भाजपा नेता संजय कुमार ने पीड़िता से बलात्कार नहीं, सिर्फ की थी छेड़खानी!
- मीटू प्रकरण: साक्ष्यों से नहीं हुई कथित दुष्कर्म की पुष्टि
- पीड़िता ने कहा न्याय पाने के लिए उच्चतम न्यायालय तक जा सकती हूँ
- भाजपा नेता संजय कुमार के खिलाफ कोर्ट में दाखिल हुई चार्ज शीट
गौरतलब हो कि देहरादून की एक युवती ने बीते साल चार नवंबर को भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार ने उसके साथ अश्लील बातें की और दुष्कर्म किया। विरोध करने पर जानमाल की धमकी भी दी। इस प्रकरण से सियासी गलियारे में भी भूचाल आ गया था और संजय को पद से भी हटा दिया गया। मामला भाजपा के पदाधिकारी से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने कथित रूप से प्रकरण की गहनता से छानबीन शुरू की और पीड़िता को बयान के लिए बुलाया। मगर पीड़िता कई दिन तक पुलिस के सामने आने से कतराती रही। उसने बीती पांच जनवरी को तत्कालीन एसपी ग्रामीण सरिता डोबाल के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए, जिसके बाद संजय के खिलाफ उसी दिन छेड़खानी व जानमाल की धमकी देने की धाराओं में शहर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया।
पीड़िता ने इसके बाद 19 जनवरी को मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराया और आरोप लगाया कि संजय कुमार उसे अपने साथ शहर के एक फ्लैट में ले गए और दुष्कर्म किया। इस आरोप को मद्देनजर रखते हुए पुलिस ने मुकदमे में दुष्कर्म की धारा भी जोड़ दी थी। बाद में पुलिस ने संजय कुमार के मोबाइल को कब्जे में लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला चंडीगढ़ भेज दिया।
एफएसएल की रिपोर्ट देहरादून पुलिस को दो दिन पहले मिली। उसमें संजय कुमार के पीड़िता से लगातार बात करने की पुष्टि होने की बात कही गई है। लेकिन, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह साबित होता हो कि संजय कुमार ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि संजय कुमार के खिलाफ आइपीसी की धारा 354 क (3)(4), 504, 506 के तहत आरोप पत्र तैयार कर कोर्ट में दाखिल कर दिया गया है। चार्जशीट में करीब दस गवाह बनाए गए हैं। उसके साथ पूरी केस डायरी और एफएसएल व मेडिकल चेकअप की रिपोर्ट भी संलग्न की गई है।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेटी बयान में जिस तारीख को संजय कुमार द्वारा दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया था, जांच में पुलिस को उस दिन पीड़िता तो देहरादून में मिली लेकिन संजय कुमार की लोकेशन कहीं और पाई गई। वहीं जिस फ्लैट में युवती ने संजय पर उसे ले जाने का आरोप लगाया था, वहां के सीसीटीवी फुटेज में भी पुलिस को कुछ नहीं मिला। वहीं पुलिस के अनुसार पीड़िता की ओर से अभी तक अपना मोबाइल पुलिस को सुपुर्द नहीं किया गया। जबकि इस संबंध में उसने पिछले साल अक्टूबर में धारा चौकी में कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं पर मोबाइल छीन कर गायब कर देने का भी आरोप लगाया था।
मामले में पीड़िता ने कहा उन्हें पुलिस जांच पर ज्यादा हैरानी इसलिए नहीं हो रही है कि यह तो उन्हें पहले से ही पता था इस मामले में ऐसा ही होगा क्योंकि उन्हें पहले दिन से ही लगने लगा था कि पुलिस पूरी तरह से सरकार के दबाव में काम कर रही है और मुझे इन्साफ यहाँ तो कम से कम नहीं मिलने वाला।उन्होंने कहा वह अपने सम्मान के लिए और न्याय पाने के लिए देश के उच्चतम न्यायालय तक यदि जाना पड़ा तो वहां तक भी जाएगी। उन्होंने कहा जब उन्होंने अपने बयान में साफ़-साफ़ कहा कि मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ है तो इसको साबित करने की जिम्मेदारी पुलिस की थी।पुलिस ने जो साक्ष्य मेरे खिलाफ बताये हैं वे पुलिस से खुद ही क्रियेट किये ।