जानिए क्या है जम्मू कश्मीर का रोशनी विधेयक और अब क्यों हुआ रद्द
जम्मू कश्मीर में रोशनी विधेयक रद्द
मात्र 101 रुपए में बिजली कनेक्शन देकर हिन्दूभूमि को सदा के लिए मुसलमान के नाम कर दिया
1990 में कश्मीरी हिन्दुओं की कब्जाई गई जमीन व मकान वापस उन्हीं हाथों में देने की तैयारी हो रही है जिसे उसने छीन लिया गया था
संजय विनायक जोशी
जानिए क्या था रौशनी एक्ट और जम्मू कश्मीर की तत्कालीन सरकारों ने उसका कैसे उठाया फ़ायदा
वर्ष 2001 नवम्बर में तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया था और इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली क्षेत्र के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही। एक्ट में प्रावधान था कि केवल उन्हीं लोगों को जमीनों का मालिकाना अधिकार दिया जाएगा, जिनके पास 1999 के पहले से सरकारी जमीन पर कब्जा है, लेकिन राजनेताओं की नीयत बदलते वक्त नहीं लगा। वर्ष 2004 में रोशनी एक्ट में संशोधन किया गया। संशोधन करते हुए वर्ष 1999 के महत्व को समाप्त कर दिया गया। नया प्रावधान शामिल किया गया और व्यवस्था बनी कि जिसके भी कब्जे में सरकारी जमीन है, वह योजना के तहत आवेदन कर सकता है। इससे जमीन का अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ। रोशनी एक्ट के तहत कमेटियां बनाई गईं, जिन्हें भूमि का मार्केट रेट निर्धारित करना था, लेकिन नियमों को ताक रख दिया गया। पहले बताया गया था इससे राज्य को 25 हज़ार करोड़ रुपए मिलेंगे लेकिन आए केवल 76 करोड़ रुपए। यानि इस योजना के तहत भारी घोटाला किया गया। संशोधित योजना के नियमों के तहत 31 मार्च 2007 के बाद सरकारी भूमि के मालिकाना अधिकारों के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता था। ऐसे में यह योजना हालांकि 2007 में आप्रासंगिक हो जाती लेकिन इसमें संशोधन जारी रहे और राजनेता व नौकरशाह इसका फायदा उठाकर सरकारी जमीनों के मालिक बनते गए। बहरहाल इस माले को सीबीआई को सौंप दी गयी है उसे आठ सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट देनी है।
अच्छी शुरूआत का समय तो आया आज समय का खेल देखिये, हिन्दुओं, कैसे अब्दुल ने पड़ोसी हिन्दू को मार-भगाकर उसकी जमीन, मकान पर कब्जा जमा लिया 1990 में। उसे वापस उन्हीं हाथों में देने की तैयारी हो रही है जिसे उसने छीन लिया गया था। जिसे लेकर कब्जाई जमीन पर उस समय कथित शांतिदूतों के नाम करने का षड्यंत्र रचा गया। बिजली कनेक्शन देने की आड़ लेकर, एक रोशनी एक्ट बनाया उस समय की तत्कालिक प्रदेश सरकार के मुखिया फारुख अब्दुल्ला सरकार ने।कब्जाई हिन्दूभूमि को मुस्लिम के नाम करने की फीस रखी गई मात्र 101 रुपए । 101 रुपये जमा करने मात्र से राशि जमा करने वाले के नाम वो जमीन का मालिकाना हक रोशनी एक्ट के अंतरगत पट्टा जारी कर दिया जाता, और फिर उस पर बिजली कनेक्शन देकर उस हिन्दूभूमि को सदा के लिए मुसलमान के नाम कर दिया गया।
