देश के बच्चे-बच्चे ने जरूरत से ज्यादा दे दिया तो भाई लोगों पेट में करास उठने लगी
नफरतकुमारों का सारा नजला मोदी-योगी पर झड़ता रहा
व्योमेश जुगरान
एक दाढ़ी वाले ने टीवी पर आकर देश से कुछ मांगा और देश के बच्चे-बच्चे ने जरूरत से ज्यादा दे दिया तो भाई लोगों पेट में करास उठने लगी। ये लोग घरों के झरोखों से बजती थालियों, घंटियों और शंखनादों को एक झटके में नीम-हकीमी ओर झोला-झोकरी करार देने लगे।
दाढ़ीवाले के खिलाफ सोशल मीडिया की नफरतों के इन शेयरधारकों ने अपनी मिक्सिंग वीडियोग्राफी का हुनर दिखते हुए बजती थालियों का जमकर मजाक उड़ाया। ये लोग वहीं हैं जो शाहीनबाग के खेमे वाली खातूनों के ‘अल्लाह ताला’ वाले दकियानूस खयालों से सुबह की ‘आचमन’ करते आए हैं। अब नाजुक दौर है और सीधे कुछ कह नहीं सकते, सो उन मजबूर दिहाड़ी मजदूरों के झुके हुए कांधों से दनादन नफरतों की बैरलें दागने लगे मानो इन मुफलिसों के सबसे बड़े खैरख्वाह ये नफरतकुमार ही हों।
जरा पूछो इनसे, इनमें से कितने लोग इन प्रवासी मजदूरों की मदद को सामने आए। नाम तो गिनाओ जरा इन कथित प्रगतिशीलों के, जो बार्डरों पर खड़े जरूरतमंदों की मदद में सिर से पांव तक सैंदिष्ट बिछ गए हों। अंततः सामान्य नागरिक और परोपकारी धार्मिक-सामाजिक संगठन ही वहां मदद करते दिखे।
दिहाड़ी मजदूरों को लेकर नफरतकुमारों का सारा नजला मोदी-योगी पर झड़ता रहा कि निजाम ने इन गरीबों को उनके भाग्य पर छोड़ दिया है। दिल्ली के गिरगिटिया जागीरदारों और उसके कुछ चंपुओं की करतूतें इन नफरतकुमारों को बिल्कुल नजर नहीं आई जो प्रवासी मजदूरों के बीच ये अफवाह फैलाते रहे कि जल्दी निकलो आनंद विहार से यूपी सरकार सबको गांव जाने के लिए बस मुहैय्या करा रही है। देखते ही देखते जब बॉर्डर पर हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई तो ये ही चंपू ऐसी अफवाह फैलाते रंगे हाथ पकड़े गए कि योगी सरकार बॉर्डर पर खड़े लोगों को डंडे मार रही है।
मुफ्त का बिजली-पानी और सफर बांटने के महारथियों के सामने जब रहना-खाना मुफ्त बांटने के प्रबंधन की असल जिम्मेदारी आई तो वे पूरी तरह लड़खड़ा उठे और हालात को संभाल नहीं सके। वे आदतन विज्ञापन के जरिये चैनल वालों को चांदी का जूता मारकर असलियत से दूर रखने की जुगत भिड़ाते रहे। नतीजतन, चैनल भीड़ तो दिखाते रहे मगर अचानक ऐसे हुआ कैसे, इसे छुपा गए।
लाख-लाख धन्यवाद पुलिस महकमे और योगीजी के कौशलीय प्रबंधन का, कि सबने मिलकर इस भीड़ को संभालने के लिए रात-दिन एक कर दिया। योगी सरकार ने एक के बाद एक इन मजदूरों के लिए कदम उठाती रही। दिल्ली इसके बाद चेती। इस बीच दिल्ली से जुड़े कुछ जरूरी फैसले केंद्र को अपने से लेने पड़े। लापरवाह दो अफसरों की मुअत्तली और दो अन्य की जवाब-तलबी साफ इशारा करती है कि कतिपय शरारती तत्व मजदूरों की इस भीड़ को उकसा कर अपना उल्लू साधने की चेष्टा करते रहे और प्रशासन बेपरवाह रहा।
(लेखक देश के वरिष्ठ पत्रकार और स्तम्भकार हैं )
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