EXCLUSIVE

डेढ़ करोड़ रुपये में हुआ एमडी के स्टिंग प्रकरण में स्टिंग की सीडी का सौदा !

  • कथित पत्रकार को अभी इसकी आधी रकम का भुगतान भी हो गया : सूत्र 
  • सीडी जांच की जांच का पत्र कहाँ खो गया किसी को नहीं पता 
  • कार्रवाही के नहीं होने से सूबे में मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की हुई छिछालेदारी
  • भ्रष्टाचार पर सरकार का जीरो टालरेंस केवल जुमले बाज़ी और दिखाने भर के लिए 
  • ‘मैं तुझे बचाऊँ तू मुझे बचा और दोनों लूट खाएं उत्तराखंड को मिल बैठकर”

देहरादून : उत्तराखंड के एक महकमे के एमडी के स्टिंग प्रकरण में स्टिंग की सीडी का सौदा डेढ़ करोड़ रुपये में होने की खबर सूत्रों ने दी है इतना ही नहीं सूत्रों ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार सौदे की रकम में से सीडी बनाने वाले कथित पत्रकार को अभी इसकी आधी रकम का भुगतान भी कर दिया गया है। इस मामले में विभागीय एमडी द्वारा इसलिए भी जल्दबाजी की जा रही है कि कहीं सीडी एसआईटी की हाथ न लगे और वह सीडी में लेन-देन को लेकर रंगे हाथ पकड़ा भी न जा सके।

गौरतलब हो कि इससे पहले इस सीडी की कीमत कथित पत्रकार ने तीन करोड़ रुपये लगायी थी जिसपर दोनों के बीच बात नहीं बन पायी थी। लेकिन एमडी के खिलाफ कोई कार्रवाही के नहीं होने से सूबे में मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की छिछालेदारी हो रही है और यह चर्चा का विषय तक बन गया है कि उत्तराखंड राज्य में ब्यूरोक्रेसी वाकई में सरकार पर हावी है क्योंकि एमडी पर किसी भी तरह की कार्रवाही का न होना इसका प्रमाण के तौर पर बिलकुल साफ़ है।

इतना ही नहीं चर्चाओं के अनुसार विभाग का यह एमडी इतना शातिर और पहुंचा हुआ खिलाड़ी है कि उसने मंत्री के मुख्यमंत्री को लिखे उस पत्र को ही कहीं गायब करवा दिया जिसपर मंत्री ने सीडी पर एसआईटी जांच और जांच तक एमडी को मुख्यमंत्री कार्यालय से सम्बद्ध करने को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। लेकिन भ्रष्टाचार पर सरकार का जीरो टालरेंस केवल दिखाने भर के लिए ही नज़र आ रहा है या सरकार कभी इस मुद्दे पर संजीदा भी नज़र आई है ऐसा पिछले छह महीने के दौरान अभी तक कभी भी नज़र नहीं आया। चर्चाओं में आये एक एमडी से जुड़े मामले पर यदि गौर किया जाय तो एक महीना बीत जाने की बाद आज तक मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर जब कोई कार्रवाही होती नज़र नहीं आयी तो ऐसे तमाम अन्य भ्रष्टाचार के मुद्दे हैं जिन पर सरकार की जीरो टालरेंस की नीति का कहीं प्रमाण ही नज़र आया हो।

ताजे मामले में सूत्रों का यहाँ तक दावा है कि सीडी में फंसे चर्चित एमडी ने मामले को लेकर सूबे के मुख्यसचिव कार्यालय से लेकर पुलिस हेड क्वार्टर तक अपनी पहुँच के चलते मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा उसके खिलाफ जांच और जांच तक सम्बद्धता को लेकर लिखे पत्र को ही फाइलों में कहीं दबवा दिया है। ताकि उसपर कोई कार्रवाही ही न हो पाए। सूत्रों का यहाँ तक दावा है कि यह पत्र सामने न आये इसके लिए एम डी ने कई विभागों को मोटा चढ़ावा भी भेंट किया है।    

ऐसा नहीं कि एस एमडी के भ्रष्टाचार की कहानी कोई किसी को नज़र नहीं आती है इससे पहले भी कई मामले भ्रस्टाचार के सामने आ चुके हैं लेकिन कभी कोई कार्रवाही नहीं हुई। इससे पहले समता आन्दोलन समिति ने 20 मई 2016, चार मई 2016 और 22 अप्रैल 2016 को तत्कालीन मंत्री सहित सचिव और राज्यपाल तक को विभागीय भ्रष्टाचार को लेकर साक्ष्य सहित दस्तावेज़ सौपे हैं लेकिन इन पत्रों पर कोई कार्रवाही आज तक नहीं हुई और भ्रष्टाचारी आज तक कुर्सी पर बैठकर मौज ले रहा है।

इन सब प्रकरणों से यही विदित होता है कि उत्तराखंड राज्य भ्रष्टाचारी अधिकारियों का चारागाह बन गया है, सूबे में भ्रष्टाचारी अधिकारी और नौकरशाहों का एक ऐसा काकस बन गया है जो ”मै तुझे बचाऊँ तू मुझे बचा और उत्तराखंड को दोनों लूट खाएं मिल बैठकर” के जुमले पर चल रहा है, इससे सूबे में इमानदार तरीके के कार्य करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के मनोबल पर भी प्रभाव पड़ रहा है। कुल मिलकर उत्तराखंड राज्य में भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं उनके आगे मंत्रियों और मुख्यमंत्री की आदेशों की कोई बिसात नहीं उन्हें जो करना है वे धड़ल्ले से कर रहे हैं।

 

 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »