देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटवाने की धमकी देने वाला गैंग अब एक पत्रकार की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमले की कोशिश में है। सवाल यह है कि पुलिस ने रंगदारी मांगने के मामले की जांच के बाद ये गिरफ्तारी की है तो अब सरकार पर साजिश रचने की तोहमत आखिर क्यों मढ़ी जा रही है। तो क्या ऐसे में यह समझा जाय कि निजी मामलों में भी यदि कोई कार्रवाही होती है तो उसका दोष भी सरकार से सिर मढ़ा जायेगा ?
सहसपुर थाने की पुलिस ने पत्रकारिता के नाम पर रंगदारी वसूली के मामले में एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार को गिरफ्तार किया है। अहम बात यह है कि इस मामले में एफआईआर एक महीने पहले दर्ज की गई थी। लंबी जांच को विवेचना के बाद इस मामले में पुलिस को साक्ष्य मिले हैं। मुख्यमंत्री पर निजी तौर पर हमला करने वाला गैंग ने अब इस गिरफ्तारी को चौथे स्तंभ पर हमला बताकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में लगा है।यानि गैंग को सरकार लूट की छूट दे नहीं तो वह सरकार पर हमला करता रहेगा ?
गौरतलब हो कि यह वही गैंग है जो काफी लंबे समय से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ सोशल मीडिया में एक अभियान चला रहा है। इस गैंग का कथित मुखिया खुद भी ब्लैकमेलिंग समेत अऩ्य अपराधों में लिप्त रहा है। उसके खिलाफ तमाम एफआईआर भी दर्ज हुईं हैं। ये कथित मुखिया कई बार मुख्यमंत्री को पद से हटवाने की चेतावनी भी दे चुका है। सरकार ने इस गैंग के अभियान को कोई भी तव्वजो नहीं दी तो ये गैंग बौखला रहा है।
इतना ही नहीं अब तो यह गैंग किसी भी मामले को सीधे सरकार के मुखिया से जोड़कर अपनी भड़ास निकालता रहता है। एक कांग्रेसी नेता की ओर से दर्ज कराए गए रंगदारी मामले की जांच के बाद पुलिस ने एक पत्रकार को गिरफ्तार किया है तो ये गैंग इसे पत्रकारों की आजादी पर हमला प्रचारित करके पत्रकारों को भड़काने की कोशिश में लगा है। इसके बाद भी ये गैंग यह किसी को नहीं यह नहीं समझा पा रहा है कि इस मामले में सरकार ने क्या साजिश की और क्यों की।
इतना ही नहीं गिरफ्तार पत्रकार और उसका गैंग भी पुलिस को मिले तमाम सबूतों और गवाहों के पूछ्ताछ के बाद और जांच के बाद गिरफ़्तारी होने पर यही कह रहा है कि उसे सरकार के इशारे पर फंसाया जा रहा है। लेकिन इस बात की किसी के पास जवाब नहीं है कि रंगदारी मांगना क्या पत्रकारिता के पेशे का हिस्सा है। लेकिन तो क्या इनके बयानों से यह समझा जाय कि जो खुद ही ब्लैकमेलिंग के आरोपों में घिरा हो, उसके लिए रंगदारी मांगना भी शायद पत्रकारिता का ही हिस्सा है।