संघ को बाहर से समझना मुश्किल : मोहन भागवत

- परिवार में राष्ट्रभाषा, मातृभाषा का ही प्रयोग करें
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : संघ के सरसंघचालक परम पूज्य मोहन भागवत जी ने सेवानिवृत्त अधिकारियों से चर्चा करते हुए कहा कि संघ को बाहर से समझना मुश्किल है। 1925 में संघ की स्थापना हुई, संघ हिंदू समाज को संगठित करता है। समाज में परिवर्तन के द्वारा देश में परिवर्तन लाया जा सकता है। समाज में एकता चाहिए, डॉ हेडगेवार जे ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, देश के लिए कार्य करने का निश्चय किया। देश में गुणवत्ता वाला समाज बनाना। देश के अलावा अफगानिस्तान व पाकिस्तान के पूर्वज भी हिंदू ही थे (इस्लाम में संगीत हराम है, इन देशों में कव्वाली होती है, और मूर्ति पूजा की तरह ही कब्र पूजा करते है)। क्योंकि उनकी संस्कृति और रहन-सहन एक ही जैसा है। हम सभी संस्कृति से हिन्दू है। गौतम बुद्ध, गुरु नानक, महावीर स्वामी की भाषाएं अनेक होने पर भी हम सब हिन्दू समाज के एक ही घटक है। और हिंदू संस्कृति को बचाए रखना हमारा कर्तव्य है। अन्य धर्म के लोगों संघ शाखा में आते हैं क्या? आते हैं और आ सकते हैं! परंतु हिंदू होने के नाते यूनिटी इस डाइवर्सिटी नहीं है। मानव जीवन का हिंदू कोटेशन राष्ट्रीयता का परिचय है, हिंदू धर्म ही मानव धर्म है।
हिंदू संस्कृति में सदैव बदलाव आया है। ईशा को पकड़ो, राम को छोड़ो यह हम नहीं मानते! राम को क्यों छोड़े? और ईशा को क्यों पकड़े? संघ एक रहस्य है इस पर एक पर्दा गिरा हुआ है? के उत्तर में भागवत जी ने कहा- ऐसा नहीं है संघ को भीतर रहकर ही समझना पड़ेगा। इंडिया टुडे के अरुण पुरी ने भी ऐसा ही समझा था, उनको संघ के तृतीय वर्ष में बुलाया गया वह 3 दिन रहे तब उनकी संघ के प्रति धारणा परिवर्तित हुई। जिस प्रकार अरुणाचल प्रदेश में रामकृष्ण मिशन ने हिंदी में कार्य किया। और यहां के लोग हिंदी ही बोलते हैं। ऐसा ही कार्य अन्य प्रांतों में भी होना चाहिए। सरसंघचालक जी ने कहा संघ का कार्य हिंदी भाषा में होता है। हम अपने परिवार में राष्ट्रभाषा, मातृभाषा का ही प्रयोग करे।
फर्टिलिटी का आधार ही हिंदू है। इसको डॉक्टर अंबेडकर ने भी संविधान में शामिल किया है। संविधान की पुस्तक के चित्र इसका जीवित प्रमाण है। संविधान में समानता, समरसता और नागरिक के कर्तव्यों की चर्चा की गयी है। संघ का मूल काम नागरिक के कर्तव्यों का जागरण करना है।
संघ का कार्य सज्जन शक्ति का निर्माण करना है, गौ हत्या ना हो इसके लिए सज्जन शक्ति का जागरण करना, राम हमारे आराध्य है। राम मंदिर वहीं बने, यह विचार हर हिन्दुस्तानी का होना चाहिए। राम मंदिर और गौ माता हिन्दू संस्कृति का आधार है। यह काम भी होगा तो विश्व में हिंदुत्व की पहचान स्थापित होगी।
हिंदू और संघ के दृष्टिकोण में कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं है। जाति के आधार पर,भाषा के आधार पर भेद नहीं है। मदरसों भारतीयता को स्थापित करने की आवश्यकता है। हमारी भाषा शांति की है, उनकी भाषा शस्त्र की है यह अंतर है। समाज को मजबूत बनाना है। शांति के लिए मुस्लिमों को समझाना है अपनी पूजा पद्धति करो पर देश तुम्हारा भी है पूर्वज एक है संस्कृति एक है देश है कि सभी सब मिलजुल कर कर काम कर पाएंगे।
वनवासियों के बीच में काम कर रहे हैं और ज्यादा करने की जरूरत है बाहरी जो प्रवेश कर रहे हैं। यह एक चिंता का विषय है, लेकिन वनवासी कल्याण आश्रम और अन्य सामाजिक संगठन इस विषय के लिए काम कर रहें है।
बिहार रानीगंज में नक्सलियों के लिए स्कूल बनवाया जिसमे हमारे क्षेत्र संघचालक जी ने पूरी सहायता की और अब भी कर रहे है। गडचिरोली महाराष्ट्र में सीआरपीएफ के जवान नक्सल प्रभावित गाँव वालों से सामान खरीदते हैं, मजदूरी भी गांव वालों से कराते हैं और उन्हें पैसा भी देते हैं। इससे इलाके में रोजगार के अवसर बड़े है, जिसके कारण उनकी परेशानी थोड़ी कम हुई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवा कार्य विस्तार – लोगो के अन्दर जागरूकता संघ का ,उल उद्देश्य है।
एक प्रश्न के उत्तर में पूजनीय भागवत जी ने कहा संघ आपस में सबको एक मानता है। उसके लिए शाखाओं के माध्यम से हर व्यक्ति के लिए मंदिर प्रवेश, शमशान एक व पानी एक, समाज में सामजिक समरसता स्थापित हो इसलिए जातिगत संघर्ष ना हो, आपस में समानता बनी रहे। इसलिए सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।