निष्कासित हुए कार्यकर्ताओं का गंगोत्री में बागी सूरत राम को समर्थन
देहरादून: उत्तराखण्ड में सरकार बनाने के लिए गंगोत्री सीट को जीतना जरुरी माना जाता है। लेकिन इस बार सरकार बनाने का ख्वाब देख रही भाजपा के लिए ये राह आसान नहीं दिख रही। प्रदेश भर में भाजपा और कांग्रेस में लगी बगावत की आग अब भीतरघात का रूप ले चुकी है। गंगोत्री सीट पर भी कुछ यही देखने को मिल रहा है।
सूरत राम नौटियाल के बगावती रुख के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर गंगोत्री के कार्यकर्ताओं को कड़ा सन्देश देना चाहा। लेकिन निष्कासन का यह दांव भाजपा पर ही उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है। सूरतराम नौटियाल को इस चुनाव में लोगों की संवेदना व समर्थन मिल रहा है।
गंगोत्री सीट पर भाजपा ने रविवार को तेरह कार्यकर्ताओं को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए बहार का रास्ता दिखा दिया। ये वो लोग है जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे भाजपा के पूर्व नेता सूरत राम नौटियाल का समर्थन कर रहे है।
भाजपा को उत्तरकाशी जिले में प्राण वायु देने वालों में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सते सिंह राणा और बुद्धि सिंह पंवार सहित मुरारी लाल भट्ट, महेश पंवार , जगमोहन रावत , बिहारी लाल नौटियाल , दिनेश सेमवाल , विजय बहादुर सिंह रावत , गिरीश रमोला , हरीश नौटियाल , खुशाल सिंह नेगी , धृपाल पोखरियाल , राजेश सेमवाल को निष्कासित लोगों कर दिया है।
भाजपा से निष्कासित ये नेता अब खुल कर सूरत राम नौटियाल के समर्थन में आ गए है। ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल अगर किसे होती है तो वो भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत हैं। समीकरणों की माने तो भाजपा का एक बड़ा धड़ा सूरत राम के साथ खड़ा हो गया है।
जिससे भाजपा का कैडर वोट भी बिखर सकता है। भाजपा के वोट बंटने से कांग्रेस को फायदा मिल सकता। भाजपा में जिस तरह के हालात गंगोत्री सीट पर बन रहे उससे भीतरघात की संभावना से भी इनकार नही किया जा सकता।
पार्टी ने कार्यकर्ताओं को निष्कासित करके भले ही कडा सन्देश देने की कोशिश की लेकिन ये दांव अब भाजपा के लिए ही मुसीबत का सबब बन सकता है। भाजपा में मचे इस कोहराम से गंगोत्री सीट पर कांग्रेस की राह आसान हो सकती और जैसा कि मिथक है जिसकी गंगोत्री उसकी सरकार तो फिर राज्य के चुनाव समीकरण भी धरे के धरे रह जाएंगे।