NSA अजीत डोभाल का ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊं के साथ किया स्वागत
देश सेवा के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने युवाओं से कहा कि देश सेवा के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि देश सेवा सर्वोत्तम सेवा है : अजीत डोभाल
रिवर्स पलायन अच्छा संकेत : लॉकडाउन के दौरान अधिकांश युवा गांवों की ओर लौटे : NSA
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NSA अजीत डोभाल का ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊं के साथ किया स्वागत देश सेवा के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने युवाओं से कहा कि देश सेवा के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि देश सेवा सर्वोत्तम सेवा है : अजीत डोभालरिवर्स पलायन अच्छा संकेत : लॉकडाउन के दौरान अधिकांश युवा गांवों की ओर लौटे : NSA देवभूमि मीडिया ब्यूरो गढ़वाली बोली में ग्रामीणों के साथ खुलकर की बातपौड़ी। शनिवार को अपने पैतृक गांव पहुंचे एनएसए ने ग्रामीणों के साथ खुलकर गढ़वाली भाषा में बातचीत करते हुए ग्रामीणों का हालचाल जाना। गांव में डोभाल सुरक्षा के तामझाम से भी मुक्त रहते हैं। साथ ही ग्रामीणों से खुलकर बातचीत करते हैं।शनिवार को भी एनएसए डोभाल ने ग्रामीणों के साथ खुलकर बातचीत करते हुए गांव की समस्याओं से लेकर बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए उनका हालचाल जाना।इस दौरान बचपन के सहपाठी दामोदर प्रसाद डोभाल और भुवनेश्वर प्रसाद के साथ मुलाकात करते हुए स्कूलों के दिनों को भी याद किया। गांव के छोटे-छोटे बच्चों को भी दुलार किया। इस दौरान ग्रामीण भी खुश नज़र आए ।पौड़ी (गढ़वाल) : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शनिवार को अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां पर अपनी पत्नी के साथ कुलदेवी बाल कुंवारी की पूजा अर्चना की। साथ ही ग्रामीणों के साथ खुलकर गढ़वाली भाषा में भी बातचीत की। एनएसए बनने के बाद डोभाल तीसरी बार अपने गांव आए। शनिवार को अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे एनएसए अजीत डोभाल का ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊं के साथ स्वागत किया।शनिवार तड़के 6:30 बजे एनएसए अजीत डोभाल पत्नी अरुणा डोभाल के साथ अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे। गांव में पुजारी जया प्रसाद कुकरेती और सुरेश कुकरेती ने पूजा अर्चना करवाई। करीब एक घंटे की पूजा अर्चना के बाद डोभाल गांव में पहुंचे। यहां डोभाल ने ग्रामीणों से बातचीत भी की। युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं को देश सेवा के लिए आगे आना चाहिए। देश सेवा सर्वोत्तम है। लॉकडाउन के दौरान अधिकांश युवा गांवों की ओर लौटे हैं। रिवर्स पलायन अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि गांव में उनका 70 से 80 वर्ष पुराना पैतृक मकान है। वह भी गांव में अपना नया मकान बनाने पर विचार कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने गांव में अपने पैतृक मकान के अवशेष भी देखे। उन्होंने मकान निर्माण को लेकर ग्रामीणों से चर्चा भी की। कहा कि गांव में गेस्ट हाउस का निर्माण भी किया जाएगा। डोभाल ने सहज गढ़वाली लहजे में ग्रामीणों से बातचीत की।गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने एनएसए डोभाल का ढोल दमाऊं की थाप पर फूल मालाओं से स्वागत किया। इस मौके पर एसडीएम एसएस राणा, सीओ वंदना वर्मा, ग्राम प्रधान अजय डोभाल, ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष कमल रावत, हरीश कुकरेती, सुनील बडोनी, पंकज डोभाल, भगवती ममगाईं, शिवांग, विजय प्रकाश, दामोदर प्रसाद डोभाल, आशीष आदि मौजूद थे।
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
गढ़वाली बोली में ग्रामीणों के साथ खुलकर की बात
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पौड़ी। शनिवार को अपने पैतृक गांव पहुंचे एनएसए ने ग्रामीणों के साथ खुलकर गढ़वाली भाषा में बातचीत करते हुए ग्रामीणों का हालचाल जाना। गांव में डोभाल सुरक्षा के तामझाम से भी मुक्त रहते हैं। साथ ही ग्रामीणों से खुलकर बातचीत करते हैं।
शनिवार को भी एनएसए डोभाल ने ग्रामीणों के साथ खुलकर बातचीत करते हुए गांव की समस्याओं से लेकर बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए उनका हालचाल जाना।
इस दौरान बचपन के सहपाठी दामोदर प्रसाद डोभाल और भुवनेश्वर प्रसाद के साथ मुलाकात करते हुए स्कूलों के दिनों को भी याद किया। गांव के छोटे-छोटे बच्चों को भी दुलार किया। इस दौरान ग्रामीण भी खुश नज़र आए ।