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पहाड़ियों के सीने पर दौड़ लगाते भाजपाई ! 

  • अमित शाह – प्रबुद्ध जनसंवाद 
  • उत्तराखंड में ही उत्तराखंडियों की भाजपा ने की अनदेखी

देहरादून : उत्तराखंड के जिस पहाड़ में गोविंद बल्लभ पंत, चन्द्र सिंह गढ़वाली, पीताम्बर दत्त बडथ्वाल, हेमवती नंदन बहुगुणा, और सुमित्रा नंदन पंत सहित सैकड़ों ऐसे प्रबुद्ध लोगों ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक उत्तराखंड का नाम रोशन किया उस पहाड़ी प्रदेश में भाजपा को एक दर्जन भी प्रबुद्ध उत्तराखंडी लोग नहीं मिल पाए जो अमित शाह के प्रबुद्ध लोगों के लिए आयोजित हुए लंच पार्टी में भाग ले पाते। मामले की शिकायत पार्टी आलाकमान तक पहुँच चुकी है कि आयोजकों ने जानबूझकर उत्तराखंडियों को अमितशाह के कई कार्यक्रमों सहित उनके  साथ हुए लंच से जानबूझकर दूर करने की साजिश की है।

उत्तराखण्ड भाजपा इन दिनों पहाड़ विरोधी मानसिकता के दौर से गुजर रही है। अमित शाह के दौरे पर भाजपा संगठन से जुड़े कतिपय लोगों ने पहाड़ के प्रबुद्ध लोगों की जमकर अवहेलना ही नहीं की बल्कि उनको जमकर नज़रंअंदाज़ तक किया।अमित शाह के प्रदेश के दो दिवसीय दौरे से जाने के बाद अब छन-छन कर भाजपा खेमे से बातें निकलकर आ रहीं हैं।

अमित शाह के कार्यक्रम में उत्तराखण्ड जैसे पहाड़ी बाहुल्य राजधानी देहरादून में रह रहे कुछ ही लोगों को बुलाया गया। जबकि अधिकाँश लोग ऐसे बुलाये गए थे जिनका पहाड़ों से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं था। प्रबुद्ध लोगों से बातचीत में दून में ही मौजूद कई विद्वान लोगों को नहीं बुलाया गया। देहरादून से डॉ. महेश कुड़ियाल, डॉ. कमल घनसाला, डॉ. विजय धस्माना और शराब कारोबारी मनोहर जुयाल को बुलाया गया। जबकि पहाड़ी मूल के दर्जनों प्रमुख लोग जो अपना नाम विभिन्न क्षेत्रों में रोशन कर चुके हैं को नहीं बुलाया गया। इतना ही नहीं सेना में प्रमुख पदों पर रहे कई पहाड़ी अफसर जो दून में निवास करते हैं,उन लोगों तक को नहीं बुलाया गया।

भाजपा के कई बड़े नेता पार्टी संगठन की इस लापरवाही से नाराज हैं। और सिर्फ गैर पहाड़ी लोगों को ही बुलाये जाने से क्षुब्ध भी हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन में वर्तमान में बनिया लॉबी हावी है। ये लॉबी जहाँ लगातार मुख्यमंत्री को कमजोर करने में जुटी है। वहीँ पहाड़ियों को हेय दृष्टि से भी देखती है।

संगठन का एक नेता तो अपने व्यभिचार के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में जाना जाता है। ये पदाधिकारी अभी तक अपनी सीट पर जमा हुआ है और पहाड़ के लोगों पर जमकर आक्षेप और कटाक्ष करता रहता है। इसकी कार्यशैली को लेकर भाजपा में अंदरूनी तौर पर विद्रोह का ज्वार सुलग रहा है।यदि समय रहते इसका इलाज़ न किया गया तो यह विस्फोट किसी भी  स्थिति तक पहुँच सकता है।

वहीँ अमित शाह के दौरे पर मीडिया से भी इन नेताओं ने अपने  ख़ास लोगों को ही  बुलाया जो इनके खिलाफ या पार्टी में हो रहे गलत कार्यों पर सवाल न उठायें । रात को अमित शाह के साथ हुए प्रीतिभोज में कुछ दलाल किस्म के पत्रकारों को भी प्रवेश दिया गया था, कुछ तटस्थ पत्रकारों को जानबूझकर नहीं बुलाया गया । अमित शाह के साथ रात्रि भोज पर बुलाये गए कुछ पत्रकार मुख्यमंत्री और एक चर्चित अधिकारी के यहां ट्रांसफर पोस्टिंग और दलाली में लगे हुए हैं । यही दलाल पत्रकार अमित शाह के साथ सेल्फी खिंचवा रहे थे। जबकि पहाड़ी मूल के पत्रकारों को जानबूझ कर किनारे किया गया। दलाल टाइप पत्रकारों को शह देकर संगठन क्या संदेश देना चाहता है। यह किसी की समझ में नहीं आया।

अमित शाह के दौरे पर सरकार को तो कोई लाभ नही हुआ। लेकिन संगठन के नेताओं ने मनमानी की। ये वार्ड टाइप के  नेता मुख्यमंत्री को भी कुछ नहीं समझ रहे हैं। इन के कुकर्मो से भाजपा की पूरे प्रदेश में जग हंसाई हो रही है। प्रदेश का मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग भाजपा के इन छुटभैया टाइप नेताओं की कारस्तानी से उबल रहा है।

devbhoomimedia

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