हार्इकोर्ट : कॉर्बेट में बाघों की मौत की सीबीआइ जांच के निर्देश
- कॉर्बेट में तैनात रहे अधिकारियों की संपत्ति की जांच करेगा ईडी
- अमानगढ़ व धुलवा रेंज को भी पार्क में शामिल करने के आदेश
- कॉर्बेट के ढिकाला जोन में जिप्सियों के संचालन बंद
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल : हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व(सीटीआर) में बाघों की मौत मामले में बहुत ही सख्त रूख अपनाते हुए इसकी जांच सीबीआइ की वन्य जीव शाखा से कराने की संस्तुति कर दी है। वहीं कोर्ट ने कॉर्बेट में अब तक तैनात रहे अफसरों की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने के निर्देश भी दिए हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने साथ ही कार्बेट के ढिकाला जोन में जिप्सियों के संचालन को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया है और अमानगढ़ व धुलवा रेंज को भी पार्क में शामिल करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय के कड़े फैसले के बाद कॉर्बेट पार्क में तैनात अधिकारियों की नींद उड़ गयी है और वे अब अपने को बचाने के रास्ते तलाशने पर जुट गए हैं । कॉर्बेट पार्क पर कोर्ट के सख्त निर्णय के बाद अब राजाजी पार्क के अधिकारियों की भी नींद गायब हो गयी है।
- 40 साल से कम आयु के पूर्व सैनिकों को दी जाए फ़ोर्स में प्राथमिकता
मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सीटीआर के बफर जोन से गुर्जरों की बेदखली सुनिश्चित करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। वहीं अधिकारियों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बाघों की सुरक्षा के लिए अस्थाई रूप से पार्क में स्पेशल टाइगर फोर्स का गठन हो चुका है, जिसमें पूर्व सैनिकों की नियुक्ति की जा रही है।
- सभी बाघों की बिसरा रिपोर्ट बुधवार (कल) कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश
कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि फोर्स में 40 साल से कम आयु के पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दी जाए। सुनवाई के दौरान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव ने बताया कि पार्क में मरे नौ बाघों में छह की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। इन छह बाघों के बिसरे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे जा चुके हैं, मगर इस मामले में विरोधाभासी बयानों से नाराज कोर्ट ने सभी बाघों की बिसरा रिपोर्ट बुधवार को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
- कोर्ट में पेशी के बहाने आते हैं अधिकारी पिकनिक मनाने
- सीटीआर से लगे सुंदरखाल गांव को हटाने के आदेश
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अफसरों पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में पेशी के बहाने अधिकारी पिकनिक मनाने आते हैं। यह गंभीर है। खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह से कहा है कि वह अदालत के आदेशों के अनुपालन में सहयोग करें। वहीं वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते व प्रो. बीएल साह द्वारा सीटीआर पर किए गए शोध पर आधारित रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए और इन शोधों को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए। सीटीआर से लगे सुंदरखाल गांव को हटाने के आदेश भी कोर्ट ने दिए हैं। इसके साथ ही रिसॉर्ट से छुड़ाए गए बीमार हाथियों की जांच व उनका उपचार कराने का आदेश देते हुए बीमारों हाथियों को अन्य से अलग रखने के निर्देश दिए।