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National Register of Citizens (NRC) उत्तराखंड में भी होगा लागू : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

योगी और खट्टर भी कर चुके हैं NRC लागू करने की बात 

मंत्रिमण्डल की बैठक में विचार-विमर्श के बाद होगा लागू 

देश के वास्तविक नागरिकों को दर्ज करना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त है NRC 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री जगदीश खटटर के बाद बड़ा बयान देते हुए कहा कि सामरिक महत्व के उत्तराखंड में भी National Register of Citizens (NRC) लागू होगा लेकिन मंत्रिमण्डल की बैठक में विचार-विमर्श के बाद।

यहां एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त प्रदेश होने के कारण उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा घुसपैठ से बचना है तो इसे लागू करना चाहिए।  इस संबंध में वह मंत्रिमंडल से विचार विमर्श करेंगे। 

National Register of Citizens (NRC) का क्या है जानिए 

National Register of Citizens (NRC)  का उद्देश्य देश के वास्तविक नागरिकों को दर्ज करना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त करना है। वर्ष 1951 में असम में पहली बार पंडित नेहरू की सरकार द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए किया गया था। बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे। 

 

वहीं वर्ष 1980 के दशक में वहां के कट्टर क्षेत्रीय समूहों द्वारा National Register of Citizens (NRC) को अपडेट करने की लगातार मांग की जाती रही थी। असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए राजीव गांधी सरकार ने 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें 1971 के बाद आने वाले लोगों को National Register of Citizens (NRC) में शामिल न करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। 

गौरतलब हो कि अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए असम राज्य की कांग्रेस सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में साल 2010 में National Register of Citizens (NRC) को अपडेट करने की शुरुआत प्रदेश के दो जिलों- बारपेटा और कामरूप से की थी। लेकिन, बारपेटा में हिंसक झड़प के बाद यह प्रक्रिया रुक गई।

हालांकि बाद में National Register of Citizens (NRC) का काम एक स्वयंसेवी संगठन असम पब्लिक वर्क्स द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से ही फिर से शुरू हो सका। वर्ष 2015 में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में National Register of Citizens (NRC) का काम फिर से शुरू किया।

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