मातृ सदन के अध्यक्ष मांगी इच्छा-मृत्यु की अनुमति
– मांग पर प्रतिक्रिया के लिए दिया एक सप्ताह का अल्टीमेटम
– प्रतिक्रिया नहीं आने पर करेंगे संकल्प के अनुसार कार्य
– उच्च से उच्चतर तपस्या कर गुरुदेव अपनी आत्मा में लय कर जायेंगे
हरिद्वार । मातृ सदन के परमाध्यक्ष ने राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, मुख्य न्यायाधीश उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय,प्रधानमंत्री, राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के भीतर प्रतिक्रिया नही आने पर इसे मौन स्वीकृति मानी जायेगी। इसके बाद वे संकल्प के अनुसार कार्य करेंगे। इसके तहत उच्च से उच्चतर तपस्या कर श्री गुरुदेव अपनी आत्मा में लय कर जायेंगे।
मातृ सदन का आरोप है कि माननीय सर्वोच्च न्यायलय, माननीय उच्च न्यायालय, माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली, वैज्ञानिक रिपोर्टों और माननीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों को दरकिनार कर एक मंत्री के द्वारा संवैधानिक संस्था राष्ट्रीय हरित प्रधिकरण को खुलेआम भयानक जानवर कहा जा रहा है। जिलाधिकारी अवैध खनन करा रहे हैं तथा सूचना देने पर कार्रवाई नहीं की जाती है। तपस्यारत आत्मबोधानंद को जान से मारने का प्रयास किया जा रहा है।
बताया गया कि प्रदेश सरकार की ओर से सत्य को दबाकर कुंभ नगरी और धर्मनगरी हरिद्वार को नष्ट करने के लिए वर्षो पहले खनन पर लगी रोक को एक क्षण में हटाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश सरकार के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी की ओर दिन रात अवैध खनन करवाया जा रहा है। जिलाधिकारी हरिद्वार दिन रात लगातार अवैध खनन करवाते हैं, सूचना देने पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, इसके विरुद्ध तपस्या पर बैठे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को उठाकर जान से मारने का प्रयत्न किया जाता है और वर्त्तमान में नाना प्रकार की पैंतरे- बाजी उनको उठाकर स्वामी निगमानंद की तरह मारने की की जा रही है, ऐसे समय में भारतीय संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों तथा कुम्भ, तीर्थ एवं धर्म नगरी हरिद्वार के रक्षार्थ श्री गुरुदेव (परमाध्यक्ष मातृ-सदन आश्रम हरिद्वार) महामहिम राष्ट्रपति, माननीय मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, माननीय मुख्य न्यायाधीश उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय राज्यपाल महोदय (उत्तराखण्ड सरकार) से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं जिसके तहत उच्च से उच्चतर तपस्या कर श्री गुरुदेव अपनी आत्मा में लय कर जायेंगे।
उन्होंने कहा कि यदि एक सप्ताह के अन्दर उनकी कोई प्रतिक्रया नहीं होती है तो, यह उनकी भी मौन स्वीकृति मानी जायेगी तदनंतर इस संकल्प के अनुरूप श्री गुरुदेव कार्य करेंगे। जब माननीय सर्वोच्च न्यायलय, मानानीय उच्च न्यायालय, माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली, वैज्ञानिक रिपोर्टों और माननीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों को दरकिनार कर दिया जाता है तथा एक मंत्री (उत्तराखण्ड सरकार) संवैधानिक संस्था राष्ट्रीय हरित अधिकरण को खुलेआम भयानक जानवर कहते हैं और वही मंत्री सर्वथा झूठी रिपोर्ट कैबिनेट में देते हैं और कैबिनेट के सदस्य समस्त तथ्यों की जानकारी होते हुए भी सत्य को दबाकर तीर्थ नगरी, कुम्भ नगरी और धर्म नगरी हरिद्वार को नष्ट करने के लिए वर्षों पहले खनन पर लगी रोक को एक क्षण में हटाने का निर्णय ले लेते हैं,।
ऐसे समय में भारतीय संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों तथा कुम्भ, तीर्थ एवं धर्म नगरी हरिद्वार के रक्षार्थ श्री गुरुदेव (परमाध्यक्ष मातृ-सदन आश्रम हरिद्वार) महामहिम राष्ट्रपति, माननीय मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, माननीय मुख्य न्यायाधीश उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय राज्यपाल महोदय (उत्तराखण्ड सरकार) से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं जिसके तहत उच्च से उच्चतर तपस्या कर गुरुदेव अपनी आत्मा में लय कर जायेंगे। यदि एक सप्ताह के अन्दर उनकी कोई प्रतिक्रया नहीं होती है तो, यह उनकी भी मौन स्वीकृति मानी जायेगी तदनंतर इस संकल्प के अनुरूप गुरुदेव कार्य करेंगे।