EXCLUSIVE

# Me Too में फंसे भाजपा नेता की बैकडोर से आखिर कौन है जो करवाना चाहता है एंट्री !

#Me Too का भूत है कि पीछा छोड़ने को नहीं तैयार 

कहीं चर्चित  नेता के पास इन बड़े लोगों के कुछ राज तो नहीं ?

राजेंद्र जोशी 

देहरादून : #Me Too मामले में न्यायालय, पुलिस जांच प्रधानमंत्री कार्यालय की जांच और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका की आंच से झुलस रहे पूर्व भाजपा संगठन महामंत्री संजय कुमार की भाजपा में बैकडोर से एक राष्ट्रीय और एक प्रादेशिक नेता एक बार फिर पार्टी की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं।  लेकिन #Me Too का भूत है कि इनका पीछा छोड़ने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं है।  

गौरतलब हो कि उत्तराखंड की राजनीती में भाजपा का एक कथित कद्दावर नेता बीती नवंबर 2018 को उस समय सुर्ख़ियों में आ गया था जब एक महिला कार्यकर्ता ने उसे यह कहकर कि उसने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया गया है। युवती ने चर्चित नेता को  #Me Too मामले में उस समय फंसा डाला जब देश के नामचीन लोग #Me Too में फंसने के बाद चर्चित हो रहे थे। इतना ही नहीं स्थानीय लोग तो बाबा राम रहीम की तर्ज पर इस भाजपा नेता की ”गुफा” में जाने से जाने से कतराने लगे थी लेकिन  दौरान भी कुछ महिलायें थी जिनकी उसकी ”गुफा” तक सीधी पहुँच थी। लेकिन भाजपा से अचानक गायब हुए इस नेता से उन महिलाओं ने भी कन्नी कटनी शुरू कर दी यहाँ तक कि एक भाजपा नेत्री को अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ा था। 

गौरतलब हो कि प्रदेश संगठन की तरफ से हरियाणा जाने वाले पदाधिकारियों की जो सूची जारी हुई थी उसमे #Me Too मामले में चर्चित नेता का नाम कहीं भी नहीं था, लेकिन पार्टी के ही कुछ नेताओं की मिली भगत से मंगलवार को जारी सूची में अचानक इस चर्चित नेता को  प्रभारी बनाकर हरियाणा भेजा गया है। सबसे ख़ास बात तो यह है कि उसके नाम संजय कुमार का साफ़ -साफ़ पता न चले इसके लिए चर्चित नेता के नाम के आगे जानबूझकर कुमार के स्थान पर ”जी” का प्रयोग किया गया ताकि किसी को भी यह पता न चल पाए कि यह वही चर्चित नेता है जो #Me Too मामले में अभी भी जांच की आंच से झुलस रहा है। लेकिन पार्टी के ही कुछ पदाधिकारियों ने फ़ोन नंबर से उक्त चर्चित नेता को पहचान लिया और खबर ख़ास  से आम हो गयी।

विदित हो की प्रताड़ित महिला ने पुलिस को धारा 164 के अपने बयान में कहा था कि उक्त महामंत्री संगठन संजय कुमार ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया जिसकी थाना कोतवाली देहरादून में रिपोर्ट भी दर्ज की गयी थी। इसके बाद पुलिस ने सरकार के दबाव में जांच की तो #Me Too मामले में चर्चित   प्रयास शुरू हो गए लेकिन फिर भी पुलिस इसे बचा नहीं पायी और उसे मामले में कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल करनी पड़ी।  जिसके बाद यह नेता अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ नैनीताल हाई कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त  करने में सफल रहा लेकिन उसके बाद पीड़िता ने जहाँ मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी मामले से अवगत कराया, जिसपर बीते कुछ दिनों पहले ही पीएमओ से राज्य सरकार को पुनः जांच के आदेश दिए गए हैं।

ऐसे में अब क्या यह मुद्दा हरियाणा चुनाव में सुर्ख़ियों में नहीं आएगा और इससे भाजपा जैसी चाल , चरित्र और चेहरे वाली पार्टी की क्या वहां फजीहत नहीं होगी ?  कहीं इसको बचाने वाले लोग इतने ढीढ नहीं हो गए हैं कि उन्होंने प्रधानमन्त्री कार्यालय से चल रही जांच, सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी जनहित याचिका और नैनीताल हाई कोर्ट में चल रहे केस की भी उन्हें परवाह नहीं है।  आखिर इसके पीछे राज़ क्या है ? कहीं चर्चित  नेता के पास इन बड़े लोगों के कुछ राज तो नहीं जिससे दबाव में #Me Too में फंसे नेता को येन केन प्रकारेण पार्टी में पिछले दरवाजे से पार्टी तो नहीं लाना चाहते ? या सवाल भाजपा सहित राजधानी देहरादून में चर्चा का विषय बना हुआ है।  

 

 

Related Articles

Back to top button
Translate »