दक्षिण अफ्रीका के कारोबारी गुप्ता बंधु की घर में आयकर की छापेमारी

देहरादून : दक्षिण अफ्रीका के चर्चित व्यवसायी गुप्ता बंधुओं की देहरादून के कर्जन रोड स्थित कोठी में गुरुवार को आयकर की टीम ने पुलिस के साथ छापेमारी की। टीम ने घंटों तक कोठी की सघन तलाशी ली। सूत्रों के अनुसार, टीम को कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनको जब्त कर उनका अध्ययन किया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका की विशेष हॉक्स पुलिस ने जोहानिसबर्ग में कारोबार के क्षेत्र में मशहूर गुप्ता परिवार के घर पर बुधवार को छापा मारा था। इस दौरान गुप्ता परिवार से तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। परिवार पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति जुमा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न घोटालों में केंद्रीय भूमिका निभाई थी।
भारत में इसकी सूचना मिलते ही आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया। गुप्ता परिवार की देहरादून के कर्जन रोड पर कोठी है। आयकर की टीम ने गुरुवार सुबह पुलिस का सहयोग मांग कर कोठी में छापेमारी का प्लान बनाया। दोपहर में छापेमारी की कार्रवाई शुरू हुई। टीम ने घर के केयर टेकर से भी पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, पिछले कई साल से गुप्ता परिवार का कोई भी सदस्य इस कोठी में नहीं आया। हालांकि कुछ दस्तावेज कोठी में मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
आयकर विभाग ने अभियान के लिये पुलिस के आला अधिकारियों से सहयोग मांगा था। अधिकारियों ने पुलिस टीम का गठन कर पुलिस लाइन में तैयार रहने को कहा था। तय समय पर आयकर विभाग की टीम पहुंच गई। लेकिन वहां पर पुलिस टीम नहीं थी। नाराजगी जताने पर अधिकारियों ने वायरलैस पर तुरंत टीम को पहुंचने के निर्देश दिये। अधिकारियेां ने इस बात पर नाराजगी भी जताई।
गुप्ता परिवार पर है ‘स्टेट कैप्चर’ का आरोप
भारतीय मूल का गुप्ता परिवार दक्षिण अफ्रीका में ‘ताकतवर’ माना जाता है। उस पर देश की भीतरी राजनीति और नीति निर्माण में दखल देने के आरोप लगते रहे हैं। इसे दक्षिण अफ्रीका में स्टेट कैप्चर कहा जाता है। गुप्ता परिवार के दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा से करीबी रिश्ते रहे हैं। यह माना जाता है कि तीन गुप्ता बंधुओं ने एक सीक्रेट डील के तहत दक्षिण अफ्रीकी की कैबिनेट के चेहरे तय करने में भूमिका निभाई। इसके पीछे कारोबारी हित छुपे थे, जिनका फायदा जुमा के परिवार तक पहुंचना तय था। मूल रूप से सहारनपुर के गुप्ता परिवार के अजय, अतुल और राजेश 1993 में दक्षिण अफ्रीका गये थे। कंप्यूटर का व्यवसाय शुरू करने के बाद जब उनकी इस कारोबार में धाक हुई तो उन्होंने पॉलिटिकल लॉबिंग शुरू की।