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कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त, 50 यात्रियों की मौत और 80 से अधिक घायल

खतौली ट्रैक के पास बने मकान भी ट्रेन की चपेट में आए

कॉशन लगा होता तो नहीं होता ट्रेन हादसा  

रेलवे प्रशासन को स्थानीय लोगों ने मरम्मत के दौरान बोर्ड लगाने के लिए कहा था

हादसे के वक्त 105 किलोमीटर प्रति घंटा थी रफ्तार

मुजफ्फरनगर : पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस शनिवार शाम मुजफ्फरनगर जिले में खतौली के पास रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ट्रेन की कई बोगियां एक दूसरे के ऊपर चढ़ गईं और कई पटरी से उतरी गईं। चश्मदीदों ने हादसे में 50 से अधिक लोगों की मौत की बात कही है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि 23 मौतों की हुई है। 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं। रेलवे लाइन के पास बने कुछ मकान भी बोगियों की चपेट में आए हैं। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने देर रात घटनास्थल पर खतौली पहुंचे और मुआवजे का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रपति कोविंद ने भी हादसे पर दुख जताया है। वहीँ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावतघटना पर नज़र रखे हुए हैं उन्होंनेराज्य सरकार की तरफ से दो एम्बुलेंस घटनास्थल पर भेजी हैं।  इस हादसे में ट्रेन के 2 डिब्बे पटरी से उतर कर रिहाइशी इलाके में जा घुसे जिससे एक स्कूल और घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार रेल ट्रैक पर 2 दिनों से काम चल रहा था। हादसे का शिकार हुई ट्रेन से पहले इसी ट्रैक से दो ट्रेनें कुछ ही देर पहले धीमी गति से गुजरी थीं। बताया जा रहा है कि उत्‍कल एक्‍सप्रेस की गति तेज थी जब ये हादसा हुआ।अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रेन को खतरे का सिग्नल नहीं मिला होगा जिस वजह से ट्रेन की गति कम नहीं हुई। जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी के अनुसार सभी घायलों का उपचार विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। 

केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस हादसे में मरने वाले यात्रियों के परिवारवालों को 3.5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरने वाले यात्रियों के परिवार को दो लाख रुपये और घायलों के परिवार को 50 हजार रुपये का मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। जानकारी मिलते ही केन्‍द्रीय राज्‍यमंत्री संजीव बालियान डीएम, एसएसपी के साथ मौके पर पहुंच गए हैं। ट्रेन की चपेट में रेलवे लाइन के आसपास रहने वाले लोग भी आए हैं। मुजफ्फरनगर के अधिकारियों ने प्रभावित परिवारों की मदद के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया है। इस कंट्रोल रूम के फोन नंबर हैं – 0131-2436918, 0131-2436103 और 0131-2436564.  रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर 9760534054/ 5101 भी जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि हादसे के पीछे आतंकियों की साजिश हो सकती है। इसकी जांच के लिए एटीएस की टीम रवाना हो चुकी है। 

ट्रेन की तीन बोगियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं और 10 डिब्बे डिरेल हो गए हैं। हादसा 5:50 बजे खतौली की जगत कालोनी में हुआ। ट्रेन कुछ ही देर पहले खतौली स्टेशन से आगे को रवाना हुई थी। अचानक तेज आवाज के साथ बोगियां एक दूसरे पर चढ़ गईं और कई डिरेल हो गईं। चीख-पुकार मच गई। हादसा होते ही आसपास रहने वाले लोग मदद में दौड़ पड़े। मुजफ्फरनगर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी राहत टीमों के साथ मौके पर पहुंचकर बचाव में जुट गए। केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान भी वहां आ गए। 

मौके पर कितने ही लोग लहूलुहान हालत में पड़े नजर आ रहे हैं। चीख-पुकार मची है। मेरठ से राहत एवं बचाव दल मौके पर रवाना हो गए हैं। बता दें कि पिछले साल पुखरायां और दिसंबर में रूला रेल हादसे के पीछे भी आतंकी साजिश सामने आई थी। बता दें कि घायलों को आसपास के अस्‍पतालों में भर्ती कराया गया है। ज्‍यादातर स्‍लीपर कोच दुर्घटनाग्रस्‍त हुए हैं। वहीं, दो बोगी तहस-नहस हो गई है। इसके अलावा एसी बोगी भी पटरी से उतरी हैं। ट्रेन हादसे के बाद दिल्ली से देहरादून की ओर जाने वाली कई ट्रेनों को बीच में रोका गया।

