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ओम बिरला बने सर्वसम्मति से बने लोकसभा अध्यक्ष

  • सांसद बिरला दो बार लोकसभा में अब लोकसभाध्यक्ष

  • तीन बार विधायक रहे और अब दो बार सांसद

नई दिल्ली : कोटा में ओम जी भाईसाब के नाम से पहचाने जाने वाले ओम बिरला तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब दूसरी बार सांसद बने हैं और अब वे सर्वसम्मति सेलोकसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।

लोकसभाध्यक्ष          वर्ष       संसदीय अनुभव
जीवी मालवंकर         1952      एक बार
एमए अयंगर             1956      एक बार
सरदार हुकुम सिंह     1962      तीन बार
नीलम संजीव रेड्डी      1967      एक बार
जीएस ढिल्लन           1967       एक बार
बलिराम भगत            1977       चार बार
केएस हेगड़े                1977       एक बार
बलराम जाखड़            1980       दो बार
रवि रॉय                      1989       एक बार
शिवराज पाटिल             1991      पांच बार
पीए संगमा                    1996      तीन बार
सीएम बालयोगी              1996      एक बार
मनोहर जोशी                  2002      एक बार
मीरा कुमार                     2009     तीसरी बार
सुमित्रा महाजन                 2014    सातवीं बार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव किया और चुने जाने के बाद अध्यक्ष की कुर्सी तक ले गए। इस अवसर पर जहां पीएम ने बिरला की विनम्रता व समाजसेवा के भाव की तारीफ की, वहीं विपक्षी दलों ने सदन को निष्पक्षता से चलाये जाने की उम्मीद जताई।

ओम बिरला की विनम्रता की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा, उनका जीवन अनुशासन और समाजसेवा का रहा है। उम्मीद है कि वे सदन को अपने अनुशासन से अनुप्रेरित करेंगे। पीएम ने कहा,बिरला की कार्यशैली में सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि समाजसेवा है। समाज की पीड़ा को दूर करने के लिए वह सदैव प्रयासरत रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह बिरला गुजरात में 2011 के भूकंप के दौरान राहत कार्य में जुटे थे।

केदारनाथ त्रासदी के समय भी लोगों की मदद के लिए पहुंच गए थे। कोटा की जनता की सेवा के लिए भी आधी रात को कंबल लेकर निकलते थे। कोटा में कोई भूखा न सोए इसके लिए प्रसादम नाम की योजना भी चला रहे हैं।

बुधवार सुबह लोकसभा के तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही पीएम ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए बिरला का नाम प्रस्तावित किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह ने इसका समर्थन किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा,बसपा समेत समूचे विपक्ष ने भी साथ दिया और बिरला ध्वनिमत से अध्यक्ष चुने गए।

बिरला ने सदन को संबोधित करते हुए सांसदों को आश्वासन दिया कि वह किसी भी दल के हों, वह उनके हितों का ध्यान रखेंगे। सदन की कार्यवाही में सभी नियमों व नियमावलियों का पूरा पालन करेंगे। उन्होंने सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों के सदस्यों से सहयोग मांगा। इसके बाद बिरला ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। उसके बाद उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के आवास पर जाकर उनसे मिले।

गौरतलब हो कि वर्ष 2003 में पहली बार उन्होंने कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। वर्ष 2013 में विधायक चुने जाने के बाद भी पार्टी ने 2014 में उन्हें कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वा दिया और वह सांसद बन गए। इस बार उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनारायण मीणा को दो लाख 79 हजार वोटों से हरा दिया।

राजस्थान की राजनीति में वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में उनके सबसे विश्वस्त लोगों में गिने जाते थे। ओम बिरला भाजपा में माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के विशेषज्ञ माने जाते हैं। पार्टी के चुनाव प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिरला को इसका प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है। उनके पिता श्रीकृष्ण बिरला संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक रहे हैं और इसीलिए ओम बिरला का भी शुरू से ही संघ और भाजपा से जुड़ाव रहा है। पांच भाइयों में ओम चौथे नंबर के हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का राजनीतिक सफरनामा 

राजनीतिक गलियारों में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिरला का नाम भले ही चौंकाने वाला रहा है, लेकिन संसदीय अनुभव उनके पास है। 57 वर्षीय बिरला तीन बार (2003, 2008 और 2013) राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने संसदीय सचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है। वह लगातार दूसरी बार कोटा से जीतकर लोकसभा में पहुंचे हैं। उन्होंने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2.5 लाख वोटों के अंतर से हराया था। बतौर सांसद उनकी सदन में उपस्थिति 86 फीसद रही। उन्होंने 671 सवाल पूछे और 163 संसदीय चर्चाओं में हिस्सा लिया।

वर्ष 1991 से लेकर 12 सालों तक वह भाजयुमो के प्रमुख नेता रहे हैं। राज्य में वह भाजयुमो अध्यक्ष रहे हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर उपाध्यक्ष का पद संभाला है। राजनीति के क्षेत्र में उन्हें सबको साथ लेकर चलने में माहिर माना जाता है। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए जेल में यातनाएं भोगीं। माना जा रहा है कि वह लोकसभा अध्यक्ष के रूप में विपक्षी दलों को भी साधने में कामयाब रहेंगे। राजस्थान को अहमियत भी वजह : बिरला के चयन को लेकर संदेश ढूंढने की कोशिश होगी। अगर चुनावी नतीजों की बात करें तो राजस्थान से पार्टी न सिर्फ सभी सीटें जीती बल्कि वोट भी करीब साठ फीसद था। फिलहाल राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में तीन मंत्री हैं। ओम बिरला विजयी रहने पर आठ बार की सांसद और निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन की जगह लेंगे।

हालांकि आमतौर पर माना जाता है कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा को चलाने के लिए काफी अनुभवी अध्यक्ष की जरूरत होती है। इस अहम जिम्मेदारी को निभाने के लिए ऐसे राजनेता की दरकार होती है जो विधायी कार्यो, नियमों और कानूनों में सिद्धहस्त होता है। कोई नेता इसमें तभी पारंगत माना जाता है जब वह कई बार संसद के किसी सदन का सदस्य बन चुका होता है। 17वीं लोकसभा में राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला लोकसभा के नए स्पीकर होंगे। अब तक वे सिर्फ दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई कम संसदीय अनुभव वाले किसी राजनेता को इस पद पर बैठाया गया हो। 

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