वार्डन द्वारा अपने अधिकारी के साथ पत्र में जमकर बदसलूकी ही नहीं कि बल्कि उनको पत्र के माध्यम से धमकाया भी
इतना ही नहीं शिकायत करने वालों से शिकायती पत्र को वापस लेने और उनसे माफ़ी तक मांगने तक को धमकाया गया
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक यानि हेड ऑफ़ फारेस्ट (HoFF) से उनके ही अधीनस्थ अधिकारी वार्डन कोमल सिंह का एक पत्र आजकल सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें वार्डन द्वारा अपने अधिकारी के साथ पत्र में जमकर बदसलूकी ही नहीं कि बल्कि उनको पत्र के माध्यम से धमकाया भी गया है, उनके इस पत्र को किसी भी दशा में सभ्य समाज के लिए और वह भी अपने से उच्चाधिकारी के लिए प्रोटोकॉल के हिसाब से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
मामला राजाजी पार्क के दो पशु चिकित्साधिकारियों से जुड़ा हुआ है। दोनों ही चिकित्साधिकारियों ने राजाजी पार्क के वार्डन कोमल सिंह के खिलाफ HoFF को शिकायत की थी, जिसपर वार्डन ने अपने उच्चाधिकारी को धमकाते हुए हुए साफ़-साफ़ कहा है की HoFF का आदेश मान्य नहीं है, इतना ही नहीं उन्होंने पत्र में लिखा है कि आपका आदेश द्वेषपूर्ण भावना से और पूर्वाग्रहों से ग्रसित , भेदभाव पूर्ण और पक्षपात पूर्ण सहित प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध और न्याय संगत नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने HoFF पर आरोप तक लगाया है कि आप पूर्व से ही पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं और आपकी अपमान करने तथा सेवा संबंधी क्षति पहुँचाने की मेरे खिलाफ साजिश है।
इतना ही नहीं वार्डन ने अपने पत्र की प्रतिलिपि में दोनों पशु चिकित्साधिकारियों को भी जमकर धमकाया ही नहीं है बल्कि उनपर अपनी भड़ास भी निकालते हुए उनसे शिकायती पत्र को वापस लेने और उनसे माफ़ी तक मांगने को धमकाया गया है। इतना ही नहीं वार्डन ने एक दूसरे पशु चिकित्साधिकारी पर मन हानि तक का दवा किए जाने के लिए धमकाया गया है।
मामले में जब राजाजी पार्क के निदेशक बीके सिंह से जब इस मामले में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो वे भी वार्डन कोमल से इस कदर खौफ़जदा नज़र आए जैसे वार्डन कोमल सिंह उनसे नीचे के अधिकारी नहीं बल्कि उनसे ऊपर के अधिकारी हों। पत्र के सम्बन्ध में जब उनसे पूछा गया कि उन पर कब कार्रवाही होगी और यह भी प्रश्न पूछा गया कि विभाग के कई अधिकारी कोमल सिंह के इशारे पर काम करते हैं तो उन्होंने पत्र की जानकारी होने से साफ़ मना कर दिया और कहा कि हो सकता है यह कोई पुराना मामला हो जिसकी जानकारी उन्हें नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि उन्होंने कोई गबन किया हो। उनसे जब सवाल किया गया कि आपने से उच्चाधिकारियों के साथ पत्र ब्यवहार कैसे किया जाता है तो इस सवाल को भी वे टाल गए और बोले उनको चेतावनी दी गई थी और उस प्रकरण को समाप्त कर दिया गया था। इसका साफ़ मतलब है कि कोमल सिंह द्वारा पूर्व में भी HoFF को कोई इसी तरह का पत्र लिखा गया था।
गौरतलब हो कि यह वार्डन कोमल सिंह पूर्व में भी काफी चर्चाओं में रहे हैं और बीते कई वर्षों से राजाजी पार्क में जमें हुए हैं. इस बीच राजाजी पार्क क्षेत्र में गुलदार के शिकार की भी कई घटनाएं हुई और वन्यजीव तस्कर भी पकड़े गए,कई जांचे हुईं लेकिन इनका बाल भी बांका नहीं हुआ। चर्चा तो यहाँ तक यही कि कोमल सिंह उत्तराखंड के एक पूर्व अपर मुख्य सचिव के नाक के बाल रहे हैं और उन्हीं की कृपा दृष्टि से ये आज तक राजाजी पार्क में डटे हुए हैं और कोई भी इनको यहाँ से हटाने की हिम्मत नहीं कर पाया है। चर्चा तो यहाँ तक भी है कि राजाजी पार्क क्षेत्र में इनकी अपनी सरकार चलती है यही कारन है कि वे अपने उच्चाधिकारियों तक को इसी तरह धमकाते रहते हैं।