सहस्रधारा, हर्षिल, बद्रीनाथ और खर्साली हेलीपेडों से हेलीकॉप्टरों की उडान पर रोक
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखण्ड के शासन में चंद बडे पदों पर बैठे अफसर इतने लापरवाह हो गये है या यूँ कहें हेली कंपनियों के प्यार में इतने पागल हो गए हैं कि उन्होंने चारधाम में आने वाले सैकडों यात्रियों की जिन्दगी से खिलवाड करते हुए चार हवाई पट्टियों से उडने वाले हेलीकॉप्टरों को मानक के अनुसार उडाने में ही लापरवाही का खेल खेल दिया, जिसका परिणाम बीते रोज बद्रीनाथ में उस समय देखने को मिला जब हेलीकॉप्टर टेक ऑफ (उड़न भरते) करते हुए क्रैश हो गया, जिसमें एक इंजीनियर की मौत हो गई थी।वहीँ इससे पहले केदारनाथ में हुए कई हैली दुर्घटनायें भी हुई हैं।
बद्रीनाथ में हुए इस हादसे के बाद डीजीसीए ने उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से सहस्रधारा, हर्षिल, बद्रीनाथ और खर्साली हेलीपेडों से हेलीकॉप्टरों की उडान पर रोक लगा दी है इससे सरकार को एक बडा झटका लगा है। हैरानी वाली बात तो यह है कि चारधाम में उडने वाले कुछ हेलीकॉप्टर तो मानकों को ठेंगे पर रखकर उडाये जा रहे थे और बीते रोज भी छह यात्रियों के स्थान पर आठ यात्रियों को हेलीकॉप्टर में टैम्पू की तरह भरा गया जिससे हादसे में एक इंजीनियर की मौत हो गई।
हैरानी वाली बात है कि एक ओर तो सरकार देशभर के यात्रियों को सुगम यात्रा का संदेश देकर उत्तराखण्ड बुला रहे हैं वहीं सरकार के गैर जिम्मेदाराना रूख से यात्रियों की जिन्दगी के साथ आये दिन खेल खेला गया? यह खेल इतना भंयकर था कि भगवान के दर्शन करने वाले यात्रियों को इस बात का भी आभास नही रहता था कि वह मौत की उडान उड़ रहे हैं? त्रिवेन्द्र सरकार पर जिस तरह से एक और दाग लगा है उससे चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों के मन में एक बडा डर दिखाई दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि कल सुबह हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे के मद्देनजर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सहस्रधारा, हर्षिल, बद्रीनाथ और खर्साली हेलीपेडों तक कल से हेलीकॉप्टरों के जाने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इन चारों हेलीपैडों तक हेलीकॉप्टर सेवाओं पर रोक को चारधाम यात्रा के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि ये जगहें तीर्थयात्रा मार्ग पर ही हैं। उत्तराखंड के मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में डीजीसीए ने कहा कि इन हेलीपेडों तक सभी हेलीकॉप्टर सेवाएं 11 जून से अगले आदेश तक रोकी जाती है।
इस बीच, बद्रीनाथ में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए इंजीनियर के बारे मे बताया जाता है कि उन्होंने जब हेलीकॉप्टर से कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश की, उस वक्त वह हेलीकॉप्टर के रोटर ब्लेडों की चपेट में आ गए। चालक दल का हिस्सा रहे विक्रम लांबा असम के रहने वाले थे। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया, उन्होंने कोई सीट बेल्ट नहीं पहन रखी थी और जब उन्होंने खुद को बचाने के लिए बाहर कूदने की कोशिश की तो रोटर ब्लेडों की चपेट में आ गए।
डीजीसीए ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि 17 मई 2017 को कहा गया था कि सहस्रधारा, हर्षिल, बद्रीनाथ और खर्साली हेलीपेडों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है इसलिए 31 मई तक एसओपी बना ली जाये और शासन को 31 मई तक जवाब देने के लिए कहा गया था लेकिन उत्तराखण्ड के लापरवाह अफसरों व गैर जिम्मेदार सरकार ने इन चार हवाई पट्टियों पर मूलभूत सुविधाओं के लिए एसओपी बनाने व डीजीसीए को इसकी सूचना देने के लिए कोई पहल नहीं की और सरकार के गैर जिम्मेदाराना अंदाज से कल बद्रीनाथ में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें एक इंजीनियर की मौत हो गई। सवाल उठ रहा है कि आखिरकार चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों को सुरक्षित व सुगम यात्रा देने का त्रिवेन्द्र सरकार दम भर रही है तो वह सैकडों यात्रियों की जिन्दगी के साथ आकाश में क्यों खिलवाड कर रही थी।