एसआइटी का शिकंजा कसने से प्रदेश कांग्रेस में खलबली !
- हरीश रावत और प्रीतम से भी हो सकती है एनएच घोटाले पूछताछ
देहरादून : एच-74 मुआवजा घोटाले की जांच को गठित एसआइटी का शिकंजा कसने से प्रदेश कांग्रेस में खलबली का माहौल है।मामले में अब पू्र्व सीएम हरीश रावत, कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह से भी जांच को गठित एसआइटी पूछताछ कर सकती है। अभी तक सामने आयी जानकारियों के मुताबिक इस मुआवजे की बड़ी धनराशि समेत 5.54 करोड़ रुपये जिस तरह प्रदेश कांग्रेस के चुनावी बैंक खाते में जमा हुए और इस राशि के एक हिस्से के स्रोत की स्थिति सामने आने के बाद आने वाले समय में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है। वहीँ मामले पर सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच को गठित एसआइटी अच्छा काम कर रही है, सरकार जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी, हमारी पुलिस अपराधियों तक पहुंचेगी।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पार्टी के खाते का संचालन से जुड़े पार्टी नेताओं के भी एसआइटी की पूछताछ के दायरे में आने का अंदेशा जताया जा रहा है। एआइसीसी को भी एसआइटी की कार्यवाही की जानकारी दी गई है। उधर, प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी खाते में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इन्कार किया है।
ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर में एनएच-74 मुआवजा घोटाले में उस वक्त नया मोड़ आ गया था, जब ये जानकारी मिली कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले खोले गए प्रदेश कांग्रेस के चुनावी खाते में मुआवजे की बड़ी धनराशि जमा की गई।
गौरतलब हो कि प्रदेश कांग्रेस के नेशविला रोड स्थित एसबीआइ खाते में 5.54 करोड़ की राशि जमा की गई थी। बीते रोज तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से उनके दून स्थित आवास पर एसआइटी ने पूछताछ की। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एसआइटी के सामने यह स्पष्ट किया कि बैंक खाते से हुए लेन-देन से वह अलग रहे हैं। जानकारी के अनुसार खाते में पैसा चेक से जमा हुआ। इस कार्य के लिए प्रदेश कांग्रेस की ओर से सुरेंद्र रांगड़ और कमल रावत को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि खाते में चंदे के रूप में मिला पैसा कहां से आया, इसके बारे में देने वाला ही बता सकता है।
इधर, इस घटना से कांग्रेस में बेचैनी साफतौर पर दिख रही है। दरअसल, बेचैनी की वजह एसआइटी के पूछताछ के लिए आगे आना है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बाद अब चुनावी खाते को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, खाते के संचालन से जुड़े उनके करीबियों और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से भी पूछताछ का अंदेशा जताया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक चुनावी खाते में तकरीबन एक करोड़ तक धनराशि के स्रोत को सही स्थिति अब तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी पता चलना शेष है। गौरतलब है कि कुछ अरसा पहले एआइसीसी की ओर से भी चुनावी खर्च का विस्तृत हिसाब-किताब मांगे जाने से पार्टी नेताओं के बीच हंगामा हो गया था।
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अपने चुनावी खाते में किसी भी तरह की अनियमितता से इन्कार कर रही है। चुनावी खाते के संचालन से जुड़े रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र रांगड़ ने कहा कि खाते से लेन-देन चेक के माध्यम से हुआ है। कहीं गड़बड़ी नहीं है।
पार्टी ने चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील गुलाटी से संपर्क साधा तो उनकी ओर से भी यही भरोसा दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देश पर पार्टी ने चुनाव संचालन को उक्त खाता खोला था। खाते में जमा धनराशि का ऑडिट भी हो चुका है।
खाते में किसी तरह का गलत कार्य नहीं हुआ। चंदा देना दानदाताओं का अधिकार है, इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी कहा कि पार्टी के खाते में कोई गड़बड़ी नहीं है। एसआइटी के जरिये अनावश्यक दबाव बनाने का विरोध होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैंक में जमा इस रकम का इस्तेमाल चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री के हवाई दौरे पर तकरीबन दो करोड़ किया गया जबकि पार्टी प्रत्याशियों के खातों में 10-10 लाख रुपये कराए जमा किये गए थे और पार्टी खाते में कुल जमा-5.54 करोड़, चुनाव में खर्च करीब 5.50 करोड़ खर्च किये गए।
उधर हल्द्वानी में होली मिलन समारोह में शिरकत करने पहुंचे पूर्व सीएम ने कहा कि बैंक खाता खोलना कोई अपराध नहीं है। खाते में पैसा चेक से जमा हुआ है। चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार ही खाता खोला गया है। भाजपा ने आजीवन सहयोग निधि के जरिये जनता से जो तीस करोड़ रुपये का चंदा वसूला है, उसकी लिस्ट भी सार्वजनिक की जानी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में निष्पक्ष जांच की पक्षधर है तो एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच सीबीआइ या हाइकोर्ट के जज से कराए। कांग्रेस के चुनावी बैंक खाते का पूरा विवरण चुनाव आयोग और आयकर विभाग को दिया गया है। किसी को भी खाते की जानकारी चाहिए तो वह जानकारी ले सकता है।
उन्होंने कहा कि वसूली में सरकारी अधिकारियों को लगाया गया। एनएच 74 घोटाले की जांच के दायरे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अधिकारियों को भी लाया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार घोटाले की जांच केवल काशीपुर तक सीमित क्यों की गई है, केवल छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, जबकि घोटाले में सत्ताधारी दल के लोग भी शामिल हैं। रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार हर फ्रंट पर फेल हुई है। पिछले एक साल में सरकार ने गैरसैंण में एक भी निर्माण कार्य नहीं कराया। आपदा के बाद केदारनाथ में सभी निर्माण कार्य कांग्रेस सरकार ने कराए। एनएच 74 घोटाले की जांच में कांग्रेस पूरा सहयोग करेगी।