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पंचेश्वर परियोजना में टिहरी बांध के विस्थापन के अनुभवों का लिया जाए संज्ञान

देहरादून । पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना से सम्बंधित पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन नीति विषयक मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की बैठक अध्यक्ष/सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित सभागार में बुधवार को सम्पन्न हुई। जिसमें उपसमिति के संयोजक/वित्त मंत्री प्रकाश पंत तथा सदस्य शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक तथा कृषि मंत्री सुबोध उनियाल उपस्थित थे।

ज्ञातव्य है कि भारत-नेपाल के मध्य महाकाली संधि-1996 के अन्तर्गत बनने वाले पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन के लिये कैबिनेट द्वारा मंत्रिमण्डलीय उपसमिति का गठन किया गया था, जिसके क्रम में उप समिति की बैठक हुई। जिसमें परियोजना की पृष्ठभूमि, विवरण, लाभ, पुनर्वास और पुनस्र्थापन, प्रभावितों की आजीविका, स्थानीय विकास क्षेत्र योजना, पर्यटन विकास एवं विविध विषयों पर नीति के प्रारूप पर विचार विमर्श हुआ। बैठक में अध्यक्ष/सिंचाई मंत्री, वित्त मंत्री, शहरी विकास मंत्री तथा कृषि मंत्री द्वारा पूर्व दिनंाक 31 जनवरी, 2018 को इस संबंध में आयोजित बैठक में दिये गये उपसमिति के सदस्यों के सुझावों को नीति में शामिल करने के निर्देशों की समीक्षा की।

उप समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से सुझाव दिये गये कि योजना से प्रभावित होने वाली राजकीय परिसम्पत्तियों के निर्माण कार्यों को भी प्रांक्कलन में शामिल किया जाये, जिससे परियोजना निर्माण से प्रभावित होने वाले संस्थानों यथा व्यवसायिक केन्द्रों, विद्यालय, चिकित्सा आदि अवस्थापना सुविधाओं के लाभ से प्रभावितों को वंचित न होना पडे।    
मंत्रिमण्डलीय उपसमिति के अध्यक्ष/सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति में टिहरी बांध के विस्थापन के अनुभवों को संज्ञान में लिया जाए ताकि बांध निर्माण से प्रभावित किसी मकान मालिक, किरायेदार, भूमिहीन कृषि मजदूर/भूमि हीन कृषक, गैर कृषि मजदूर, लघु कृषक, सेवा क्षेत्र में लगे लोगों के हित प्रभावित न हों। उन्होंने भूमि अधिग्रहण प्रतिकर, भूमि के बदले भूमि, पुनर्वास नीति में प्रभावित परिवारों को दी जाने वाली धनराशि में कीमत सूचकांक में बढ़ोत्तरी को दृष्टिगत रखने आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की।

वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि परियोजना के बनने से प्रभावित होने वाले लोगों के हितों के संरक्षण के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने विस्थापित परिवारों को अन्यत्र बसाये जाने पर वहां राजकीय परिसम्पत्तियों यथा अस्पताल, विद्यालय, पेयजल, विद्युत, सड़क आदि बुनियादी सुविधाओं को डीपीआर में शामिल करने की समीक्षा की। परियोजना के निर्माण के दौरान आजीविका के लिये प्रतिकर की राशि वर्तमान परिपेक्ष्य में तय करने का सुझाव दिया। उन्होंने इलैक्ट्रानिक मीडिया को साक्षात्कार देते हुए कहा कि पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन नीति के ड्राफ्ट बैठक में उपसमिति द्वारा संस्तुतियां शामिल की गई है, जिसमें क्षेत्र की जनता के हितों के संरक्षण को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि जहां इस राष्ट्रहित की परियोजना से देश को लाभ मिलेगा वहीं प्रदेशवासियों के हितों को संरक्षित रखना प्रदेश सरकार का दायित्व है। जिसके लिये कई चरणों में उपसमिति की बैठक की गई है। उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध से प्रभावितों की आजीविका प्रभावित न हो, इसका भी ध्यान रखना राज्य सरकार का दायित्व है। जिसके मद्देनजर सबको साथ लेकर पुनर्वासन नीति का ड्राफ्ट कैबिनेट में लाया जायेगा।

शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक ने पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में सम्भावित समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग को निर्देश दिये कि नीति में इस बात का स्पष्ट ध्यान रखा जाए कि विस्थापितों के हित प्रभावित न हों। उन्होंने गृह निर्माण सहायता, एक मुश्त आजीविका राशि सहायता में वृद्धि करने तथा निर्वाह भत्ता आदि अनेक मदों में योजना निर्माण के समय की दरों को ध्यान में रखते हुए मानक तय करने के निर्देश दिये। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन नीति में आस-पास के गंाव के हितों को भी संरक्षित करने का प्राविधान किया जायेगा। उन्होंने टिहरी बांध के पुनर्स्थापन के अनुभव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उसको ध्यान में रखकर पुनस्र्थापन नीति तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि टिहरी बांध के निर्माण से भिलंगना ब्लाॅक में भूमि कटाव तथा डोबराचाटी पुल के टिहरी बांध परियोजना में शामिल न होने के कारण परियोजना की लागत में कई गुना वृद्धि हुई है। जिन कमियों को पंचेश्वर बांध परियोजना में ध्यान रखकर नीति को तैयार कर कैबिनेट में रखा जायेगा।

बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई आनन्द बर्द्धन, सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी, अपर सचिव रणवीर सिंह चैहान, मुख्य अभियंता राजकीय सिंचाई आदित्य कुमार दिनकर, अपर सचिव सिंचाई देवेन्द्र पालीवाल आदि उपस्थित थे। 

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