ELECTION
डिजिटल प्रचार से प्रचार सामग्री में 90 प्रतिशत की गिरावट
- डिजिटल प्रचार से शहर की खूबसूरती बिगड़ने का ख़तरा ख़त्म!
- सोशल मीडिया से लेकर डोर-टू-डोर कैंपेनिंग का बढ़ा क्रेज़ !
- प्रचार सामग्री विक्रेताओं का हुआ भारी नुकसान !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का शोर तो है। लेकिन बाज़ारों में वो रौनक नहीं जो पिछले चुनावों तक रहा करती थी। दरअसल डिजिटल प्रचार और जनता से सीधे संवाद के फायदों ने पोस्टर-बैनर, झंडे, डंडों की अहमियत को ख़त्म सा कर दिया है। शायद यही कारण है कि पोस्टर बैनर का ये बाजार 90 प्रतिशत तक लुढ़क गया है।
स्थानीय चुनावों में प्रचार-प्रसार के बदले स्वरुप को देखकर लगता है कि धीरे धीरे डिजिटल फार्मूला राजनेताओं को समझ आने लगा है। सोशल मीडिया से लेकर जनता से मिलकर डोर-टू-डोर कैंपेनिंग वोटों के लिहाज से ज्यादा फायदेमंद मानी जाने लगी है। ख़ास बात ये है की इससे न केवल पोस्टर बैनर के खर्चे से नेताओं को छुटकारा मिल रहा है बल्कि शहर की खूबसूरती बिगड़ने का ख़तरा भी ख़त्म हो रहा है। बहरहाल पोस्टर-बैनर के बाज़ार पर नज़र डालें तो विक्रेता बाजार में 90 प्रतिशत की गिरावट बता रहे हैं। विशेषकर बड़े राजनीतिक दल पोस्टर्स का कम सहारा ले रहे हैं और महज निर्दलीयों की ही पोस्टर-बैनर पसंद बने हुए हैं।
राजनीतिक दलों के लिए चुनावी प्रचार के लिए सबसे आसान तरीका सोशल मीडिया है और इस प्रचार के नए फॉर्मेट ने विक्रताओं की कमर तोड़ दी है। बताया जा रहा है कि पोस्टर-बैनर विक्रेताओं को इससे भारी नुक्सान हुआ है। राजनीतिक दलों की माने तो उनका ध्यान डिजिटल और डोर-टू-डोर प्रचार प्रसार पर है। क्योंकि ये तरीका कम खर्चीला और वोटरों से सीधे जोड़ता है ऐसे में अब पार्टी इसी तरीके को अपना रही है।