- राहुल अथवा कांग्रेस ने भाजपा अथवा मोदी को अपने जाल में फंसा दिया!
राजेन्द्र जोशी
आसन्न लोकसभा चुनाव में जो देखने को मिल रहा है वह पहले कभी देखने को नहीं मिला। इस बार चुनाव के कैम्पेन को देखने से लग रहा है कि या तो मोदी दिग्भ्रमित गए हैं या भाजपा या उनके जुमले अब चल नहीं पा रहे हैं। या फिर कांग्रेस या राहुल गाँधी होशियार हो गये हैं, जिन्होंने भाजपा अथवा मोदी को अपने जाल में फंसा दिया है।
2014 के लोकसभा चुनाव भाजपा अथवा मोदी ने जो नारे दिए थे उनको अब एक बार फिर याद करना जरुरी है उस लोकसभा चुनाव में भाजपा या मोदी का चुनावी कैम्पेन चाय वाले के बाद अच्छे दिन आएंगे, के जुमले के साथ ही हर भारतवासी के बैंक खाते में 15 से 20 लाख रुपये डाले जाने के सपने देश की गरीब जनता को दिखाए गए,वहीं बेरोजगारों को भी सपने दिखाए गए कि भाजपा की सरकार आने के बाद दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार प्रतिवर्ष दिए जाने का आश्वासन दिया गया, स्विस बैंक सहित देश से बाहर रखे देश से कमाई का काला धन वापसी के नारे सहित देश से कहा गया कश्मीर समस्या के हल के लिए वहां से धारा 370 हटाए जाने के साथ ही 35 (A) को भी हटाया जाएगा वहीं राम मंदिर शीघ्र बनाये जाने का आश्वासन भी देश की जनता को दिया गया, लेकिन मोदी सरकार ने पूरे पांच साल तक इन घोषणाओं को चुनाव में प्रयोग करने के बाद बक्से में बंद कर दिया क्योंकि इन सब बातों पर ही पिछला लोकसभा चुनाव केन्द्रित था।
अब इस बार भाजपा अथवा मोदी के नए जुमले चुनावी समर के फिजाओं में तैर रहे हैं। पिछले मुद्दों पर तो कोई बात ही नहीं हो रही है। साफ़ मतलब है इन मुद्दों पर न तो भाजपा बात करना चाह रही है और न प्रधानमन्त्री मोदी ही कहीं इसका जिक्र करते नज़र नहीं आ रहे हैं। इसका साफ़ मतलब यह निकाला जा सकता है कि आसन्न लोकसभा चुनाव में ये मुद्दे बेकार हो गए हैं या अब इनकी कोई अहमियत नहीं रह गयी है या यूँ कहें भाजपा या मोदी समझते हैं कि देश कि जनता पिछले चुनावों के दौरान उछाले गए इन मुद्दों को भूल चुकी है। लिहाज़ा इस बार भाजपा अथवा मोदी नए नारे या यूँ कहें नये जुमले लेकर इस वक़्त हो रहे लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं।
इस बार भाजपा अथवा मोदी नए नारों और नए जुमलों के साथ चुनाव मैदान में नज़र आ रहे हैं। इस बार भाजपा अथवा मोदी ने सबसे पहले पहले वन्दे मातरम,भारत माता की जय के नारे के साथ चुनावी समर का आगाज़ किया ,इसके बाद देश की जनता के बीच गौ माता के नाम पर चर्चा शुरू की गयी लेकिन मोवलिंचिंग के मामले सामने आने के बाद इस मुद्दे से भी किनारा करने में ही भाजपा अथवा मोदी ने भलाई समझी, इसके बाद राष्ट्रवाद के नारे को सामने लाया गया लेकिन वह भी नहीं चल पाया। इस साल में अब तक चुनाव की घोषणा होने के पहले से लेकर आज तक देखा जाय तो भाजपा अथवा मोदी के ये नारे या जुमले केवल 10 -15 दिन तक ही चल पाए हैं।
इसके बाद देश भर के समाचार पत्रों से लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया सहित सोशल मीडिया पर ”मोदी है तो मुमकिन है” का यह नारा प्रचारित और प्रसारित किया गया यह नारा भी देश की जनता को नहीं भाया हाँ भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच यह जरुर कुछ दिन चला । इसके बाद अब नया नारा उछाला गया कि ”चौकीदार चौकन्ना है” जबकि इससे पहले राहुल गाँधी कई बार कई मंचों से यह कहते सुनाई दिए कि ”चौकीदार चोर है” राहुल के इस नारे को देश की जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथों हाथ लिया और यह जनता की जुबान पर भी चढ़ गया। इसका साफ़ मतलब है कि भाजपा अथवा मोदी तो राहुल गाँधी के नारे पर आ गए, इसका एक और मतलब है कि भाजपा या मोदी दिग्भ्रमित हो गये या राहुल या कांग्रेस होशियार हो गए हैं। याने मोदी और भाजपा अब हर महीने मुद्दे बदल रहे हैं क्योंकि जो नारे भाजपा या मोदी उछाल रहे हैं वे देश की जनता को लुभा नहीं पा रहे हैं ।
अब कांग्रेस का ”चौकीदार चोर है” का नारा तो लोगों की जुबान पर चढ़ गया है लेकिन इस नारे के बाद भाजपा अथवा मोदी ने “चौकीदार चौकन्ना है” का नारा दे दिया है । यह नारा जनता कि जुबान पर नहीं चढ़ पा रहा है या यूँ कहें जनता को प्रभावित नहीं कर पा रहा है। यदि भाजपा कहती है कि चौकीदार चौकन्ना है तो जनता पूछ रही है जब चौकीदार चौकन्ना है तो रक्षा मंत्रालय से राफेल की फाइल कैसे चोरी हो गयी, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या कैसे देश से करोड़ों रूपये लेकर भाग खड़े हो गए ? ये जो सवाल हैं जनता मोदी के जुमलों का जवाब मांग रही है ।
इस चर्चित नारों के बाद देखा जाय तो भाजपा या मोदी दोनों ही राहुल के बुने जाल में फंसते नज़र आ रहे हैं, यानि भाजपा और मोदी राहुल गाँधी के नारे के झांसे में पर आ गए इससे साफ़ है या तो भाजपा दिग्भ्रमित हो गयी है या मोदी या फिर कांग्रेस या राहुल होशियार हो गए हैं, जिन्होंने सोची समझी चाल के तहत भाजपा या मोदी को फंसा दिया है।