मेरठ-देहरादून ट्रैक पर ट्रेनों को रोक दिया गया। देर शाम एनडीआरएफ की टीम पहुंचकर राहत-बचाव कार्य में जुट गई हैं। चश्मदीदों का कहना है कि ट्रेन दुर्घटना में 50 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। घायलों की तादाद 80 से 100 के बीच बताई जा रही है। हालांकि डीजीपी और रेलवे ने 23 लोगों की मौत और 40 के घायल होने पुष्टि की है। मौके पर मौजूद अफसर अंधेरा होने की वजह से न अधिक मौतों से इनकार कर रहे और पुष्टि कर रहे हैं।

मलबे में और भी लोग दबे हो सकते हैं। मृतक संख्या बढ़ने की आशंका है। मृतकों की शिनाख्त के प्रयास जारी हैं। देर रात तक दुर्घटनाग्रस्त बोगियों को ट्रैक से हटाने का काम जारी था। अंधेरा होने से बचाव कार्य में बाधा आ रही है। मौके पर बिजली एवं सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। आसपास के जिलों से डाक्टरों की टीम भी मौके पर भेज दी गई हैं।सूचना पर मुजफ्फरनगर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी राहत टीमों के साथ मौके पर पहुंचकर बचाव में जुट गए हैं। मेरठ से भी टीमें मौके पर भेज दी गई हैं। तमाम घायलों को आसपास के अस्पतालों में भेजा गया है। चश्मदीदों ने ट्रेन दुर्घटना में कई लोगों के मारे जाने की बात कही है। यात्री बोगियों के बीच फंसे नजर आ रहे हैं।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले में हुई रेल दुर्घटना के जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि किसी भी चूक की दशा में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मुजफ्फरनगर रेल दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं। रेल दुर्घटना कहीं आतंकी साजिश तो नहीं, इस पहलू से यूपी एटीएस की टीम जांच करेगी। मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री सतीश महाना और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार सुरेश राणा को जल्द से जल्द मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए हैं।

जिला अस्पताल में भर्ती घायल
1.    खालिद पुत्र यामीन निवासी रथेड़ी, मुजफ्फरनगर 
2.     दिलशाद पुत्र असरग, निवासी मिमलाना रोड, मुजफ्फरनगर 
3.    आसिफ पुत्र जुल्फिार निवासी दक्षिणी खालापार, मुजफ्फरनगर 
4.     विशाल पुत्र अनिल निवासी साकेत कालोनी, मुजफ्फरनगर 
5.    लक्ष्मी नारायण पुत्र अज्ञात निवासी मुरैना
6.    मनोज प्रधान पुत्र अज्ञात निवासी मुरैना
7.    गजेन्द्र त्यागी पुत्र अज्ञात निवासी रामपुरी
8.    तारिक नसीम पुत्र अज्ञात निवासी बकरा मार्किट
9.    सुहैल पुत्र जुबैर निवासी देवबंद
10.    प्रदीप शर्मा पुत्र अज्ञात निवासी मुरैना
11.    दिनेश शर्मा पुत्र अज्ञात निवासी रामपुरी
12.    अनिल शर्मा पुत्र अज्ञात निवासी दिल्ली
13.    हदप्रसाद पुत्र अज्ञात निवासी सेवनी खुर्द
14.    दीपक रानी पुत्री अज्ञात निवासी साकेत कालोनी
15.    मधुर मंडल पुत्र अज्ञात निवासी उड़ीसा 
16.    मुरारी लाल शर्मा पुत्र माधव निवासी ग्वालियर
17.    पराशु पुत्र रघु निवासी ललितपुर
18.    सुभाष शर्मा पुत्र मुरारी लाल शर्मा गवाहटी
19.    मुश्ताक अली पुत्र रहमतअली पोढीगढवाल
20.    लक्ष्मण शर्मा पुत्र मुरारीलाल शर्मा गवाहटी
21.    गिरधारीलाल पुत्र अजरुदी निवासी ललितपुर
22.    परशुराम पुत्र अज्ञात निवासी ग्वालियर
23.    लक्ष्मण पुत्र पन्नू निवासी ग्वालियर
24.    प्रभु पुत्र तिरीसु निवासी घलौरी राजस्थान
25.    शान्ति पत्नी श्री निवासी ललितपुर
26.    गणेशप्रसाद तिवारी पुत्र सुग्रीव प्रसास छतीसगढ
27.    करण सिंह तोमर पुत्र रामसिंह निवासी मध्यप्रदेश
28.    प्रदीप शर्मा पुत्र लक्ष्मीनारायण शर्मा मुरैना
29.    रामनारायण शर्मा पुत्र बाबूलाल निवासी ग्वालियर
30.    कमला देवी पत्नी रामप्रकाश निवासी ग्वालियर
31.    हरिओम पुत्र मुलु निवासी ललितपुर
32.    गणेश पुत्र चरुणी निवासी ललितपुर
33.    मधु पुत्र जोगीमोंदार निवासी उडीसा 
34.    मुबारिक अली पुत्र आजाद निवासी बागपत
35.    सुरेश पुत्र कलीराम शर्मा निवासी मुजफ्फरनगर
36.    मनोज कुमार पुत्र भारत निवासी छतीसगढ
37.    चंदो सोनी पत्नी फुलचंद सोनी निवासी मध्यप्रदेश
38.    छविराम पुत्र नंदलाल निवासी कुरक्षेत्र 
39.    ब्रिजेश शर्मा पुत्र आसाराम शर्मा निवासी ग्वालियर 
40.    केदार शर्मा पुत्र विधाराम शर्मा निवासी ग्वालियर
41.    मुन्ना लाल शर्मा पुत्र शोभाराम शर्मा निवासी ग्वालियर
42.    परमावती पत्नी राधाचरण निवासी आगरा
43.    बसंती शर्मा पत्नी बाबूलाल शर्मा ग्वालियर
44.    पदम पुत्र रामकिशन निवासी मुजफ्फरनगर 

