सावणी गांव जलकर हुआ ख़ाक सैकड़ों मवेशी भी जिन्दा जले

उत्तरकाशी: मोरी -नैटवाड़ से आगे चलकर पंचगाई पट्टी (पर्वत क्षेत्र) जखोल के सामने एक गांव पड़ता है सावणी , जहाँ बीती देर रात भीषण आग की चपेट में आकर गांव के अधिकाँश कई घर एक साथ धूं-धूं करके जल गए। जखोल के श्री गंगा सिंह रावत के अनुसार 40-50 परिवारों के सावणी गांव अब में मात्र दो घर ही सुरक्षित बचे हुए हैं। उनके अनुसार अभी जानमाल के नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि यह गाँव सुपिन नदी के दूसरे छोर पर है जहाँ पहुँचने के लिए आज भी विकट पैदल मार्ग तय करना पड़ता है।
इस भीषण अग्निकाण्ड से 40 मकान पूर्ण जल गये । जबकि 6 मकान को आंशिक क्षति हुई है । वही 26 बैल, 24 गाय,40 भेड़ बकरी तथा 5 खच्चर के जलने का आंकलन जिला प्रशासन ने लगाया है ।
वहीं जिलाधिकारी ने दूरभाष पर गांव की क्षति एव राहत कार्य की जानकारी शासन को दे दी है जिला अधिकारी आशीष चौहान ने मौके पर जाकर स्थलीय निरिक्षण कर गांव के लोगों के साथ दुःख दर्द जाना उहोंने खुद मोर्चा संभाला जिससे उनकी समाज में साख बड़ी ओर उनके प्रति उत्तरकाशी के जन मानस का विश्वास जगा है ।
मिली जानकारी के अनुसार इस गांव में हुए अग्नि से लगभग 450 भेड़ बकरियों के भी ज़िंदा जलने की जानकारी मिली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आग ने शुक्रवार 1 बजे रौद्र रूप धारण कर लिया। आग कैसे फैली इसका अभी तक सही पता नहीं चल पाया है। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी घर के आग के चपेट में लेने के बाद ही यह हादसा हुआ होगा।
गौरतलब हो कि टोंस सहित रूपिन और सुपिन नदियों के इस क्षेत्र में जितने भी घर बने हैं वे सब देवदार की लकड़ी से निर्मित होते हैं जो ज़रा सी भी चूक से आग पकड़ लेते हैं। इससे पहले भी एक हादसा पूर्व में इसी क्षेत्र के दाट्मीर गाँव में हुआ था जिसमें 35 मकान भरी दोपहरी जलकर राख हो गए थे. यह गाँव सड़क मार्ग से दूर है इसलिए अभी यह जानकारी नहीं मिल पायी है कि बचाव व राहत कार्यों के लिए पहुंची टीम ने वहां पहुँच भी पाई है अथवा नहीं।