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पहाड़ को पहाड़ पर ‘पहाड़’ सी उम्मीद


पूरी दुनिया जब बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है तो ऐसे में उत्तराखंड की तस्वीर भी बदल रही है। जिस पहाड़ से हर रोज औसतन 165 लोग पलायन कर रहे थे, आज हर दिन वहां हजारों लोगों की घर वापसी हो रही है। विडंबना देखिए, लौटने वालों को प्रवासी कहा जा रहा है और उनके लौटने को रिवर्स पलायन। जबकि घर गांवों को लौटने वाले ये लोग न तो प्रवासी हैं और न ही यह रिवर्स पलायन है। यह घर वापसी तो मजबूरी है, ठीक वही मजबूरी जो कभी उनके घर गांव छोड़ने की रही।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.