बैगराजपुर मैडिकल कालेज में भर्ती घायल
45.    रैल्ली पुत्री सुल्तान निवासी ललितपुर
46.    रामकिशन शर्मा पुत्र रोशन लाल निवासी मथुरा
47.    शांति पत्नी नाथीलाल निवासी मध्यप्रदेश
48.    उषा शर्मा पत्नी ब्रजकिशोर शर्मा निवासी आगरा
49.    दिलीप सिंह यादव पुत्र रामनारायण निवासी मुरैना
50.    रामखिलारी पुत्र कंचन निवासी  मध्यप्रदेश
51.    सविता पुत्री अज्ञात निवासी अज्ञात
52.    संकेत कुमार पुत्र श्रवण कुमार निवासी भरतिया कलोनी
53.    सतीश पुत्र रतनलाल निवासी ग्वालियर
54.    स्वामी सरस्वती पुत्री माता प्रसाद निवासी मुजफ्फरनगर 
55.    अंगुरी बाई पत्नी हरदाश ग्वालियर 
56.    रामस्वरुप पुत्र रतनलान निवासी राजस्थान
57.    राधेदेवी शर्मा पुत्री तुलाराम शर्मा निवासी हाथरस 
58.    रामवीर शर्मा पुत्र रामसिंह निवासी आगरा
59.    प्रवीण कुमार पुत्र चंद्रसिंह निवासी मुजफ्फरनगर 
60.    संतो पुत्री सियाराम निवासी मध्यप्रदेश
61.    रेवती पुत्री रामनिवास निवासी मुरैना
62.    लीला सैन पुत्री रमेश सैन निवासी मध्यप्रदेश
63.    कविता पुत्री किशोर सैन निवासी मध्यप्रदेश 
64.    रिशिका पुत्री किशोर सैन निवासी मध्यप्रदेश
65.    सोम्या पुत्री सोमबाबू निवासी रुडकी
66.    खिलान दास पुत्र नंदलाल निवासी मध्यप्रदेश

