- लाछा और बिसोई गांव में होगा धूमधाम से गोगा वीर का पूजन
- देवता की शिला पर बुरांश व 14 प्रकार के पुष्प अर्पित कर मांगेंगे मन्नतें
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देवभूमि मीडिया ब्यूरो
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ग्रामीणों में पर्व को लेकर विशेष उत्साह है। क्षेत्र के 367 राजस्व गांवों व करीब 200 खेड़ों व मजरों में पौराणिक पर्व की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 17 अप्रैल तक चलने वाले बिस्सू पर्व पर ठाणा डांडा, चुरानी, खुरुड़ी डांडा, मोकाबाग, लाखामंडल, गेवालानी, क्वानू, नागथात, चैलीडांडा में बिस्सू मेलों में हजारों श्रद्धालु जुटेंगे और लोक संस्कृति की अनूठी छाप छोड़ेंगे। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर पूरे विश्व में अनूठी लोक संस्कृति के लिए विख्यात है। यहां हर तीज त्योहार भी निराले हैं, लेकिन बिस्सू पर्व की बात की अलग है।
कनबुआ, समोग, डिमऊ, बमराड़ में जहां शिलगुर देवता की पालकी निकाली गई, वहीं संवाई में महासू देवता की पालकी को कंधा देने के लिए लोग आतुर दिखे। अलसी, भंजरा, जिसऊ घराना, कोटी विशाइल, कोरुवा, हयो में देव छड़ी के दर्शन के लिए लोगों का सैलाब उमड़ने जा रहा है ।
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पूरे क्षेत्र के हर गांव मजरे में मनाए जाने वाले बिस्सू पर्व की तैयारियां जोरों पर है। हर गांव के लोग अपने अपने घरों की सफाई करने के साथ बाजारों से जरूरत के सामान की खरीददारी भी कर चुके हैं। 14 अप्रैल से देव आस्था के साथ फुलियात के रूप में स्थानीय जंगलों से बुरांस के फलों को तोड़कर मंदिरों में चढ़ाने व परिवारों की खुशहाली के लिए मंदिरों में देव दर्शन की परंपरा है। कई स्थानों पर लगने वाले बड़े मेलों में लोग ढोल बाजों के साथ पौराणिक वेशभूषा में पुरुष ठोडा नृत्य व महिलाएं लोक गीतों व नृत्यों से समा बांधेंगे। यह पर्व क्षेत्र की 39 खतों में जोरदार तरीके से मनाया जाता है।