EXCLUSIVE

अपने ही प्रोटोकॉल की चिंता करते प्रोटोकॉल मंत्री !

कोपभवन में बैठे मंत्री का शिकार कौन !

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही मंत्रियों की गाड़ी से लालबत्ती उतार दी हो किन्तु उनके दिमाग से लालबत्ती के तामझाम और वीआईपी कल्चर को जाने में ऐसा लगता है अभी और वक्त लगेगा। ऐसा ही तमाशा मंगलवार सुबह उत्तराखण्ड की सियासत में दिखा।

दीनदयाल और श्यामा प्रसाद की पार्टी जो दरिद्रनारायण की बात करती हो उसके लोप्रोफाईल लाइफस्टाइल के लिए चर्चित नेता धनसिंह रावत के प्रोटोकॉल में जरा सी चूक क्या हुई कि अधिकारियों की जान पर बन आयी।दिल्ली से लेकर सूबे की अस्थायी राजधानी तक के फ़ोन घनघनाने लगे। 

धनसिंह रावत उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री है, मगर उन्होंने अपनी छवि को जमीनी नेता के रूप में गढ़ा है। साधारण जनजीवन, भेषभूषा, खानपान और दिनचर्या। खुद भी बातचीत में धनसिंह अपने को संगठन शिल्पी और संघ प्रचारक होने का बखान करते मिलते हैं। किन्तु मंत्री बनते ही उनके रंगढंग, भेषभूषा और व्यवहार काफी कुछ बदल गया है। अब उनके पास प्रोटोकॉल विभाग है जिसके नाते उनको पता है कि उनको कितनी तवज्जो मिलनी चाहिये मंगलवार सुबह उनके इच्छित प्रोटोकॉल में हुयी चूक ने उत्तराखण्ड की राजनीति में अचानक भूचाल सा ला दिया। 

एक जानकारी के अनुसार धन सिंह रावत सोमवार की रात रेल से दिल्ली गये और मंगलवार सुबह दिल्ली पंहुचे। रेलवे स्टेशन पर उनके लिये सरकारी तामझाम न मिलने पर इतने नाराज हुये कि राज्य सरकार के अतिथिगृह न जाकर प्राइवेट होटल में जाकर पसर गये साथ ही धीरे से मीडिया को खबर भी पँहुचा दी। सुबह सुबह टीवी पर प्रोटोकॉल मंत्री को सम्मान न मिलने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई।

घटना अगर सार्वजनिक होती और मीडिया में आती तो मंत्री जी  का खबर से सीधा सरोकार नहीं होता किन्तु दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुबह साढ़े पांच बजे घटी घटना का वायरल होना मंत्री की सीधी नाराजगी बताता है। साथ ही ये बात भी उठी कि उसी रेल से पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी दिल्ली पंहुचे तो उनके लिए सरकारी तामझाम मौजूद था। खबर यह भी चली कि पूर्व मुख्यमंत्री के लिये कोई भी प्रोटोकॉल सुविधा नियमों में नहीं है।

खबरनबीस अभी मंत्री जी की नाराजगी के मायने ढूंढ रहे हैं कि उनकी नाराजगी अपने लिए प्रोटोकॉल न मिलने पर है या वे पूर्व मुख्यमंत्री को मिले प्रोटोकॉल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि प्रोटोकॉल विभाग उनका है या कहीं मंत्री जी इस नाराजगी की आड़ में किसी ब्यूरोक्रेट या अफसर की बलि चाहते हैं  जिसका आंकलन भविष्य में हो पायेगा। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »