खबर का असर : पेयजल मंत्री ने एमडी और अध्यक्ष की मनमानी पर लगाया ब्रेक

- ”देवभूमि मीडिया ”के समाचार और कर्मचारियों के पत्र का लिया संज्ञान
देहरादून : आखिरकार पेयजल मंत्री ने पेयजल निगम में चल रहे प्रशासनिक कदाचार पर ”देवभूमि मीडिया ” में प्रकाशित समाचार और कर्मचारियों के पत्र का संज्ञान लेते हुए निगम के एमडी द्वारा सेवा निवृत अधिकारियों और कर्मचारियों को पुनः विभाग में संविदा पर रखने के अरमानों पर पानी फेर दिया। मंत्री के इस पत्र से साफ़ हो गया है कि अब पेयजल निगम में एमडी और अध्यक्ष की वैसी मनमानी नहीं चलेगी जैसा वे चलाना चाहते हैं।
गौरतलब हो कि पेयजल निगम के कर्मचरियों द्वारा बीते दिनों मुख्यमंत्री सहित पेयजल मंत्री को एक पत्र भेजकर कहा था कि घाटे में चल रहे निगम में तथा प्रधान कार्यालय में अनधिकृत रूप से विभागीय व शासनादेशों का उलंघन कर नियमविरुद्ध सेवा निवृत कर्मियों को संविदा पर रखते हुए निगम और सरकार को चूना लगाया जा रहा है। पत्र में लिखा गया था कि अधिशासी अभियंता मुकुल सिन्हा, मुख्य अभियन्ता सुनील कुमार वैयक्तिक सहायक आनंद जोशी ,चपरासी बेलवाल और शांति प्रसाद को सेवानिवृति होने के बाद भी संविदा पर तैनाती देने की तैयारियां की जा रही है। जबकि विभाग में नियमित फील्ड कर्मचारी जो मिनिस्ट्रियल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी स्टाफ की योग्यता रखते हैं को तैनात न करते हुए अनावश्यक रूप से सेवा निवृत कर्मियों को पुनर्नियुक्त कर निगम सहित सरकार पर व्ययभार बढ़ाया जा रहा है।
पत्र में कहा गया था कि जबकि शासन द्वारा बीती 12 सितंबर 2017 को प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 41 /XXX II (7 )50 (4) 2017 में साफ़ तौर पर कहा गया है कि समूह ”ग” व ”घ” के पदों पर पुनर्नियुक्ति अथवा पर्न नियोजन नहीं किया जाएगा, लेकिन विभागीय प्रबंध निदेशक द्वारा उक्त शासनादेश का खुला उलंघन करते हुए मनमाने ढंग से अपने चहेतों को संविदा पर रखा जा रहा है इतना ही नहीं इनकी संविदा अवधि बार-बार बढाकर सरकार को व निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है।
वहीँ पत्र में लिखा गया था कि प्रबंध निदेशक कैंप में रोहणीवाल वैयक्तिक सहायक की तैनाती की जानी थी लेकिन उनकी तैनाती इसलिए नहीं की गयी कि उन्हें प्रबंध निदेशक का विश्वास पात्र नहीं माना जाता है जबकि उक्त पद पर और उक्त वेतनमान में रोहणीवाल ही अहर्ता रखते हैं। परन्तु उन्हें नज़रअंदाज़ कर और नकारा घोषितकरके नियम विरुद्ध आनंद जोशी को महत्वपूर्ण पद पर कैंप कार्यालय में इसलिए रखा गया है कि वह सेटिंग -गेटिंग कर प्रबंध निदेशक के काले कारनामों में सहयोग दे सकें।
कर्मचारियों में पत्र में कहा था कि उन्हें सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है कि आनंद जोशी को पुनः एक साल के लिए संविदा पर रखने के सम्बन्ध में जो पत्रावली बनायीं गयी है उसमें जोशी को विभिन्न फार्मों के प्रतिनिधियों से संपर्क करने एवं वार्तालाप करने में निपुण होने का उल्लेख है। पत्र में कहा गया है कि यह सत्य है कि आनंद जोशी द्वारा ही फार्मों के मालिकों एवं प्रतिनिधियों से सांठ गांठ क्र प्रबंध निदेशक से मिलाया जाता है इसीलिए आनंद जोशी जो कि वर्तमान में संविदा पर हैं को ऐसे महत्वपूर्ण पद पर रखा गया है एवं उन्हें कैंप कार्यालय के महत्वपूर्ण अभिलेख तक सौंपे गए हैं। जबकि उपरोक्त शासनादेश दिनांक 12 सितम्बर 2017 के अनुसार उन्हें कोई भी अधिकार इस पद के लिए अधिकृत नहीं करते। जबकि कैंप कार्यालय में पूर्ण कालिक रूप में बहुगुणा वैयक्तिक सहायक को नज़रअंदाज़ करके उनसे कोई कार्य नहीं लिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री सहित पेयजल मंत्री को भेजे गए इस पत्र में कहा गया था कि शासनादेश के अनुसार समय रहते इन संविदा के पदों पर तुरंत रोक लगाए जाने की जरुरत है। इसी समाचार को ”देवभूमि मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था इसके बाद सूबे के पेयजल मंत्री ने सोमवार को खबर और पत्र का संज्ञान लेते हुए पेयजल निगम के अध्यक्ष अरविंद हयांकी को अपने पत्रांक 5309 /VIP /2017 दिनांक 16 /10/17 में कहा कि वर्तमान में पेयजल निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और शासनादेश द्वारा दिए गए निर्देशानुसार समूह ”ग ” और ”घ” के पदों पर किसी भी प्रकार की पुनर्नियुक्ति न की जाय। पेयजल मंत्री ने साफ़ -साफ़ अपने पत्र में कहा है कि यदि कोई अपरिहार्य स्थिति हो तो उनसे अनुमोदन के बाद ही अग्रेतर कार्यवाही करने के निर्देश अध्यक्ष को दिए हैं। यानि साफ़ है कि पेयजल निगम के एमडी का अब एकछत्र राज निगम में नहीं चलने वाला।