1990 की कत्ल वाली रात के पश्चात, जो जमीन जिसके कब्जे में थी, उसे रोशनी एक्ट द्वारा उसका मालिक बनाने का कानून फारुख अब्दुल्ला ने बनाया।1990 के बाद से मुसलमानों के नाम की गई हिन्दूभूमि के कागजात, जो कि रोशनी एक्ट द्वारा जारी किए गए थे, उन्हें रद्द किया जा रहा है और उसके असली स्वामी हिन्दू को ढूंढा जा रहा है। जम्मू-काश्मीर में हिन्दुओ के अच्छे दिनों को आरंभ हुआ। इंच इंच हिन्दूभूमि पुनः काश्मीरी हिन्दुओं को दिलाने के लिए संघर्ष करता हिन्दुराज की शुरूआत हो चुकी है। हिन्दू पंडितों को मार-भगाकर काश्मीर में मुस्लिमों द्वारा कब्जा की गई हिन्दूभूमि को मात्र 101 में मुसलमानों के नाम करने के लिए फारुख अब्दुल्ला के द्वारा बनाये गए रोशनी एक्ट को अब रद्द कर दिया है। साथ ही 2001 में काश्मीर में मुस्लिम नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम बंदरबांट द्वारा रोशनी एक्ट द्वारा कब्जाई हिन्दूभूमि के सारे रिकॉर्ड को भी खंगालने के आदेश जारी किए गए हैं। जो भागते हिन्दुओं के बंगले, कोठियां, कारखाने, उद्योग, बाग बगीचे, केशर के बागान मुसलमानों ने कब्जा कर लिए थे।
उन हिन्दूभूमि को आतंकी मुस्लिमों व उनके रिश्तेदारों के नाम करने के लिए रोशनी एक्ट जो कि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति के लिए तैयार किया गया था, उसकी आड़ में बिजली कनेक्शन देने के लिए केवल १०१ में कब्जा जमीनों व बागानों, बंगलों, अन्य हिन्दूभूमि को मुस्लिमों के नाम पर पट्टा जारी कर दिया गया।काश्मीर को हिन्दुविहीन करने के षड्यंत्र में फारुख अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती दोनों के पिता की मुख्य भूमिकायें थी।इन्होंने भी अकूत हिन्दूभूमि अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम रोशनी एक्ट द्वारा पट्टा जारी करते हुए कब्जाई। जिसे अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदेशों से रोशनी एक्ट रद्द कर दिया गया है, और 1990 के बाद में जो भी सम्पति मुसलमानों के नाम की गई थी,
सब की जांच आरभ करने का मार्ग खोल दिया है। इस्लामिक आतंकवाद की असली जड़ पर चोट कर दिए हैं। इसी काश्मीर से संविधान की आड़ लेकर, हिन्दुओं के विरुद्ध आधुनिक गजवा-ए-हिन्द का षड्यंत्र फारुख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद के द्वारा आरंभ किया गया था। जिसको रोशनी एक्ट बनाकर, काश्मीर में से हिन्दुविहीन करने का सफल षड्यंत्र रचा। उस राजनीतिक आतंकवादियों के बूरे दिन आरंभ हुए हैं।
अब बात कुछ मूर्खों की तो उनको तो स्वयं के जागरूक नागरिक होने का सार्वजनिक प्रमाण पत्र लेने की इतनी हड़बड़ाहट लगी रहती है, कि देश में कहीं पर भी किसी सेकुलर हिन्दू के साथ कुछ घटना घटित हुई नहीं, कि लग गए मोदी को गालियां देने। तरह – तरह के सुझावों की झड़ी लगा देते हैं, कि मोदी तो विश्वास जीतने में लग गया है, मोदी ने तो हिन्दुओं के लिए क्या किया है ? ऐसे कुठित मानसिकता के शिकार अत्यंत बुद्धिजीवी वर्ग के तथाकथित जागरूक हिन्दुओं को कहना चाहता हूँ कि 72 वर्षों में जितना षड्यंत्र हिन्दुओं के विरुद्ध कांग्रेस के ईसाई व मुस्लिम नेतृत्व ने किया है,
अगर आपको ये लगता है कि मोदी के अच्छे निर्णयों पर कुछ लिखने मात्र से आपके पाप क्षीण हो गए हैं, तो ये आपकी गलतफहमी ही है। बुद्धिमान व्यक्ति के तमगे लगाए आप लोग असल में जागते हिन्दुओं को पथभ्रष्ट करने का अनदेखा पाप कर रहे हो। राजनीतिक धर्म युद्ध में कोई निष्पक्ष नहीं होता और करोड़ों हिन्दू मोदी के पक्ष में। अब आप ही तय करिए कि आप किस पक्ष के साथ हो। आपके व्यवहार से किसे अधिक लाभ होता है ? मोदी को या विपक्ष को ? स्वयं आंकलन करिए व अपनी कलम की दिशा धर्मरक्षार्थ गुप्त व दृश्यतामक निर्णय लेने वाले नरेंद्र मोदी के पक्ष में शाब्दिक करें मोदी-विरोधी पृष्ठभूमि के भंवरजाल में फंसे हिन्दुओं को बाहर निकल आने में साक्षी बनें।