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गोल्डन फॉरेस्ट की सरकार में निहित 454 हेक्टेयर भूमि विभागों को हुई आवंटित

ऐतिहासिक निवेश सम्मेलन के बाद महसूस हो रही थी जमीन की खासी आवश्यकता 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी ने वर्ष 1997 में सेबी के  नियमों का उल्लंघन कर जमीनों की खरीद फरोख्त की। जिसमें हजारों निवेशकों ने पैसा लगाया। देहरादून, डोईवाला, विकासनगर, मसूरी, ऋषिकेश समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी गोल्डन फॉरेस्ट ने जमीन खरीदी। सेबी की ओर से शिकंजा कसने के बाद कंपनी कारोबार छोड़ कर चली गई, तो निवेशकों का पैसा डूब गया और न्यायालय में लम्बी लड़ाई के बाद यह जमीन सरकार में निहित कर ली गयी थी।

आखिर क्या था गोल्डन फॉरेस्ट भूमि प्रकरण

वर्ष 1997 में गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी ने सेबी के नियमों के विपरीत देहरादून व आसपास के क्षेत्रों में तकरीबन 12 हजार बीघा जमीन खरीदी थी।

इस दौरान लोगों से जमीन पर पैसा लगाकर रकम दोगुना करने का झांसा भी दिया गया। बड़ी संख्या में लोग इसके झांसे में आए। अचानक कंपनी ने इससे हाथ पीछे खींच लिए।

उसी दौरान मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा उसके बाद कोर्ट के एक निर्णय के तहत कंपनी को भंग कर सारी जमीन राज्य सरकार में निहित कर दी गई थी।

देहरादून: पिछले लगभग दो दशकों से शासन ने राज्य सरकार में निहित गोल्डन फॉरेस्ट से संबंधित 454 हेक्टेयर भूमि को विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित कर दिया गया है। भूमि का आवंटन आवास, उद्योग, पुनर्वास, राजकीय कार्यालयों के निर्माण और ग्रामसभाओं को किया गया है। ये जमीनें तहसील विकासनगर और तहसील सदर के अंतर्गत हैं। जबकि इसमें से कई जमीनों पर भू-माफियाओं का अवैध कब्जा भी जमाया हुआ है लेकिन फिर भी काफी कुछ जमीन राज्य सरकार के कब्जे में है जिसे अब आवंटित कर दिया गया है। 

गौरतलब हो कि प्रदेश में पिछले वर्ष आयोजित ऐतिहासिक निवेश सम्मेलन के बाद जमीन की खासी आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में 3000 आवासों का निर्माण किया जाना है। राज्य में सौंग, जमरानी तथा पंचेश्वर बांध परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। इनके दायरे में आने वाले लोगों का पुनर्वास किया जाना प्रस्तावित है। भारत सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के लिए भी जमीन की मांग की जा रही है। इसके अलावा ग्रामों के सुनियोजित विकास के लिए सामुदायिक विकास भवन, पंचायत घर आदि के लिए भी जमीन चाहिए।

‘ये सारी जमीनें सरकार में निहित थीं। इसलिए इनका आवंटन सरकारी विभागों को किया गया है।’

-सुशील कुमार, प्रभारी सचिव

इसे देखते हुए सरकार ने गोल्डन फॉरेस्ट ग्रुप की राज्य सरकार में निहित भूमि के प्रयोजनों एवं उपयोग के लिए विभिन्न विभागों को आवंटित कर दिया है। इस संबंध में प्रभारी सचिव सुशील कुमार ने जमीन आवंटन संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं।

किन विभागों को मिली जमीन यहां जानिए 

सिंचाई विभाग- विभाग को सौंग, जमरानी व लखवाड़ बांध परियोजना में पुनर्वास के लिए तहसील विकासनगर में शीशमबाड़ा, शेरपुर एवं फतेहपुर, मिर्जापुर व मंडी गंगभेवा की कुल 29.78 हेक्टेयर जमीन दी गई है।

औद्योगिक विकास विभाग- विभाग को उद्योगों की स्थापना के लिए तहसील विकासनगर में बैरागीवाला, जस्सोवाला, लाखनवाला, ढकरानी व तहसील सदर की तिमली मानसिंहवाला एवं भैंसवाड़ा की 49.70 हेक्टेयर जमीन दी गई है।

आवास विभाग- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लिए तहसील विकासनगर में ईस्ट होप टाउन, सेंट्रल होप टाउन, रामपुरकलां एवं सुद्धौवाला और तहसील सदर की चालंग, गुजराड़ा मानसिंह में कुल 22.51 हेक्टेयर जमीन दी गई है।

राज्य सरकार- राज्य सरकार को विभिन्न विभागों के कार्यालय व आवास निर्माण के लिए आमवाला तरला, आमवाला उपरला एवं चक डांडा लखौंड में कुल 9.68 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है।ग्राम सभाओं के विकास के लिए शेष 342.68 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है।

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