मानसिक उत्पीड़न के दोषी स्कूल प्रबंधन पर 10 लाख जुर्माना
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून: जीआरडी बोर्डिग स्कूल सहसपुर के भाऊवाला में नाबालिग छात्र से सामूहिक दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने सोमवार को फैसला सुना दिया। अदालत ने स्कूल निदेशक समेत आठ लोगों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। मुख्य अभियुक्त छात्र को सर्वाधिक 20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने स्कूल प्रशासन पर 10 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जो पीड़िता को दिए जाएंगे। कोर्ट का फैसला सुनते ही निदेशक लता गुप्ता फफक पड़ीं।
जिला शासकीय अधिवक्ता जीसी रतूड़ी ने अदालत को बताया कि घटना 14 अगस्त 2018 की है। पीड़िता बोर्डिग स्कूल में हाईस्कूल की छात्र थी। यहां सरबजीत सिंह निवासी बहरैनी अमरिया, पीलीभीत इंटरमीडिएट का छात्र था। घटना वाले दिन सरबजीत व तीन अन्य नाबालिग छात्र पीड़िता को स्कूल परिसर में झाड़ियों में ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसका पता कुछ महीने बाद तब चला, जब छात्र गर्भवती हो गई। छात्र ने इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को दी तो निदेशक लता गुप्ता निवासी राजपुर रोड, प्रधानाचार्य जितेंद्र शर्मा निवासी गुरुनानकपुर सिविल लाइंस लुधियाना (पंजाब), प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्र व उसकी पत्नी तन्नू मल्होत्र निवासी नेहरू कॉलोनी थाना बजरिया कानपुर (उत्तर प्रदेश) और आया मंजू रमोला ने साजिश रचकर गर्भपात करा दिया। इससे छात्र की हालत बिगड़ गई। छात्र के साथ रहकर पढ़ाई कर रही उसकी छोटी बहन ने पिता को फोन कर पूरी बात बताई। पीड़िता के पिता के देहरादून आने पर चारों छात्रों समेत नौ के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
पुलिस ने नाबालिग आरोपितों के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड व अन्य के खिलाफ पोक्सो कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन, किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपितों को दोषमुक्त करार दे दिया। अभियोजन पक्ष ने बोर्ड के फैसले को पोक्सो कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान आया मंजू सरकारी गवाह बन गई। अभियोजन पक्ष ने 19 और बचाव पक्ष ने दो गवाह पेश किए। इस प्रकरण में पीड़िता और उसकी बहन की गवाही अहम रही।