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हरीश रावत का गैरसैंण की आड़ में सरकार पर प्रहार

पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन

देहरादून । कांग्रेस सरकार के समय हुए ग्राम विकास अधिकारी भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है। उनका कहना है कि मामले की जांच उन्हीं ने बैठाई थी। अब सरकार भले ही बदल गई हो लेकिन दोषियों पर कार्रवाई होनी जरूरी है।

देहरादून में रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उनके कार्यकाल में ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत पर आई थी, जिसपर जांच बैठाई गई थी। अब उस जांच रिपोर्ट में अगर गड़बड़ी की पुष्टि हुई है तो मौजूदा भाजपा सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। वह कार्रवाई के पक्ष में हैं। उन्होंने मामले की गंभीरता से जांच करने की बात कही।

उधर, हरीश रावत ने भाजपा सरकार के बजट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बजट में कहीं भी राज्य के विकास की बात नजर नहीं आई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बजट में उनकी कई योजनाओं को शामिल किया है। जबकि कुछ केंद्र की योजनाएं रखी हैं। अपना खुद का विजन बजट से गायब है। ऐसे में उत्तराखंड के विकास का संकल्प कैसे भाजपा पूरा करेगा, यह बड़ा सवाल है।

हरीश रावत भले ही चुनाव हार गए हों और सक्रिय राजनीति का चेहरा न हों, लेकिन वे सुर्खियों में रहना बखूबी जानते हैं। विधानसभा सत्र शुरू होने पर गैरसैंण मुद्दे पर धरना देकर जहां मीडिया का ध्यान खींचा, वहीं अब लीची और बासमती के शहर में काफल पार्टी आयोजित कर सुर्खियों में आ गए। काफल पार्टी महज एक फलाहार का मौका नहीं था। इसके माध्यम से उन्होंने राज्य की संस्कृति से जुड़ाव और लोगों की नब्ज पकड़ने की कोशिश की। वहीं, गैरसैंण के बाद काफल के माध्यम से सत्ता पर भी प्रहार किया।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नेअपने कैंप कार्यालय में एक काफल पार्टी का आयोजन किया। इसके लिए शहर के तमाम लोगों को आमंत्रित भी किया गया। इस मौके पर पार्टी के राजनीतिक निहितार्थ की बात चली तो हरीश रावत ने अपने अंदाज में कहा कि काफल उत्तराखंड का एक पारंपरिक फल है।

इसे खाने से लोगों के बीच अच्छे संबंध विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि काफल केवल फल ही नहीं है, यह संस्कृति, परंपरा और बेटी के अपने मायके से रिश्ते का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वे तो यह चाहते हैं कि इस परंपरा से सभी जुड़ें और इसे आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि राज्य की संस्कृति और आर्थिकी के लिए मंडुवा और झंगोरा को बढ़ावा देने की जरूरत है।

इससे उत्तराखंड और गैरसैंण का एजेंडा मजबूत होगा। पर्वतीय क्षेत्र के मुश्किल जीवन को राहत राहत पहुंचाने के लिए पिछली सरकार के रोड मैप को जनता भूल नहीं पाएगी। इस मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और विधायक काजी निजामुद्दीन, राष्ट्रीय सचिव अनुपमा रावत, सुरेंद्र कुमार, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी, प्रवक्ता आरपी रतूड़ी, गरिमा दसौनी, संजय भट्ट आदि मौजूद थे।

devbhoomimedia

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