NATIONAL

गुजरात हाई कोर्ट ने गोधरा कांड में 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला

  • 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस में हुई थी आगजनी 
  • आग लगने से 59 कारसेवकों की हो गयी थी मौत
  • मामले में करीब 1500 लोगों के खिलाफ हुई थी एफआईआर दर्ज

अहमदाबाद : चर्चित गोधरा कांड में गुजरात हाई कोर्ट ने साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे जलाने वाले मामले पर सोमवार को अहम फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने लोअर कोर्ट से 11 दोषियों को मिली फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। एसआईटी की स्पेशल कोर्ट की ओर से मामले के आरोपियों को दोषी ठहराए जाने वाले फैसले को चुनौती देने की याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने फैसला दिया है। ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी ठहराए गए आरोपियों की मानें तो उन्हें अभी तक इंसाफ नहीं मिला है और इस वजह से उन्हें हाई कोर्ट में अपील करनी पड़ी।

गौरतलब हो कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस मामले में करीब 1500 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आगजनी की घटना के बाद पूरे गुजरात राज्य में दंगे हुए और उसमें 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी ।

इस मामले में तीन मार्च 2002 को ट्रेन जलाने के मामले में अरेस्ट किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश यानि पोटा लगाया गया।जबकि छह मार्च 2002 को दंगों के बाद सरकार ने ट्रेन में आग लगने और उसके बाद हुए दंगों की जांच करने के लिए एक आयोग नियुक्त किया। वहीँ सरकार पर आरोप है कि उसने 25 मार्च 2002 को तत्कालीन केंद्र सरकार के दबाव में तीन मार्च को आरोपियों पर लगाए गए पोटा को हटा लिया गया।और 18 फरवरी 2003 को एक बार फिर आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद संबंधी कानून लगा दिया गया।

इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी न्यायिक सुनवाई होने पर रोक लगा दी थी जनवरी 2005 में यूसी बनर्जी कमेटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि एस-6 में लगी आग सिर्फ एक दुर्घटना थी।वहीँ 13 अक्टूबर 2006 को गुजरात हाईकोर्ट ने यूसी बनर्जी समिति को अमान्य करार दिया और उसकी रिपोर्ट को भी ठुकरा दिया था ।इसके बाद वर्ष 2008 में नानावटी आयोग को इस मामले की जांच सौंपी गई और इसमें कहा गया कि आगजनी एक साजिश थी। वहीँ 18 जनवरी 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में न्यायिक कार्रवाई करने को लेकर लगाई रोक हटा ली।
जबकि 22 फरवरी 2011 को स्पेशल कोर्ट ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया, जबकि 63 अन्य को बरी कर दिया। एक मार्च 2011 को स्पेशल कोर्ट ने गोधरा कांड में 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद 2014 में नानावती आयोग ने 12 साल की जांच के बाद गुजरात दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी। इस पूरे मामले की जांच में सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शामिल रहे हैं। पिछले 15 वर्षों से यह केस चल रहा था

 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »