गंगा नदी को इंसान का दर्जा मिलने के बाद सरकार को मिला हाई कोर्ट का पहला नोटिस
ट्रेंचिंग ग्राउंड के दोनों ओर गंगा नदी
नैनीताल : हाई कोर्ट ने गंगा पर एक और ऐतिहासिक फैसला देते हुए गंगा को जीवित आदमी के बराबर अधिकार देने के बाद शुक्रवार को पहली बार लीगल नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने गंगा नदी के साथ राज्य सरकार, पर्यावरण बोर्ड, नगर पालिका ऋषिकेश और केन्द्रीय पयार्वरण बोर्ड को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ऋषिकेश के खादा खड़क माफ़ नामक गांव में बन रहे ट्रैंचिंग ग्राउंड का मामला था। मामले की अगली सुनवाई आठ मई को होगी।
हाई कोर्ट ने ऋषिकेश में गंगा नदी के समीप ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुनने के बाद गंगा नदी, निदेशक नमामि गंगे, सचिव उत्तराखंड शासन को नोटिस जारी कर आठ मई तक जवाब दाखिल करने को कहा।
खदरी खड़क के ग्राम प्रधान स्वरूप सिंह पुंडीर ने याचिका दायर कर कहा कि 2015 में सरकार ने बिना ग्राम पंचायत की अनापत्ति प्रमाण पत्र के ऋषिकेश पालिका को 10 एकड़ भूमि ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए हस्तांतरित कर दी।
याचिकाकर्ता के अनुसार जिस स्थान पर जगह दी गई, उसके दोनों ओर गंगा नदी है। और बरसात में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के गंगा नदी व अन्य से जवाब मांगा है।
जीवित मानव का दर्जा मिलने के बाद गंगा नदी को हाईकोर्ट से पहला नोटिस जारी किया गया है। गंगा के ओर से नमामि गंगे के निदेशक व उत्तराखंड के मुख्य सचिव को जवाब देना होगा।