गांव में बस आई तो ग्रामीणों ने उतारी आरती क्योंकि आजादी के 71 साल बाद ये मिली सड़क
आज भी दस किमी पैदल चलकर मिलते थे वाहन
पिथौरागढ़ : तहसील मुख्यालय से मात्र 26 किमी की दूरी पर स्थित गानुरा गांव के ग्रामीणों को दस किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मड़कनाली पहुंच कर वाहन मिलते थे। जहां से तहसील मुख्यालय करीब होने से ग्रामीण पैदल ही आते-जाते थे। लेकिन बीते दिन 71 साल से अपने गांव में सड़क की राह देख रहे गानुरा वासियों के लिए बनायी गयी सड़क दोहरी खुशी लेकर आया। ग्रामीणों के लिए त्योहार सरीखे इस दिन पहली बार गांव में पहुंची बस का स्वागत दुल्हन की तरह किया गया। गांव की सबसे बुजुर्ग महिला किड़ी देवी ने बस की आरती उतारी और उसे टीका लगाकर उसका स्वागत किया ।
उत्तराखंड के सुदूरवर्ती इलाकों के कई गांव आज भी सड़कों की राह देख रहे हैं उन्हीं गांवों में से एक है गानुरा गांव जहाँ आजादी के 71 साल बाद सड़क पहुंची। कच्ची सड़क पर जब पहली बार कुमाऊं मंडल विकास निगम (केमू) की बस पहुंची तो यह ग्रामीणों का एक सपना पूरा हुआ अब से आसानी से तहसील और जिला मुख्यालय तक आसानी से आ जा सकेंगे ।
सूबे के लोक निर्माण विभाग ने गंगोलीहाट से पव्वाधार-चौरपाल से गानुरा के लिए लगभग 14 किमी सड़क का निर्माण किया गया। तहसील मुख्यालय से 26 किमी दूर स्थित गानुरा गांव पहली बार सड़क से जुड़े। सड़क से जुड़ने पर लोनिवि की सहायक अभियंता रीना नेगी गुरुवार को परीक्षण के लिए इस सड़क से बस लेकर पहुंची। गांव में बस के पहुंचते ही ग्रामीण खुशी से झूम उठे।
इस मौके पर गांव की सबसे बुजुर्ग महिला किड़ी देवी ने दीपक जलाकर बस की आरती उतारकर टीका लगाया। किड़ी देवी का कहना था कि उम्र निकल गई, अब जाकर गांव तक सड़क और बस पहुंचने का सपना साकार हुआ है। उनकी पीढ़ी ने तो जीवन भर पैदल चलकर अपने दिन गुजार दिए। अब लोग गांव छोड़ कर नहीं जाएंगे।