विज्ञान के क्षेत्र में मिले महिलाओं को बढ़ावा-निशंक
नई दिल्ली: सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड डॉ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने देश में वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों में महिलाओं की प्रतिभागिता बढाने की मांग करते हुए बुधवार को लोक सभा में प्रश्नकाल के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री से पूछा कि देश में वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं और संस्थानों में महिलाओं की प्रतिभागिता का प्रतिशत कितना है। डॉ. निशंक ने मंत्री से यह भी पूछा कि क्या मंत्रालय द्वारा महिलाओं, वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। डॉ. निशंक ने इस बात पर जोर दिया कि देश में वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी विकास यात्रा में महिलाओं की प्रतिभागिता बढायी जाये।
डॉ. निशंक के प्रश्न के उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि आज देश में 27,532 महिला वैज्ञानिक हैं जो कि कुल वैज्ञानिकों का 14.3 प्रतिशत हैं। मंत्री ने आगे बताया कि अभिप्रेरित अनुसंधान के लिए विज्ञान खोज में मंत्रालय के अधीन इंस्पायर कार्यक्रम चल रहा है। आज तक देश में 13.86 लाख इंस्पायर पुरस्कार दिए जा चुके हैं और यह प्रसन्नता का विषय है कि लड़कियों की संख्या 47 प्रतिशत है। महिला वैज्ञानिकों को विशेष सुविधाएं दिए जाने के विषय में मंत्री ने डॉ0 निशंक को बताया कि महिला वैज्ञानिकों को क्रैच और आवासीय सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं।
डॉ. निशंक ने महिला वैज्ञानिकों की संख्या को बढ़ाये जाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने डॉ0 निशंक को बताया कि महिलाओं से संबंधित समस्त विशिष्ट कार्यक्रम को ‘किरण‘ नामक एक समग्र कार्यक्रम के अंतर्गत पुनर्गठित किया है। यह कार्यक्रम इन महिलाओं की सुविधा के लिए बनायी गयी है जिनके करियर में पारिवारिक दायित्वों के कारण व्यवधान आ गया है। यह स्कीम उन्हें मुख्यधारा में लौटने का मौका देती है। महिला विद्यालयों में क्यूरी नामक पहल से छः महिला विश्वविद्यालयों को उत्कृष्टता के लिए सहायता प्रदान की गयी है। महिलाओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में प्रशिक्षित करते हुए स्वरोजगार के वैकल्पिक अवसर उपलब्ध कराए गए हैं ।
मंत्री ने डॉ0 निशंक को यह भी बताया कि महिला वैज्ञानिक स्कीम ए के तहत बेरोजगार महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को आधारभूत अथवा अनुप्रयुक्त विज्ञान में अनुसंधान करने के लिए सक्षम बनाया जाता है। आगे मंत्री ने डॉ. निशंक को यह भी बताया कि देश के पी एच डी, स्नातक और स्नात्तकोत्तर कार्यक्रमों में महिलाओं की संख्या बढी है जो कि अपने आप में एक शुभ संकेत है ।