लापरवाही ने कराया बड़ा रेल हादसा 

ट्रेन की रफ्तार 105 किलोमीटर प्रति घंटा 

खतौली में हुए रेल हादसे के पीछे रेलवे की लापरवाही भी सामने आ रही है। ट्रैक क्षतिग्रस्त है, यह बात जानकारी में होने के बाद भी विभाग इस हादसे को नहीं रोक पाया, इससे कई सवाल उठ रहे हैं। क्या ट्रैक क्षति का आकलन ठीक से नहीं किया गया। बड़ा सवाल यह उठ  रहा है कि जिस ट्रैक की पटरी को बदला गया था, उस पर तेज रफ्तार से ट्रेन कैसे दौड़ रही थी। सही स्थिति तो जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन यह रेल हादसा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर खड़े कर गया है। बताया जा रहा है कि जिस समय हादसा हुआ, उस समय कलिंग उत्कल एक्सप्रेस की रफ्तार करीब 105 किमी प्रति घंटा थी। यह ट्रेन मेरठ कैंट स्टेशन पर 13 मिनट विलंब से पहुंची थी और शाम 5 बजकर 12 मिनट पर रवाना हो गई।
कलिंग एक्सप्रेस मेरठ सिटी स्टेशन से निकलने के बाद मेरठ कैंट स्टेशन पर 13 मिनट की देरी से पहुंची। मेरठ कैंट स्टेशन से निकलने के बाद ट्रेन ने तेज रफ्तार पकड़ ली। दुर्घटना के समय भी इसकी रफ्तार 105 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

रेल यात्रियों ने भी बताया कि ट्रेन की स्पीड काफी तेज थी। अचानक ब्रेक लगाए जाने को हादसे की एक वजह बताया जा रहा है। शुक्रवार रात में ही पटरी में क्रेक आ गया था और क्षतिग्रस्त ट्रैक से ही करीब 12 ट्रेनें गुजरीं। रात में रेलवे विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। जिस कारण रात में शालीमार, इंटरसिटी, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस मालगाड़ी सहित करीब एक दर्जन ट्रेनें इस टूटे हुए ट्रैक से धड़ाधड़ गुजरती रही। शनिवार की सुबह पेट्रोलिंग के दौरान ट्रैक क्षतिग्रस्त होने का पता चला सका। जिसके बाद रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया। सभी ट्रेनें को धीमी गति से निकलवाया गया और क्षतिग्रस्त हुए हिस्से को बदला गया। ऐसी स्थिति में क्षतिग्रस्त ट्रैक या जिस ट्रैक की मरम्मत की जा रही हो, उस पर कासन देकर ट्रेनों को मात्र 20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजारा जाता है। अब सवाल है कि कलिंग उत्कल कैसे यहां से 105 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजरी। उसे कासन नहीं दिया गया था या फिर ट्रेन के चालक ने कासन नहीं देखा। हादसे से पहले स्टेशन मास्टर राजेंद्र कुमार ने बताया था कि  रेलवे ट्रैक के क्रेक होने की जानकारी मिलने पर उस टुकड़े को बदलवा दिया गया है। ट्रैक अक्सर क्रेक हो जाते हैं। इस पर से ट्रेनों के गुजरने से कोई नुकसान नहीं होता है। ट्रैक को चेक करने को लगातार पेट्रोलिंग की जाती है। उनका बयान ही यह बता रहा है कि उन्होंने उस समय किस तरह से ट्रैक के क्षतिग्रस्त होने की घटना को लिया था।

जून में भी इसी जगह क्षतिग्रस्त हुआ था ट्रैक
जिस जगह शनिवार को रेल हादसा हुआ, उसी जगह जून माह में भी ट्रैक क्षतिग्रस्त हुआ था। तब तिलकराम इंटर कालेज में सफाई कर्मी राधेश्याम की सजगता से उस समय बड़ा रेल हादसा टल गया था। इसी जगह फिर से रेल ट्रैक टूट गया और एक बड़ा रेल हादसा हो गया। शनिवार को रेल हादसा तिलकराम इंटर कालेज और जगत कालोनी के पास हुआ है।  गत 10 जून की रात भी इसी स्थान पर रेलवे ट्रैक टूट गया था और रात भर ट्रेनें टूटी पटरी से गुजरती रही थी। 11 जून की सुबह करीब छह बजे तिलकराम इंटर कालेज के सफाई कर्मी राधेश्याम ने क्षतिग्रस्त ट्रैक को देखा। उन्होंने इसकी सूचना आसपास के लोगों को दी। इसी बीच उन्होंने मुजफ्फरनगर की ओर से एक पैसेंजर ट्रेन को आते हुए देखा। आनन फानन में वह दौड़कर  कालेज परिसर स्थित अपने घर से एक लाल कपड़ा लेकर आए और उसे लहराते हुए ट्रेन की ओर दौड़ पड़े थे। उनको लाल कपड़ा लेकर दौड़ता देख, ट्रेन के चालक को खतरे का एहसास हुआ और उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका, जिसके चलते बड़ा हादसा टल गया था।

