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उत्तराखंड के 16973 गांवों मे से मात्र 594 गांव पेयजल हेतु प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर


नई दिल्ली। जनसरोकारों के उत्थान हेतु प्रतिबद्ध उत्तराखंड के प्रवासी सेवानिवर्त अधिकारियों की सु-विख्यात सामाजिक संस्था ‘उत्तरायणी’ द्वारा इंडिया इंटरनैशनल सेंटर (आईआईसी) मे आयोजित उत्तराखंड के जल संचय से जुड़े विषय पर आयोजित संगोष्ठी सम्पन्न हुई।
पांच सत्रों तक आयोजित संगोष्ठी को प्रख्यात पर्यावरण विद पद्मश्री डॉ अनिल प्रकाश जोशी, पूर्व वाटर रिसोर्स सचिव भारत सरकार आलोक रावत, यूडीआरएफ अध्यक्ष गिरिजा शंकर जोशी, पूर्व निदेशक उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी डॉ दुर्गेश पंत, विभागाध्यक्ष इनर्जी एवं वाटर भारत सरकार डॉ संजय बाजपेयी, सलाहकार नीति आयोग उत्तराखंड सरकार एच पी उनियाल, फाउंडर फील गुड सुधीर सुन्दरियाल, पूर्व एमडी उत्तराखंड फोरिस्ट कोर्पोरेशन एसटीएस लेप्चा, संस्थापक जल, जमीन, जंगल-जीवन जगत ‘जंगली’ सिंह चौधरी, नोंला फाउंडेशन बिशन सिंह बंशी, टाटा ट्रस्ट विज्ञानी डॉ सुनीश शर्मा, मैती आंदोलन संस्थापक कल्याण सिंह रावत, मैम्बर एक्सपर्ट वाटर रिसोर्स भारत सरकार डॉ भाष्कर पाटनी, जल विज्ञानी डॉ एम सी तिवारी, सेवानिवर्त आईएएस डॉ कमल टावरी तथा अध्यक्ष इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिटिएटिव सुशील रमोला द्वारा उत्तराखंड राज्य के जल संचय, संरक्षण व संवर्धन की चुनोती पर आठ घन्टे तक चली संगोष्ठी मे सारगर्भित ज्ञानवर्धक व तथ्यपरख विचार व्यक्त किए गए। प्रबुद्ध श्रोताओं द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब वक्ताओ द्वारा दिए गए।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.