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सत्ता चाहिए तो सरकार और संगठन में बदलाव करना होगा : संघप्रिय गौतम

  • शाह-मोदी का जादू खत्म :संघप्रिय गौतम 
  • शिवराज को पार्टी अध्यक्ष तो गडकरी को बनें उप प्रधानमंत्री
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री संघप्रिय गौतम ने 2019 में केंद्र की सत्ता में भाजपा की वापसी के लिए सरकार और संगठन में बदलाव की बात करते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाकर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और नितिन गडकरी को उप-प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव पार्टी को दिया है। 88 वर्षीय गौतम ने कहा कि पार्टी को बचाने के लिए सरकार और संगठन में बदलाव अब जरुरी है क्योंकि बदलाव के बाद ही निराश पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह और विश्वास का संचार होगा। श्री गौतम ने कहा कि ऐसा न होने पर नरेन्द्र मोदी का फिर से प्रधानमंत्री बनना आसान नहीं होगा। 

पार्टी का दलित चेहरा रहे गौतम ने कहा ‘‘भाजपा काला धन वापस लाने, महंगाई खत्म करने, भ्रष्टाचार दूर करने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। ये तीनों वादे पूरे नहीं हुए। उल्टा पीएनबी घोटाला और राफेल के आरोप लगे। हाल ही में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने खुद कहा था कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार उनके विभाग में है।’’ गौतम के मुताबिक, उन्होंने 13 दिसम्बर को पार्टी के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसके बाद ही नितिन गडकरी ने चुनावी हार के लिए पार्टी सेनापति को जिम्मेदार बताते हुए संगठन में बदलाव की बात कही थी।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री गौतम के अनुसार, ‘‘मोदी मंत्र और अमित शाह का चक्रव्यूह हाल में पांच राज्यों के चुनाव में निष्प्रभावी हो गया और हार की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष को खुद लेनी चाहिए।’’ उन्होंने सरकार और संगठन में बदलाव का सुझाव देते हुए कहा, ‘‘वह योगी आदित्यनाथ को हटाकर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और नितिन गडकरी को उप-प्रधानमंत्री बनाने के पक्षधर हैं।’’ 

”पूर्व केन्द्रीय मंत्री गौतम ने पार्टी और सरकार का ग्राफ गिरने की वजह बताते हुए कहा ‘‘ संविधान को बदलने की बात करना, संविधान से छेड़छाड़ करना, योजना आयोग को नीति आयोग में बदलना, सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, सीबीआई आदि संवैधानिक संगठनों में दखलअंदाजी, आर्थिक क्षेत्र में लिए निर्णयों ने प्रतिकूल असर डाला। मणिपुर और गोवा में जोड़-तोड़ की राजनीति से सरकार बनाना, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना, कर्नाटक में एक दिन की सरकार बनाना विवेकहीन निर्णय रहे।’’ 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री गौतम के मुताबिक, 13 दिसंबर के पत्र में उन्होंने लिखा कि बेरोजगारी, किसानों का कर्ज माफ नहीं करना, गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करना, किसानों को लागत मूल्य अनुसार उपज के दाम नहीं दिलाना आदि का नकारात्मक असर पड़ा। भ्रष्टाचार, महंगाई, कालाधन जैसे मुद्दों को छोड़कर धर्म, मंदिर-मस्जिद, शहरों के नामकरण, गोकशी के नाम पर भीड़ हिंसा को बढ़ावा मिलना… देश में अलग-अलग समूहों की आरक्षण की मांग और दलित आंदोलन हुए। सीमा पर जवानों की शहादत जारी है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिनकी वजह से जनता का विश्वास टूटा। 

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव होने हैं, लेकिन हालात से ऐसा लगता है कि अब मोदी मंत्र कारगर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा का सत्ता में आना और मोदी का पीएम बनना तो जरूरी है, लेकिन साथ ही सरकार और संगठन में बदलाव भी जरूरी है। इसके लिए नितिन गडकरी को उप प्रधानमंत्री बनाना चाहिए। बदलाव से कार्यकर्ताओं में विश्वास पैदा होगा।’’ गौतम के मुताबिक, पार्टी बनाने में चार लोगों का हाथ रहा है। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी, प्रमोद महाजन, कल्याण सिंह और वह स्वयं शामिल थे। उन्होंने कहा ‘‘संगठन को मजबूत बनाने में लौह पुरुष लाल कृष्ण आडवाणी की भूमिका अहम रही। तमाम बुजुर्ग नेता भले ही खुलकर कुछ न कहें लेकिन अगर उनसे बात की जाए तो वह अपना दर्द जरूर बयां करेंगे।’’

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