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लोगों को हिंसा के लिए भड़काने वाले नेता नहीं: जनरल रावत

लोगों का सही दिशा में नेतृत्व करने वाले को ही कहा जाएगा नेता 

एजेंसियां

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि लोगों को हिंसा के लिए भड़काने वाले नेता नहीं हैं। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को नेता नहीं कहा जा सकता, जो लोगों को गलत दिशा में ले जाते हैं। लोगों का सही दिशा में नेतृत्व करने वाले को ही नेता कहा जाएगा। जनरल रावत की इस टिप्पणी से सियासी घमासान तेज हो गया और विपक्षी दलों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की।

सेना प्रमुख ने कहा कि नेतृत्व एक जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं, हर कोई आपके पीछे चलने लगता है। यह उतना आसान नहीं है। यह आसान दिखता है, लेकिन असल में जटिल प्रक्रिया है। हालांकि भीड़ से भी नेता उभरता है। लेकिन, नेता वह है, जो लोगों को सही दिशा में ले जाए। इन दिनों विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों का उदाहरण देते हुए जनरल रावत ने कहा कि जिस तरह शहरों में लोगों को ¨हसा के लिए भड़काया जा रहा है, वह नेतृत्व नहीं है।

नागरिकता कानून पर हुए ¨हसक प्रदर्शन : इसी माह संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पारित किए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में ¨हसक प्रदर्शन हुआ। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में कई लोग घायल हुए और कुछ प्रदर्शनकारियों की मौत भी हो गई। आंदोलनकारियों से निपटने में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए।

पूर्व नौसेना प्रमुख ने बयान को गलत बताया : पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने जनरल रावत के सार्वजनिक बयान को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि नियम बहुत साफ है कि हम देश की सेवा करते हैं और राजनीतिक बल नहीं हैं। राजनीतिक बयान देना, जैसा कि हमने आज सुना है, किसी भी सेवारत सैनिक के लिए पूरी तरह गलत है। चाहे वह शीर्ष पर बैठा हो या निचले स्तर पर हो।

सेना ने दिया स्पष्टीकरण : जनरल रावत की टिप्पणी पर राजनीतिक बयानबाजी तेज होने के बाद सेना ने एक बयान जारी कर सफाई दी कि सेना प्रमुख ने नागरिकता संशोधन कानून का जिक्र नहीं किया है। बयान में कहा गया है कि उन्होंने किसी राजनीतिक घटना या व्यक्तित्व का हवाला नहीं दिया है। वे छात्रों को संबोधित कर रहे थे। छात्रों को सही राह दिखाना उनकी जिम्मेदारी है, क्योंकि वे देश के भविष्य हैं। कश्मीर घाटी में युवाओं को पहले उन लोगों द्वारा गुमराह किया गया, जिन पर उन्होंने विश्वास किया कि ये हमारे नेता हैं।

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