। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त शनिवार 17 अक्टूबर, प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है। घट स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा। 

जानिए कैसे करें कलश यानि घट की स्थापना …… 

नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।
मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
कलश स्थाशपना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी पूरे नौ दिनों तक जला सकते हैं।

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