उत्कल  एक्सप्रेस तीसरा इमरजेंसी ब्रेक लगते ही पटरी से उतरी

मेरठ-सहारनपुर रेल मार्ग पर खतौली स्टेशन से छह सौ मीटर आगे रेलवे टीम तीन दिन से ग्लूड ज्वाइंट बदलने के लिए काम कर रही थी। इस दौरान ब्लाक न मिलने की वजह ट्रेन आ गई और बिना कॉशन के तेज गति होने के कारण एस सेवन कोच ऊपर वायर से टकराया। जिसके बाद चालक ने तीन बार इमरजेंसी ब्रेक लगाए। तीसरे ब्रेक पर पटरी उखड़ी और ट्रेन की बोगियां पटरी से उतरती चली गईं। रेलवे ट्रैक पर मरम्मत कार्य में पांच कर्मचारी लगे हुए थे। यात्री लेखपाल मैन कुमार ने बताया कि चालक ने तीन बार इमरजेंसी ब्रेक लिए। ब्रेक इतनी तेज थे कि दो बार ट्रेन बच गई। लेकिन तीसरी बार ट्रेन तेज गति होने के कारण पलट गई। इसका बड़ा कारण ट्रेन की गति तेज होना था। स्थानीय लोगों ने मरम्मत के दौरान बोर्ड लगाने के लिए कहा था। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने इसे नहीं सुना। जिसका नतीजा यह निकला कि बड़ा रेल हादसा हो गया। सवाल उठता है कि जब मरम्मत का काम चल रहा था और कर्मचारी ट्रैक पर थे  तो फिर ट्रेन को तेज गति से गुजरने क्यों दिया गया। पहले से ही कॉशन या दूसरे एहतियाती इंतजाम क्यों नहीं किए गए। गनीमत थी कि इंटरसिटी एक्सप्रेस की स्पीड कम थी तो वह थोड़ी देर पहले निकल गई थी। बताया गया कि ग्लूड ज्वाइंट में तीन दिन पहले परेशानी आयी थी, जिसे बदलने के लिए काम किया जा रहा था।  

ब्रेक के लगते ही पटरी टूटकर दूर जाकर गिरी  
यात्रियों के अनुसार ट्रेन की स्पीड इतनी तेज थी कि पटरी टूटकर दूर जाकर गिरी। पटरी उत्कल एक्सप्रेस की तेज स्पीड के कारण पूरी तरह से उखड़ गई थी। पटरी उखड़ने के बाद बड़ा हादसा होने पर ही वहां पर चीख पुकार मच गई। (नोट: यह जानकारी एक ठेकेदार और यात्री ने दी( यात्री ट्रेन में सवार था और ठेकेदार घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर था। 

लापरवाही की हद, चार घंटे बाद पहुंची एआरटी  
रेल हादसे के बाद तुरंत मौके पर पहुंचने वाली एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआरटी) को दिल्ली से खतौली तक पहुंचने में चार घंटे का समय लग गया। इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है। आउटर और स्टेशनों पर खड़ी ट्रेनों को भी निकालने में भी काफी समय लिया गया। यात्री ट्रेनों में बैठे परेशान होते रहे। उत्कल एक्सप्रेस रेल हादसा शाम 5 बजकर 46 मिनट पर हुआ। इसकी जानकारी तुरंत बाद ही रेलवे कंट्रोल को मिल गई थी। सोशल मीडिया पर भी खबर आग की भांति फैल गई। लोग एक्सीडेंट की भयावह तस्वीरें वायरल कर रहे थे। लेकिन रेलवे अधिकारी सुप्त अवस्था से बाहर नहीं आए। यहां तक कि उच्चाधिकारियों को भी खतौली तक पहुंचने में घंटो लगे। वहीं, एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन भी चार घंटे देरी से रात करीब पौने दस बजे घटनास्थल पर पहुंची। 

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