-निचले क्षेत्रों में बारिश होने से बढ़ी ठंड
रुद्रप्रयाग । मौसम के करवट बदलते ही ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फवारी होने के साथ ही निचले क्षेत्रों में जमकर बारिश हो रही है। लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के कारण ठंड भी बढ़ गई है, जिससे लोगों ने फिर से गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। वहीं केदारनाथ धाम में भी जमकर बर्फवारी हो रही है। बर्फवारी के चलते पुनर्निर्माण कार्यों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। सीमेंट के कार्य प्रभावित होने के साथ ही अन्य कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं, जबकि मजदूर और अधिकारी पानी को पिघलाकर पीने को मजबूर हैं।
दरअसल, दो दिनों से लगातार हो रही बारिश और बर्फवारी से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जहां ऊंचाई वाले इलाकों ने बर्फ की चादर ओढ़ ली है, वहीं निचले क्षेत्रों में बारिश जमकर हो रही है। ऐसे में लोगों ने फिर से अपने गर्म कपड़े बाहर निकाल लिये हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से गर्मी का कहर पड़ने से लोगों ने गर्म कपड़ों को संभाल लिया था, मगर अब फिर से ठंड बढ़ने से लोगों को कंपकंपाती ठंड में अलाव का भी सहारा लेना पड़ रहा है।
मौमस के करवट बदलते ही केदारनाथ, तुंगनाथ, त्रियुगीनारायण, मद्दमहेश्वर घाटी में बर्फवारी हो रही है। इसके अलावा पर्यटन स्थल मिनी स्विटजरलैंड में बर्फवारी होने से सैलानियों ने अपना रूख कर लिया है। वैसे भी काफी समय बाद चोपता में बर्फ देखने को मिल रही है। वहीं केदारनाथ में बर्फवारी होने से पुनर्निर्माण के कार्य प्रभावित हो रहे है। इस समय केदारनाथ में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कार्य किये जा रहे हैं। इन कार्यों को समय से पूर्ण करवाना भी प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है।
केदारनाथ में एक फीट तक बर्फ जम चुकी है, जिस कारण पैदल रास्ते का कार्य भी नहीं हो रहा है। इसके अलावा सीमेंट वर्क में सबसे बड़ी समस्या आ रही है। बर्फवारी होने से पानी को पिघलाकर पिया जा रहा है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि मौसम विभाग की चेतावनी सच साबित हुई है, जिससे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फवारी और निचले क्षेत्रों में जमकर बारिश हुई है। निचले क्षेत्रों में बारिश होने से किसानों को इसका फायदा मिलेगा और जो प्राकृतिक स्त्रोत सूख गये हैं वे भी रिचार्ज होंगे। उन्होंने बताया कि केदारनाथ में बर्फवारी के चलते पुनर्निर्माण कार्यों में दिक्कतें आ रही है। यदि मौसम ऐसे ही रहा तो काफी दिक्कतें सामने आ सकती है। अब मौसम के साफ होने के बाद ही निर्माण कार्य किये जायेंगे।