RUDRAPRAYAG

रीता ने संघर्ष की बदौलत बदली तकदीर

  • मां-बाप का साया उठने के बाद भी नहीं मानी हार 
  • -वर्ष 2000 में राजनीतिक पारी की शुरूआत अब हैं नगर पंचायत अध्यक्ष 
  • -परिवार और राजनीति को एक साथ संभाला 
  • -पति का साथ छूटने पर भी नहीं मानी हार, टेलरिंग का कार्य भी किया 

रुद्रप्रयाग । संघर्ष जीवन को निखारता है, संवारता व तराशता है और गढ़कर ऐसा बना देता है, जिसकी प्रशंसा करते जबान थकती नहीं। ऐसी ही एक महिला है जो अन्य महिलाओं के लिए मिसाल भी हैं और उनके किये गये संघर्ष को देखकर क्षेत्र की जनता उनकी तारिफ किये नहीं थकती। स्वयं के बूते पर बच्चों के पालन के साथ ही राजनीति में अपनी पहचान बनाई। आज यही महिला नगर पंचायत ऊखीमठ में अध्यक्ष की कमान संभाल रही हैं। 

नगर पंचायत अध्यक्ष रीता पुष्पवाण की संघर्ष की गाथा बचपन से ही शुरू हो गई थी। बचपन में ही उनसे मां का साया हट गया और स्कूली पढ़ाई के दौरान उनके पिता ने साथ छोड़ दिया। ऐसे में मायके से ही रीता जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी रही। रीता का वर्ष 1994 में किमाणा के शिशुपाल सिंह पुष्पवाण के साथ विवाह हुआ, जिसके बाद उनके दो बच्चे हुए और उन्होंने 2000 से राजनीतिक पारी की शुरूआत की।

क्षेत्र में रीता पुष्पवाण सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करती थी। किसी की समस्या को अधिकारियों के सामने मजबूती से रखती थी, जिसके बाद उनके पति ने उन्हें राजनीति में आने की सलाह दी। राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन्होंने वर्ष 2002 में सामान्य सीट से क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीत हासिल भी की। इसके बाद उन्होंने क्षेत्र का चहुमुखी विकास किया और जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाती रही। लेकिन वर्ष 2010 में उनके पति की वाहन हादसे में मौत हो गई। मायके और ससुराल पक्ष से ऐसा कोई नहीं था जो रीता की मदद कर सके। ऐसे में रीता ने स्वयं ही बच्चों की जिम्मेदारी ली और बखूभी निभाई।

उन्होंने पति के गुजर जाने के बाद टेलरिंग की दुकान संभाली और एक के बाद एक कठिनाईयों व घाटे के कारण उन्हें दुकान को बंद करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने कुछ साल तक घर का खर्चा पति की बचत से चलाया और क्षेत्र की जनता की समस्याओं को समझते हुए रजनीति में पुनः सक्रिय होने का निर्णय लिया। वर्ष 2013 को नव गठित नगर पंचायत ऊखीमठ के पहले चुनाव हुए, जिसमें उन्होंने प्रबल दावेदारी रखी। आठ प्रत्याशियों के घमासान में वह पांच वोट से जीतकर पहली अध्यक्ष चुनी गई और उन्होंने नगर के विकास को लेकर रात-दिन संघर्ष किया।

जनता के दिलों पर राज करने वाली रीता के कार्यों को सराहा गया और आज भी वे जनता की समस्याओं को हल करने में लगी रहती हैं। अपने कार्यकाल में श्रीमती रीता पुष्पवाण ने नगर पंचायत क्षेत्र में पुस्तकालय भवन का पुनर्निर्माण, पुलिया, कूड़ादान, सीसी मार्ग, पैदल मार्ग, गेट निर्माण, गेट निर्माण, पानी टैंकर, रेलिंग, स्ट्रीट लाइट व हाइमास्क लाइट लगवाई। इसके अलावा पंचायत क्षेत्र में 16 पर्यावरण मित्रों की नियुक्ति करवाकर जनता को गंदगी से निजात दिलाई। साथ ही एक कूड़ा मोबाइल वाहन से बाजार की गंदगी सुबह और सांय के समय साफ की जा रही है।

राजीव आवास योजना के तहत 160 गरीब परिवारों को छत की सुविधा प्रदान करवाई। वे कहती हैं कि आज वह जो भी हैं, अपने पति से मिली प्रेरणा और मार्गदर्शन का फल है और वे राजनीति में रहकर सिर्फ जनता की सेवा करनी चाहती हैं। श्रीमती पुष्पवाण क्षेत्र में अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं। उन्हें देखकर अन्य महिलाएं भी अब जागरूक होने लगी हैं और अपने परिवार के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। इसके अलावा महिलाएं स्वरोजगार की ओर भी अग्रसर हो रही हैं। सरकार की योजनाओं में प्रतिभाग कर प्रशिक्षण ले रही हैं। 

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