UTTARAKHAND

पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत,अब तो देना होगा पूरा बकाया और किराया

भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 या समानता के अधिकार का उल्लंघन

खण्डपीठ ने 23 मार्च 2020 को मामले में सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय रखा था सुरक्षित 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
High Court has declared provisions of Uttarakahnd Former Chief Ministers Facility Act 2019 ultra virus. Dr Kartikey Hari Gupta Counsel of the petitioners RLEK told that Honble Court has declared Section 4 A And its Explainantion along with Section 4 C and Section 7 in violation of Article 14 of the Constitution of India. Court has further held that the provisions of Act are in violation of the doctrine of separation of powers. Court has found the Act also in violation of Article 202 to 207 of the Constitution of India. Our petition has been allowed. As an effect all the respondents are liable to pay the market rent and State is liable to calculate the money spent for all other facilities given to them as Ex Chief Ministers of the State and recover the same.
– Advocate . Kartikeye
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास भत्ते  सहित अन्य सुविधाओं पर हुए खर्च के मामले पर रुलक संस्था की जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए जहां उत्तराखंड सरकार को झटका दिया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाओं व भत्तों का बकाया बाजार दर भुगतान करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पूर्व सीएम को सुविधा पर खर्च माफ करने के सरकार के मई 2019 में पारित अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया है। 
याचिकाकर्ता रूलक संस्था के अधिवक्ता डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता वकील ने बताया कि कोर्ट ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 या समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है। अधिनियम धारा सात के प्रावधान को भी गलत करार दिया है। जिसमें सरकार ने पिछले फैसले के प्रावधान काे लागू नहीं करने का निर्णय लिया था। यही आधार मानते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका देते हुए राज्य सरकार से उनसे आवास भत्ता और अन्य सुविधाओं पर हुआ खर्च वसूलने के आदेश दिए हैं।

जानिए किस पूर्व मुख्यमंत्री पर कितना है बकाया

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख तथा एनडी तिवारी पर सर्वाधिक 1.12 करोड़ रुपये बकाया है। 
 याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार को किराए व अन्य सुविधाओं के एवज में 2 करोड़ 84 लाख रुपये देना है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख तथा एनडी तिवारी पर सर्वाधिक 1.12 करोड़ रुपये है। न्यायालय के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की मृत्यु के बाद उन्हें तथा भगत सिंह कोश्यारी के अधिवक्ता द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के बाद संवैधानिक पद होने के कारण नोटिस आदि से मुक्त किया था। देहरादून की रूलक संस्था ने मामले में जनहित याचिका दायर की थी। संस्था ने प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जा रही सुविधाओं के संबंध में जारी किए गए नए विधेयक 2019 को चुनौती दी थी। संस्था ने इस एक्ट को संविधान के विरुद्ध बताया था। रुलक ने अपनी याचिका में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद विशिष्ट अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उनसे सरकारी दर से किराया वसूला जाए।
गौरतलब हो कि मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने जनहित याचिका पर लंबे समय तक सुनवाई करने के बाद 23 मार्च 2020 को मामले में सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। जिस पर मंगलवार को बेंच ने अपना फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर किराया देने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने राज्य सरकार से पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर किराया तय कर अन्य सुविधाओं का भुगतान भी वसूलने को कहा है। 

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